Sudha Saxena   (प़ाक रूह)
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जीवन चलने का नाम
Own Hashtag #Sudhasaxenaquotes
Joined 27 February 2019


जीवन चलने का नाम
Own Hashtag #Sudhasaxenaquotes
Joined 27 February 2019
27 MINUTES AGO

जीवन से वंचित ,जी कर जो निष्प्राण हुए,
तुम संग मिलकर ,वह जीवन इक प्राण हुए।
बिछड़े अपने जन से ,बिछड़ने की शिकायत में,
मौत के दरिया में भी ,जीने की इजाजत हुए।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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4 HOURS AGO

"सिंदूर-- मात्र श्रृंगार नहीं,"
सिदूर नहीं है केवल श्रृंगार, अस्तित्व संरक्षण की वह धार,
स्त्रैण भाव है कितना सशक्त ,आज बतलाया करके वार।।
अस्तित्व हेतु संघर्ष न करते,शरीर हमारे नीलामी पर चढ़ते।
अगर दोनों न जीते बन परछाईं, पति-पत्नी के कर्तव्य न सधते।।
पतन सहज उत्थान कठिन है,सिंदूर स्त्री का प्रेरक वरण है।
सिंदूर को ऐसा वैसा न समझो,एटम अणु का एक गठन है।।
जब रौद्र रूप में स्त्री आयी ,काली बनकर पाप पर छायी।
सोफिया और व्योमिका कर्नल ने,प्रथम भारतीयता दिखलाई।।
गिन गिन कर हम लेंगे बदला,कम किसी से न हमको समझना।
आँख उठायी गर सिंदूर पर ,फोडेंगे आँख ,न देखोगे सपना।।
सनातनी हम वसुधैव कुटुंबकम, जानते हम हैं प्रकृति संरक्षण,
गर सृष्टि को हानि पहुँचायेगा ,सिंदूर तब अपना रंग दिखायेगा।।
प्रेम प्यार की परिभाषा भी ,सिंदूर को भरपूर आती है,
अपमानित होने पर वह तो,काली दुर्गा बन जाती है ।
बच के रहना आतंकवादी!भारी तुमको पड़ जायगा ,
"प़ाक " भाव गर तुमने छोड़ा,जग से भागना पड़ जायगा।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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YESTERDAY AT 8:17

सैनिक विद्युत कोष हैं,देश के आत्म स्वरूप,
प्र-भावित दुश्मन को करे, बन सुतेज का रूप।।

प्रार्थना हम सब करें, वैद्युत बहे भरपूर ,
शक्ति बहे जवान में,बहे ज्यों जलपूर।।

सैन्य-शक्ति आकर्षण पिण्ड ,वैद्युत बल का कोष,
विवेक बल से कर्म तुम्हारे,देश को दें सन्तोष।।

मेरे वीर सैनिकों ! देश तुम्हारे साथ ,
देश का वरदहस्त भी, सदा तुम्हारे माथ।।
जय हिंद जय भारत 🙏🇪🇬🇪🇬🇪🇬
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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7 MAY AT 13:56

सपनों में तुम आते हो,
वो बात तुम बताते हो,
मैं तुम वो शाम निराली ,
जब तुम वंशी सुनाते हो।।

जाने क्या कह जाते हो,
हंसते गाते चिढ़ाते हो,
ताने भी तो मार जाते हो,
पर दिल को क्यों भा जाते हो।।

अब कभी नहीं मिल पायेंगे,
फिर क्यों पीछे आते हो ,
मैं तुम और वो शाम निराली,
यादों में बस ,बस जाते हो ।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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7 MAY AT 13:46

जीवन की राहों में ,लाया है दिल से,
न कभी दूर होना ,अब तुम मिल के,
खुश रहो सदा, जाऊँ मैं सद के ।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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7 MAY AT 9:09

"भारत के वीर सैनिकों के प्रति"
चित्त शक्ति स्वरूप तुम ,हो बल का भण्डार,
भारत महाबली बना, तुम सब की शक्ति धार।।

आतंकी को बाँध लो, काट भस्म कर डार,
तुम स्वंय अपने आप में, एक शक्ति का सार।।

तेरे बल सम्मुख कभी ,खड़ा न होवे शत्रु,
तेरी सुशक्ति ही हने, सभी जनों के अश्रु।।

समता सुख संतोष सम, शांति दमन के संग,
वैर द्वेष का हनन कर ,तोड़ कलह के अंग ।।

तेरी आत्मशक्ति में, रही सबलता राज ,
ओज तेज समर्थता ,गुणगण रहे विराज।।

महाबली तू सार है ,गौरव गुण का ठाम,
दृढ़ता धैर्य शूरता , यश महिमा का धाम।।

अचल भाव में रहना भाई!निश्चल मेरु समान,
अभय निडर स्वभाव हो,"सुधा" रूप सुज्ञान।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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7 MAY AT 8:39

बांके वीर सुहावने ,
पकड़ शक्ति का वाण ,
सिंदूर आप्रेशन सफल करो,
कस कर भक्ति कमान।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह )

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7 MAY AT 7:51

जब तन मन स्वस्थ हो,तभी आगे बढ़ पाते हैं,
निरंतर प्रयास से सफलता की सीढ़ी बनाते हैं।
पग पग धर कर आसमान में सुराग बनाते हैं ,
संघर्ष की लौ से कोना कोना महकाते हैं ।
धीरज धैर्य से पथ को सरल सुगम बनाते हैं ,
जुनूँ के दिये से संकल्प की बाती जलाते हैं ।।
तिनका तिनका जोड़ उम्मीदों के फूल खिलाते हैं,
तन मन स्वस्थ हो तभी तो इतना कुछ सोच पाते हैं ।।
जीवंत यादें बचपन की,आज भी जब जब आतीं हैं,
खिलंदड़ी बचपन को, दिल में पुनः जगातीं हैं ।।
हँसते खेलते संगी साथी,भाई-बहन संग सुनहरे पल,
रोमांचक जीवन है आज,पर रुचिकर वह पुराना कल।।
झूलों की रूनझुन ध्वनि में, पतंग संग उड़ने का रुख ,
चुन चुन मासूम बचपना,गुड़िया गुड्डों का छोटा सुख।।
याद है वह हँसते हँसते, आपस की झूठी तकरार,
यादें रह जातीं हैं, पर स्मृति उनकी जीवन-आधार।।


अनुभव-गठरी साथ रखो,मस्तिष्क में शुद्ध विचार,
हृदय मे बहे भक्ति-सागर,प्रेम का हो पवित्र संसार,
सूरज के साथ जलो तुम,जीवन में भर लो रंग हजार,
शब्द-प्रकाश की तूलिका ,सार्थक होगा जीवन-सार।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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6 MAY AT 23:11

मैं खिलती तत्क्षण,चेतना रूप महान,
कागज मेरा मित्र है,वह आनन्द निधान.।।
विषमता में सब दुख है,वैषम्य में अज्ञान,
मैं खिलती हूं तत्क्षण, कागज करे निदान।।
सुधा सक्सेना (पाक रूह)

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6 MAY AT 7:23

समय का धन उतना ही होता है,
समय कब कहाँ कितना ठहरता है।
आस्था का गर इक दीप जलता है ,
तो प्रकाश चहुँओर फैलता है ।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)

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