हे हमराही, अक्सर बहुत सोते हैं जी,
खुली आँखों से बहुत नींद हमे आती है,
बस कोई सोने नही देता,
दस्तक दे ही देता है वक्त बेवक्त,
कुछ देर पलके क्या झुकाते है,
ए दिल,
अक्सर उस के आगोश में..
अपने आपको बिखरा हुआ पाते हैं,
फिर कहा हम सो पाते हैं,
कहा वो हम को सोने देता है,
नींद का क्या, आईं तो आई,
ना अगर आईं तो ना आई हमनवा,
हम तो हर पल तेरी यादों में,
अक्सर खुली आँखों से भी सो लेते हैं,
जिस का दिलबर जाग रहा,
उस कमबख्त़ को कहा भला नींद आती है..✍🏼🐦-
माधव..
हे मेरे प्रभु.. आप ही प्राण आप प्राणेश्वर नाथ,
हे मेरे प्रभु.. ह्रदय हो जावो विराजमान ह्रदयेश्वर,
हे मेरे प्रभु.. व्योम समाये आप ही आप व्योमेश्वर,
हे मेरे प्रभु.. जहाँ कहीं जाऊं, जिधर भी चलूँ नाथ,
हे मेरे प्रभु.. जो भी कर्म धर्म करूँ, हर समय याद रखूं,
हे मेरे प्रभु.. श्रद्धा सुमन आसन बिछाया पधारो नाथ,
हे मेरे प्रभु.. भूपति विराजमान होओं ह्र्दय सर्वश्वर,
हे मेरे प्रभु.. अनंत अनंत कोटि कृपालु कृपानिधान,
हे मेरे प्रभु.. खेवैया दातादयाल आप जग खेवनहार,
हे मेरे प्रभु.. भूलकर में गर आपको भूलूँ इक़ पल,
हे मेरे प्रभु.. राह आपकी पर चलाये रखा मनमीत,
हे मेरे प्रभु.. चलते मेरा पग कभी रुके थके नहीं,
हे मेरे प्रभु.. चित्तधरो मोरे साँवरे सरकार..✍🏼🐦-
माधव..
हम तो आये जी सरकार की शरणागत, अब आप जाणो जी,
हमने तो किया अपने आपको श्रीचरनन अर्पित समर्पित मोहन,
हे गोविंद..
चित्त बसो सरकार, ना रहे इक़ पल एहसास की मैं हूँ ही नही,
मनमंदिर ऐसे बसो गिरधर गोपाल सरकार, आप ही आप रहो प्राणनाथ, ना हम में हम रहे.. रहे बस तरफ समाये युगल कुंजबिहारी साँवरे सरकार..✍🏼🐦-
माधव..
अब पोढो जी मोरा सरकार,
अब पोढो जी नंदजी का लाल,
अंखिया भर आईं जी निंद्रा,
अब आप पोढो जी कृष्ण कन्हाई,
माई यशोदा सुनावे लोरी पर लोरी जी,
देवे थपकी पर थपकी जी नंदकिशोर,
गईया सोई सोए बछड़े सखा गोपाल,
अब पोढो जी म्हारा जीव की जड़ी नंदलाल,
भर आईं अंखिया निंद्रा अब पोढो नाथ,
आप रुखाला जग का अब करो कृपा लाल,
माई आईं सब काज छोड़ अब पोढो जी,
माई संग ना खेलो जी आँख मिचौली,
पोढो जी पोढो जी म्हारा राजदुलारा,
भर आईं मोटी मोटी अंखिया निंद्रा जी,
पोढो म्हारा श्याम साँवरे सरकार..✍🏼🐦-
हे हमराही, तूने क्या कुछ नही पाया,
जो कुछ मिला उसका आनंद न ले सका,
जिंदगी को खुलकर ना जी सका,
जीना था बिंदास हो कर मदमस्त,
मगर तिल तिल घुट घुट मरता रहा,
जो कुछ मिला वो कम तो हरगिज़ न था,
अरमानों का समंदर कम न था,
पाना तो बहुत कुछ था हमनवा संग तेरे,
ना मिला वो सब जो मिलना था, गम न था
क्यों खुलकर नही जीते हो जिंदगी,
क्यों जिंदगी को बिंदास उमंग से जीते,
जमाने का देख कर सुख, क्यों होते हो दुःखी,
सब इसी धरा पर ही धरा रह जायेगा,
यहां तुम दुबारा थोड़े ना आओगे,
क्यों घुट घुट कर दर्द में बेवक्त मरते हो,
जो कुछ मिला वो कम तो हरगिज़ न था..✍🏼🐦-
माधव..
