Sudarshan HRD  
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Joined 14 April 2021


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15 HOURS AGO

हे हमराही, रहा करो चहकते महकते, कि ये अरदास है हमारी रहबर से,
ए दिल, यूँ उल्फ़त में गुलों का मुरझाना अच्छा नहीं लगता हमनवा..✍🏼🐦

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15 HOURS AGO

हे हमराही, किसी ने क्या खूब कहा है,
किसी ने क्या खूब दिल को पढ़ा है,
किसी ने क्या खूब लफ्ज़ो में पिरोया है,
ए दिल
बहुत नजदीक से देखा है इस दुनिया को,
तभी इससे दूर जाकर बैठा हूँ कुछ यूं,
क्या पाया क्या खोया हिसाब उसी का लगाने को..✍🏼🐦

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23 HOURS AGO

माधव..
एक बार साँवरे अपना बना लो,
जब झूले मझधार में नईया,
पार भवसागर से लगाने आना,
बन कर माझी मेरे बंशीधर मोहन,
अपने मनमीत का फर्ज निभाना,
सारथी बन कर आना मनमोहन,
जो भटकूँ इधर उधर हे प्राणनाथ,
जो डोले मन मुरली मधुर सुनाना,
जीवन ले जाना उस पार साँवरे,
हे गोविंद..
प्रेम प्रीत लगाना प्रीतम मनमीत ऐसी,
की निभ जाए मरते दम तक मोहन,
सिवा इसके कोई चाहत ना हो नाथ,
चाह ना हो कुछ और माँगू मनमीत,
कान्हा बिन जीना बेकार हो साँवरे,
मनमंदिर में आन बिराजो घट घटवासी,
मोहे अपना बना लो मनमोहन मनमीत,
मेरे स्वामी साँवरे सरकार..✍🏼🐦

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YESTERDAY AT 6:31

माधव..
गर हुई है खता कोई हम से तो फिर सज़ा सुना दो मनमोहन,
देखो नटखट नटवर दिल में इतना दर्द क्यूँ है वजह बता दो प्रभु,
हे गोविंद..
इतनी सजा क्या काफी नही प्रभु की दर्श देते नही हो मनमीत,
गिरधरगोपाल तनिक देर हो गयी याद करने में हम से जरूर, लेकिन आपको भुला देंगे इक़ पल को भी ये ख्याल अपने दिल से मिटा दो साँवरे सरकार..✍🏼🐦

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28 APR AT 10:39

हे हमराही..
छुप छुप कर..
क्या गजब के..
तीर पर तीर चलाते हो..
गर लेनी ही है..
जान तो साफ साफ..
क्यो कबूले ए इक्करार..
सरेराह करते नहीं हो..
ए दिल,
कैसे समझाए तुझ को..
कि बात करने के लिए तो..
भरे जमाने में बहुत सारे लोग हैं..
पर इंतजार बेकरारी से..
सिर्फ तुम्हारा रहता है..
इस तड़फते हुए..
बेकरार दर्दे दिल को..✍🏼🐦

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28 APR AT 9:24

मनवा..
किस बात का है गुमान, किस बात का है गुरुर,
किस से तू प्रेम छल कपट है करता मनवा,
यही पड़ा रह जाना है जमीन महल मालिये तेरा यौवन,
धरा पर धरा रह जायेगा तेरा छल कपट धन दौलत गुमान,
बिखर जाएगा हुस्न शौहरत सब हो बेईमानी मनवा,
कैसी नफरत, किस पर अभिमान, किस से ईर्ष्या लड़ाई मनवा,
सबका यही हाल है होना, सत्य है चिता की राख,
कोई हाथ भी ना लगाएगा, जल्दी विदाई को जमाना आतुर हों जाएगा,
क्या राजा हो या क्या हो रंक सबकी इक़ सी औकात,
हो जाना सिर्फ एक लोटा राख ही तो है तुझको,
धु धु जलता क्या देखे पड़ा, है अपनी अपनी यही पहचान,
सब अपनी अपनी समझ समझ की बात है मनवा,
होना राख ही, तो यारी कर फायदे की राख से ही..✍🏼🐦

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28 APR AT 7:34

माधव..
हम रूठे भी तो किसके भरोसे रूठें, हाँ हम है रूठें मनमोहन,
कौन है जो आयेगा हमें मनाने को,आप बिना हम जानते मोहन,
हे गोविंद..
हो सकता है तरस आ भी जाये आपको,है अटल भरोसा मोहन,
मोहन पर वो दिल कहाँ से लायें, जो आपसे रूठ जाने के लिये, ये दिल साथ हमारा देता नहीं, रूठ कर भी रूठता नहीं आपसे साँवरे सरकार..✍🏼🐦

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27 APR AT 10:18

हे हमराही, फिर से देखो,
घिर आई तेरी यादों की यादें,

जब हुए लम्हें जब तेरे वादों को,
नीभा जाने की तेरी बारी आई,
ए दिल
इक़ वक्त ही तो तुम्हारा मांगा था,
जो तुमने दिया था कभी हक से,
हर बार बहाना बनाकर चल दिए,
हर वादा जब भी तुम को निभाना था,
फितरत पर इतना भी क्या गुरुर,
अगर रिश्ता इतना ही निभाना था,
तो कह दिया होता हम रास्ता बदल,
राह अपनी चल देते, जब शाम हुई..
✍🏼🐦

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27 APR AT 9:12

माधव..
देखो गर आप ही खफा हो गए तो कोई ख़ुशी न रहेगी मोहन,
ना आपके बिना होगी चिरागों में रोशनी, ना जीवन नईया रहेगी मनमोहन मनमीत,
हे गोविंद..
देखो मनमोहन क्या कहे कैसे कहे क्या गुजरेगी दिल पर प्रभु,
आपकी प्रेम कृपा बिना जिंदा तो रहेंगे पर ज़िन्दगी न रहेगी मनमोहन मनमीत, बस खफा ना होना चाहे जितनी मर्जी हम को बड़ी से बड़ी सजा देना साँवरे सरकार..✍🏼🐦

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27 APR AT 8:12

मनवा..
तेरे दिल मे इश्क़ भरा है कितना,
है कितना लबरेज़ ये तू भी जानता,
जानता मैं भी हूँ खूब कुछ यूं,
नुमाइश तू कुछ करता नही,
जानता हूँ मैं मजबूरी तेरी खूब,
इश्क़ वो है जो समझे जज्बातों को,
जो तू समझ कर भी समझता नहीं,
हमनवा है वो जो समझे एहसास को,
जो तेरी रूह में दम तोड़ चुके कुछ यूं,
ए दिल, मिलते हैं जहाँ में बहुत राहों में,
हमसफ़र हमड्डगर अपना कहने वाले,
तू समझ रहा नहीं अपनी फितरत में जो,
हमनवा है अपना बस इक़ वो ही जो,
बिन कहे हर खामोशी की बात समझे,
जो तू समझता नही अपने गरूर में कुछ यूं..
✍🏼🐦

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