तुझे भूलने की कोशिश की
लेकिन हार गया
तुझसे अब ना कोई गिला
ना कोई ऐतबार रहा
की तू एक समय प्रेम था मेरा
लेकिन मैं हमेशा से तेरा
गुनहगार रहा
आते हो याद मुझे तुम कभी कभी
तूझसे मिलने का ख्वाब
मेरा ख्वाब ही रहा
तू कितना बेदर्द था
मेरे दिल को कभी समझता ही नहीं रहा
तेरे होने से सब कुछ हो सकता था
तेरे ना होने से मेरा मुकम्मल जहां ना रहा..!!-
मन में गर राम हैं तो राह ये आसान है
बिन राम के जीवन ये सूनसान है
हैं तपस्या मर्यादा और त्याग की मूर्ति
दिल में बसा लो अब राम की सुरति
कैसे तड़पे हैं देखो बिन राम अवधवासी
वर्षों बाद ही रही श्री राम की वापसी
पूरे भारत में उत्सव, अयोध्या भी उत्साहित
इस त्योहार में करेंगे दिया हम प्रज्वलित
फिर से मनाएंगे हम तो दिवाली
हर घर में होंगी खुशी–खुशहाली
राम के साथ माता सीता भी आएंगी
भ्राता लक्ष्मण और सेवक हनुमान भी
पधारो मंदिर में अब मेरे राम जी
वनवास भी खत्म हुआ जैसे आज ही
हम भक्तों को देते रहना ऐसे ही दर्शन
करते हैं अभिनंदन कोटि–कोटि वंदन
जय जयकार हो रही चहुंओर श्री राम की
जय सिया राम की जय जय सिया राम की🙏-
इन क्षीण अश्रुओं को बह जाने दो
उसकी स्मृति मुझ को आने दो
मैं चाहती हूं उसे विस्मृत करना
ठीक है, उसके नाम के
इन नयन नीरों को अब बह ही जाने दो
मिलन उसका, हुआ ही क्यूं था
उसकी सरलता और सादगी में
मुझे इतना आकर्षण ही क्यूं था
ना मिलते और न होते ये वार्तालाप
किस्मत में ऐसा लिखा ही क्यूं था
साथी तेरे विस्मरण की बात है सबसे निराली
विस्मृति की राह में
स्मृति तुम्हारी, अलग राह है बनाती
जैसे रात तुम्हारे सपने लिए हो आती
और मुझे परेशान है कर जाती
विस्मरण की राह में आएंगी कई कठिन राहें
कैसे कटेंगे दिन और ये लंबी लंबी रातें...!
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तुम हमेशा खुश रहो
प्रेम तो हुआ नहीं तुमसे
चलो, नफरत के बहाने ही सही
मुझसे जुड़ी रहो
तुम्हें देख कर
वो पुराने क्षण याद आ जाते हैं
मेरा स्नेह सत्य था
लेकिन तुम्हें असत्य लगा
कभी मिलती तो
हृदय में उतर के देखती तो
तुम्हारे नाम की नदियों की
लहरें आज भी कभी कभी
मेरी आंख रूपी किनारे से
टकराती हैं जो किनारे को
तहस नहस कर देती हैं
काश! समझा होता मुझे अपने काबिल
आज मैं भी होता तुम में शामिल..............
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वन से राम अयोध्या आए
खूब खुशी अवध में बाढ़े
दीप जलें हर घर और आंगन
आओ सब सखी मंगल गाएं
देखो कितनी खुशी है आज
प्रभु मोरे लौटें हैं आज।
इतने बरस दूर रहें तुमसे
अंखियां थीं दर्शन को तरसे
सब नर नारी दरस पा रहे
मन में अपने हर्ष बढ़ा रहे
प्रभु हमारा कब पूछेंगे हाल रे!
प्रभु मोरे लौटें हैं आज।
स्वागत करती प्रजा अवध की
चहुं ओर है बजे बधाई
पुष्पों से स्नान करा रहे
देखो सब सुर और नर नारी
बेसुध हो, भूले सब काम
प्रभु मोरे लौटें हैं आज!
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उजड़ गया उसका घर
जिसमे वो रहती थी अपने बच्चों के साथ
उस छोटे से घर में
उन्हें अकेला छोड़ कर जाती थी
लाने खाना जिससे भर सके उनका पेट
और वो न रहे भूख से व्याकुल
वो उनका देखभाल कर रही थी बहुत अच्छे से
उनको सब सिखाती
जो एक मां अपने बच्चों को सिखाती है
कुछ दिन बाद
वो आसमान से बातें करना सीख लेते
लेकिन शायद किसी को मंजूर नहीं था ये सब
पेड़ काट दिया
जिसमे उनका घर था उसे उजाड़ दिया
मार दिए उसके बच्चों को
जो कुछ बड़े हो गए थे
वो चिड़िया अब उदास बदहवास
इधर उधर उड़ती हुई
भूली प्यासी
बच्चों के वियोग में
खत्म कर दिया घर उसका
जो बड़ी मेहनत से बनाया था
उस नन्हीं सी चिड़िया ने.......!!!!😔
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लौटा हूं दो साल बाद,
लगता है कई साल गुजर गए,
फिर जा रहा हूं ये वादा कर के,
फिर लौटूंगा सालों बाद!!!!-
वो बहुत जल्दी गुस्सा होता है मुझ पर,
जैसे मैं कोई अजनबी हूं,
उसे क्या पता की उससे बात न होने पर,
मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता,
पता है मुझे तुम्हें किसी की जरूरत नहीं,
क्या करूं तेरे बिना मेरा जी नही लगता,
अरे तुम तो बहुत बदल गई हो,
मुझे तुझ में कुछ खाली खाली सा लगता,
थोड़ा सी जगह जो थी तुम्हारे दिल में,
अब लगता है उसमे कोई और है रहता☹️— % &-
बस वैसे ही गुजारी,
जैसे कल की शाम गुजारी थी,
फर्क कुछ भी नही था,
लेकिन तेरी यादें ढेर सारी थीं,
अब तो लगता है की
हर साल तेरी यादों के सहारे गुजरते जायेंगे,
तुम्हें बताने थे जो किस्से, बहुत सारे थे,
बस दिल की एक मुराद रह गई,
तुमसे मिलने की आस रह गई,
ये नए और पुराने साल,
आयेंगे और गुजर जायेंगे,
वैसे ही हम भी आए हैं,
और एक दिन गुजर जायेंगे...!!!-
तो फिर क्या खोए हम,
पाने को तो सब कुछ है,
अब तो सब कुछ पाएंगे हम,
खोना पाना आना जाना,
लगा रहेगा जीवन भर,
कोई तुम सा नही मिलेगा,
जीवन के किसी छोर पर,
कोई कैसे जा सकता है,
किसी को ऐसे छोड़ कर,
सब दर्दों को सहते सहते,
आ गया हूं अब इस मोड़ पर,
जीवन से वैराग्य लेकर,
निकल पड़ा हूं सत्य की खोज पर.......!!-