Sudha Saxena   (प़ाक रूह)
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जीवन चलने का नाम
Own Hashtag #Sudhasaxenaquotes
Joined 27 February 2019


जीवन चलने का नाम
Own Hashtag #Sudhasaxenaquotes
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3 HOURS AGO

कान्हा!
अनसुनी रह जाती विनती,
अश्रु शुष्क रह जाते हैं,
ढ़ूँढ़ बुला लो पास तुम मुझको,
व्याकुल क्यों कर जाते हो ।।

दर्श को तरसूँ ,अश्रु बन बरसूँ ,
थामो मुझको बिखर न जाऊँ।
भूल भुलैया में फंसकर मैं ,
सागर में कहीं बह न जाऊँ।।

ढ़ूढ़ो मुझको हे गिरधारी ,
दर दर भटकूँ चिंता भारी।
सुना अनसुना क्यों करते हो,
यही बस आकुलता हमारी।।

व्याकुल मन इस जीवन में ,
किसे कहूँ मैं सुनो न तुम ही ।
उलझी जीवन-डोर यह मेरी,
फिर सुंदर सी बुनो न तुम ही ।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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3 HOURS AGO

साथ साथ जो ,चलते रहेंगे ,
बसंती हवा में ,निखरते रहेंगे।।

कृष्ण बाँसुरी तुम, अपनी जो छेड़ो,
धुन सुन सुन, हम मचलते रहेंगे ।।

नदियों के तट पर ,चलना भ्रमण को,
हाथ में हाथ , नाव पर चढते चलेंगे।।

बाहर भटकने से ,बेहतर है ये तो ,
गुल बन गुलिस्तां ,महकते रहेंगे ।।

आमों की बौरें ,बौराई बसंत में,
प्रेम गीत गा कर , मदमस्त रहेंगे।।

ख्वाब आँखों में देखा ,सदा ही रहेंगे,
उम्र का मोड़ कोई, प्रेम में ही रहेंगे।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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YESTERDAY AT 8:01


श्रमजीवी को मान मिले
फूले-फले सुजीवन सबका ,
रंच विषमता भाव न हो
शस्य-श्यामला भूमि सदा।।
तिरंगा शान है हमारी ,
फहराएंगे विजय पताका।
मिलजुल कर रहना है हमको,
सामंजस्य ही है परंपरा।।
सम्पन्न हमारा देश रहे
79 स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
और शुभकामनाएं
🇮🇳🇮🇳🙏🌹🙏जय हिंद

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14 AUG AT 7:36

कंटक भरी है जिंदगी,
हौसला पहचान है,
पथ मिले तो सब चलें,
पथ बनाये वही इंसान है।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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13 AUG AT 14:27

"हर किसी के दिल में बस कर क्या करोगे"
यह सोचा तो बिन मंजिल क्या करोगे।।

हम हैं मानव हमें सहयोग सबका चाहिये,
दुर्विचार रख अकेले जग में क्या करोगे।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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13 AUG AT 10:22

जब "न" कहने में असमर्थ मन,
तो "हाँ" कहना भी अर्थहीन ।
मौन रहना ही बेहतर है ज्यूँ,
मन- सागर में बस जाये मीन ।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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13 AUG AT 7:45

सूक्ष्म तत्व अदृश्य है, वस्तु रहित निराकार
उसका लौकिक वाद से, खण्डन निराधार।।
जो सूर्य है सभी का ,सर्वस्व का दृष्टाहार,
उस का दीपक तर्क से,व्याख्यान बेकार।।
अपनी जिह्वा से कहें ,अपने अनुभव ज्ञान,
जो तुमने अनुभव किया ,उसी सत्य को मान।।
याचना प्रभु से ये करें ,रात दिवस सब याम,
अनुभव मुझको दीजिये ,अहैतुकी कृपा हो राम।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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12 AUG AT 9:04

कभी कभी खुद में विरोधाभास होते हैं,
दिल -दिमाग में क्योंकि,दरार होते हैं।
श्वास प्रश्वास ब्याज, चुकाती ही रही है,
पर हो गये जो कर्ज, कहाँ माफ होते हैं।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)


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12 AUG AT 8:00

नयनों से बहते जल को,अश्रु कहते हैं ,
पर यह सुख-दुःख दोनों,ही में बहते हैं ।।
जलद बनकर जब वही, धरा पर छा जाये,
मेहनत के दम पर कृषक ,अन्नदाता कहलाये।।
मरुस्थल और वनस्पति की, जब प्यास बुझाये,
जीवनदायी है जल, जीने की आस जगा जाय।।
जल सम ऊर्जा नहीं ,सृष्टि संरक्षणार्थ भाये,
अपव्यय से सदा बचो ,तब जीवन में निखार आये।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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11 AUG AT 11:00

नियम वह बनें जिनमें ,जीवन जीने में आसानी हो,
वर्ना किट किट करते, रह जाओगे जिंदगानी में।।

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