चिर निरंजन अभयंकर अंधकार था
पर प्राण प्रणय का श्वास था
मंथर मंथर पवन अभिसिंचित
दिवाकर का प्रथम आभास था
कुछ रिक्त था हृदय कुञ्ज में ,
हाँ कुछ अनुरिक्त अभाव था
पर कल वो सभाव था ,आज निराभाव है....
आज निराभाव है ........
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चिर आनन्द की अभिलाषा में,
चंचल मन व्याकुल रहता है,
अंधियारे-उजियारे में,कुन्ज गली के बाड़े में,
देवालय में,जीव-निर्जिव सारे में,
ढूँढ़़-ढूँढ़ थक हारी मैं,इस जग की सारी कृति,
कराहती पुकारती आनन्द की,
चाह में धून अपनी सँवारती,
व्याकुल मन पल-पल गढ़े,सपनो के ताने-बाने बुने,
नदिया भी व्याकुल कल-कल करे,
हवा भी सन-सन करे,
जीव सारे कर्मों में लगे,आनन्द कैसे कहाँ मिले,
सोच-सोच कर हारी मैं,
सुना हरि नाम की प्याला में,
विष पीकर भी मीरा तृप्त हुई,
हरि नाम की माला ,मैं पल-पल फेरू,
पग-पग हेरू,कान्हा -कान्हा पुकारू मैं,
कान्ह मन में विलीन पड़े हैं,कैसे उन्हें पहचानू मैं।
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ओ चिर परिचित!ओ अन्जाने!
मेरे जीवन का लघुनर्तन,
मेरी वाणी का यौवनपन,
तेरे प्रणय के गीतों से,
नित लेकर आया नवजीवन,
वाणी की मदिरा पीने से,
हम बन बैठे कुछ दीवाने,
विस्मृत के पल भी तेरे हैं,
ओ चिर परिचित!ओ अन्जाने!
🌷🌷😴-
तुम्हरा चिर मौन मेरे जीवन आनंद
के किवाड़ों में सांकल लगा गया है
सपना जो बुना था साथ में
वो अधूरा रह गया है-
चिरयुवा
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उम्र का ये पड़ाव,
और मन,
उत्साहों से भरा,
विडम्बना गौतम,
या जिंदगी की यंत्रणा,
जिसकी तल्खियों ने,
बना दिया खुद को,
अपना ही सर्जना।
ढलती उम्र तो गिनती का है बस इक़ फलसफा,
असली उम्र तो मन की,
जहां उम्र का न कोई जोर चला,
मन के सपने ही उम्र का पड़ाव तय करते हैं,
जहां ऊंची उड़ान लिए,
सपनो के पंख,
अदम्य हौसलों से भरे होते हैं।-
तू है एक गहरा सागर ओर मै नदी का किनारा
कितने पहाड़ों का दिल चीर कर रास्ता बनाना पड़े।
पर एक न एक दिन तुझमें ही समा जाना।-
लहरों के सहारे तो सभी तैयार लेता है...
पर असली इन्सान वह है जो लहरों को चिर कर आगे बढ़ता है...!-
जय हो भक्तो में…
भक्तो में एक भक्त मेरे,
हनुमान बड़े हैं प्यारे,
जो श्री राम के काज सवारे,
माँ अजंना के दुलारे,
श्री राम के भक्त ये प्यारे..
चिंतित रामचंद्र के मुख पर
खुशिया हनुमत लाये,
अरे खुशिया हनुमत लाये,
लक्ष्मण को जब बाण लगी,
ये ही संजीवन लाये,
चिंतित रामचंद्र के मुख पर,
खुशिया हनुमत लाये..
किया कटाक्ष विभीषण ने,
हनुमत की भक्ति पर तब,
चिर के सीना दिखा दिया,
श्री राम का दर्श वही पर,
ऐसे.. है जी..
ऐसे संकट मोचन हनुमत मेरे,
भव से सबको तारे..
संकट सब के हर लेते..✍🏼🐦-
वही शून्य वही सौ वही हज़ार है
जिसने जिसको देखा वही गुनहगार है
सबकी अपनी अपनी हकीकत है
सबके अपने अपने झूठ है
हर एक अपने ख्वाब में जिंदा है
हर एक हकीकत में मर गया है
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