कहा कोई सरकार आपसे दूर हो पाया है मनमोहन मनमीत,
कहा कोई सरकार आपके करीब हो पाया है मनमोहन मनमीत,
हे गोविंद..
आपकी प्रेमकृपा बन कर प्यार खुदबख़ुद चलकर आ जाता है,
सरकार को जो बसा लेता है मनमंदिर में, सरकार हर पुकार पर खुदबखुद चल कर आते हैं.. हर बार नसीब का पैगाम बन जाते हैं साँवरे सरकार..✍🏼🐦-
माधव..
हर इंतज़ार आपके दर्श का सहा नहीं जाता, सुकून नहीं देता,
लेकिन साँवरे सरकार, हर इंतजार में उम्मीद तो रहती आपकी,
हे गोविंद..
सरकार पुकारोगे प्यार से हमें, तो हम भी दौड़े चले आयेंगे प्रभु,
सरकार क्या आपका दरबार, क्या आपकी प्रेमकृपा.. आपका दिल ही तो है हमारा आशियाना इसे छोड़ कर हम कहाँ जायेंगे साँवरे सरकार..✍🏼🐦-
मनवा..
दुनिया के रंग हजार,
हर रंग बूंद में है छुपी हुई,
इक़ सुकूँ आनंद की बहार,
अपने रंगों को पहचान मनवा,
अपने रंगों में जीना सीख मनवा,
नाहक क्यों वक्त को खोता है,
क्यों देता है स्पष्टिकरण किसी को,
जो तेरे योग्य हरगिज़ नहीं,
जो रंगों की फिज़ाओं के महात्म्य को,
फ़ितरत में समझ सकते नहीं हमनवा,
छोड़ दे उन को उन्ही के बदरंग भवँर में,
जो झुठला सत्य के रंग को कुछ यूं,
आदि हो गए हैं बदरंग रंगों के चक्र के,
तू भर नित्य नए सतरंग जिंदगी में,
तेरे चटक रंग होंगे और चटकीले..✍🏼🐦-
माधव..
सावरियो म्हाने प्यारो लागे जी,
बड़ो प्यारो लागे है रूप रस श्रृंगार,
म्हाने अति मनोहर लागे श्याम मनोहर,
प्यारो लागे जी नन्दजी का लाल क़ानूडो,
बाई मीरा का गिरधर सखा सुदामा जी,
माई म्हाने लागे बहुत प्यारो जी रंगरसियो,
माई म्हे तो खोयो चित्त श्रीचरणों में,
ऐसो कांमणगारो है चित्तचोर जी,
पल पल रूप बदले पल पल छटा जी,
ऐसो मनोहारी है छेलछबिलो जी,
इक़ पल रूप धरे करुणा करुणेश्वर,
दूजे पल धीर गंभीर रुद्र जी माई,
इक़ पल प्रेम रस वेणु बजावे वेणुगोपाल,
दूजे पल चलावे सुदर्शन सुदर्शनधारी,
माई कैसो है रणछोड़ गोपीनाथ जी,
माई प्रेम प्रीति बड़ी अनमोल साँवरो,
म्हे तो लियो खरीद प्रेम मोल जी..✍🏼🐦-
माधव..
साँवरा कैसी अनुपम करी प्रेमकृपा, सब हो गया दिव्य मनमीत,
कैसी करुणा हुई कृपालु, प्रेम प्रीति पाऊँ हर रूप में अतिसुंदर,
हे गोविंद..
म्हाने प्यारी लागेजी अदालत साँवरा सेठ,कैसी हिय प्रित जगाई,
ठाकुर जी राखज्यो प्रेमकृपा जो पाऊँ अक्षय श्रीश्रृंगार चरण दर्श श्रीबांकेबिहारी श्रीजगन्नाथ जी साँवरे सरकार..✍🏼🐦-