इस पानी की तरह बहती जाती।मगर यादें हमेशा साथ छोड़ जाती। -
इस पानी की तरह बहती जाती।मगर यादें हमेशा साथ छोड़ जाती।
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चाँद से दोस्ती हुई आसमां अच्छा लगने लगा।तुमसे महोब्बत हुई मेरा रोम रोम खिलने लगा। -
चाँद से दोस्ती हुई आसमां अच्छा लगने लगा।तुमसे महोब्बत हुई मेरा रोम रोम खिलने लगा।
जब अपना ही सिक्का खोटा होतब दूसरो को दोष क्या ही देना।जब खुद में ही ऐब भरी पड़ी होतब दूसरो में खामियां क्यो ढूंढना। -
जब अपना ही सिक्का खोटा होतब दूसरो को दोष क्या ही देना।जब खुद में ही ऐब भरी पड़ी होतब दूसरो में खामियां क्यो ढूंढना।
मायूस हो उठा दिलगम के अंधेरों में डर काँप जाता दिलचहूंऔर बिखरे सन्नाटों में सहमता दिलखुद से हो रूबरू टूटकर तड़प उठा दिल -
मायूस हो उठा दिलगम के अंधेरों में डर काँप जाता दिलचहूंऔर बिखरे सन्नाटों में सहमता दिलखुद से हो रूबरू टूटकर तड़प उठा दिल
आज वो दिन है।जब में रो रही थी।और मेरी किलकारी सुन! मेरी मां मुस्कुरा रही थी। -
आज वो दिन है।जब में रो रही थी।और मेरी किलकारी सुन! मेरी मां मुस्कुरा रही थी।
एक शायर को यूं कायल करने वाला मिल गया।इस दिवानगी को परवान चढ़ाने वाला मिल गया।गुमसुदा दिल को न पथ न मंजिल कि तलाश थी।फिर न चाहकर भी मन चाहा हमसफर मिल गया। -
एक शायर को यूं कायल करने वाला मिल गया।इस दिवानगी को परवान चढ़ाने वाला मिल गया।गुमसुदा दिल को न पथ न मंजिल कि तलाश थी।फिर न चाहकर भी मन चाहा हमसफर मिल गया।
महोंब्बत मांगता है दिल पर इस दिल को महोंब्बत होती नही हासिल।महोंब्बत एक तरफा रह जाती दिल को टुकड़ों में तार तारकर जाती।कभी संवरते कभी उभरते हर कोई इस महोंब्बत के सागर में गोते लगाते।महोंब्बत पीर पराई है ये कहां कभी किसी के हाथों में आयी है।सौ बार मात खाता है दिल फिर भी महोंब्बत ही मांगता है दिल। -
महोंब्बत मांगता है दिल पर इस दिल को महोंब्बत होती नही हासिल।महोंब्बत एक तरफा रह जाती दिल को टुकड़ों में तार तारकर जाती।कभी संवरते कभी उभरते हर कोई इस महोंब्बत के सागर में गोते लगाते।महोंब्बत पीर पराई है ये कहां कभी किसी के हाथों में आयी है।सौ बार मात खाता है दिल फिर भी महोंब्बत ही मांगता है दिल।
तुम चॉकलेट नही हो फिर भी तुम्हे खाने को जी चाहता है।जब भी तुम्हे अधरो से छुलू मेरे अंग अंग में चॉकलेट का अर्ग उतर आता है। -
तुम चॉकलेट नही हो फिर भी तुम्हे खाने को जी चाहता है।जब भी तुम्हे अधरो से छुलू मेरे अंग अंग में चॉकलेट का अर्ग उतर आता है।
एक फूल आज टूट कर बिखरा है।अपनों कि यांदो में भुला बिसरा है।गहन साजिश थी सख्त हवाओ कि!वो अपनी जड़ों से दूर हो उखड़ा है। -
एक फूल आज टूट कर बिखरा है।अपनों कि यांदो में भुला बिसरा है।गहन साजिश थी सख्त हवाओ कि!वो अपनी जड़ों से दूर हो उखड़ा है।
बिखरी है कल की बीती यादें।कहकर भी न कह सके तुमसे वो अनकही बाते। -
बिखरी है कल की बीती यादें।कहकर भी न कह सके तुमसे वो अनकही बाते।