माधव..
साँवरिया अर्ज सुणो जी गिरधारी,
हिय बाती लौ मारे झपका साँवरा,
म्हारी विनती सुणो, देह भटके लट्टू समाना,
साँस साँस में आपणे सिवेरु दाता दयाल,
आप मुँह मत मोड़ो, भुल मत जाज्यो,
खाली जावे ली आ हेली साँवरिया,
अर्ज सुणो अर्ज सुणो अर्ज सुणो गिरधारी,
माया मोह में फसी भ्रमित चित्त काया,
नाम सुमिरण किया नहीं, चित्त बहुत दुःख पावे,
अब तो सुध ल्यो मेरा साँवरिया श्याम,
अर्ज सुणो गिरधरगोपाल सुणो बनवारी,
मैं कुछ नही जाणु दाता आयो शरण तिहारी,
लट्टू सो भव सागर में बहुत दुःख पायो,
अब तो भव पार उतारो जी साँवरा,
अर्ज सुणो विनती सुणो साँवरिया गिरधारी,
ज्योत जलावो मोरे अंदाता साँवरे सरकार..✍🏼🐦-
हे हमराही, रण बड़ा है खुद को बनाना होगा,
खुद को सज्ज हर हाल में करना ही होगा,
भुल कर तपिश खुद को कुंदन बनाना होगा,
है लक्षित मंजिल का रास्ता कुछ घुमावदार,
पथरीले कंटक राहों को समतल करना होगा,
ए दिल, होगी किसी मे..
अकड काया अभिमान अपनी फ़ितरतन,
हर अदावतो को जबाब तुझे देना ही होगा,
है बीमारी जमाने की दोनो मानसिकता की,
जिसका इलाज निरंतर शालीनता से देना होगा,
है जमाना मतलब का यार कुछ यूं समझ,
तुझे अपना फर्ज फिर भी निभाना होगा,
कुदरत और समय पर ऐतबार करना ही होगा,
जरूरी नही तुझे मिलेंगे सब्ज चमन गुलिस्तां राह,
तुझे दुसरो का चमन रंगे बहार से महकाना होगा..
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चाय पर चर्चा..✍🏼🐦
इंसान के संस्कार और परवरिश ही..
इंसान में इंसानियत का निर्माण करती है..
मन की संतुष्टी और संस्कारों के संवर्धन के लिए..
अच्छे काम करते रहना चाहिए..
अब ये ना देखो सोचो कि..
लोग तारीफ करेंगे या नही करेंगे..
न करें तो भी किसी से करने की चाहत ना रखो..
अगर कोई कमी या नुख्श निकाले तो निकाले..
कमियां तो लोग भगवान में भी तलाशते रहते हैं..
अच्छे काम से ही पहचान बनेगी..
ऐसा ना सोच कर वरन ये सोचो की..
आपने अपने संस्कारों और परवरिश को..
अगली पीढ़ी की ओर आगे बढ़ाया है..-
माधव..
निष्कर्म में आप प्राणों का संचार करते हो, आप ही मन को करते गतिमान,
जिंदगी में क्या है जिन्दादिली साँवरे, कर ह्र्दय पवित्र, आत्मा जिंदा करते हो,
हे गोविंद..
भरो ह्र्दय में दया करुणा हे करुणेश्वर करुणानिधि, दर्द समझे किसी का,
हे सांवरिया सरकार दो ऐसा अभय वरदान करे पल पल रहमतों का शुक्राना.. ह्र्दय श्रीचरणों में करे निवास, सारे जहां का दर्द आप करते दूर भक्तवत्सल दीनानाथ साँवरे सरकार..✍🏼🐦-
माधव..
साथ तेरे बन हमसफ़र चले, क्या देखता है पीछे मुड़ मुड़ चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला तेरा जग मेला पीछे छूटा राही चल अकेला,
हे गोविंद..
दरबार दहलीज़ जगन्नाथ जो पाई, दिव्यता ह्र्दय में हुई प्रकाशित नाथ,
क्या देखे दिन क्या रात, क्या सोचे सुख क्या दुःख.. हर पल ह्र्दयकुंज यादो मे रहते हो, ख्वाबों को कर साकार संग बिराजते हो.. कैसी क्यों कोई सरकार से करे शिकवा, सरकार तो मेरे अल्फाज़ों में रहते हो साँवरे सरकार..✍🏼🐦-
धन्य धन्य है माई जननी वन्दन बारंबार,
ऐसो पूत सपूत जण फ़र्ज निभायो हिन्द,
माँ भारती भी हुई धन्य धन्य गुण गाये,
माँ भारती हरसावे जो मान बढायो माई,
ऐसो कर्मवीर कर्मयोगी सिंदूररक्षक पायो,
गौरव आन बान शान धर्म हिन्द छायो जग,
बण जननायक नयो जोश है, नई उमंग है,
शिल्पी राजयोगी नयो सफर जन सुझायो,
है नई सोच, है दिशा नई, है दूरदृष्टि नई,
है ऊंची उड़ान को संकल्प नयो अनूठो,
विश्वास नयो भरयो नव हिन्द के रग रग में,
मायड़ धन्य जणयो साँचो सपूत धन्य धन्य,
नाम नरेन्द्र सो दिव्य नरेन्द्र मोदी कहलायो,
धन्य धन्य है माई जननी वन्दन बारंबार..✍🏼🐦-
लेकिन इतनी भी पराई भी तो नहीं है..
ये दुनिया किसी की सगी तो नहीं है..
लेकिन चलती है बन हमसफ़र बुरी तो नहीं है..
दो कदम साथ गर कोई चले ताउम्र चलती है..
लेकिन ये दुनिया किसी की बांदी तो नहीं है..
ये दुनिया किसी की सगी तो नहीं है..
लेकिन इतनी भी निर्मोही भी तो नहीं है..
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हे हमराही, उल्फ़त आँखों में छलक रही, सुकूँ तुझमें ढूँढ़ रही है कुछ यूं,
ए दिल, मेरी दुनिया में तुम ही तुम हो दूसरा कोई नहीं, तुम ना समझोगे यू..
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हंसा..
हिय बसे प्रभु श्रीहरि तो शंका कैसी,
हिय बसे जीवन दातादयाल भ्रम कैसा,
क्यों झूले बीच भवँर बन अभागा रे,
किस की रजा पर करता तू संसय तू,
तुझ को तेरे खेवैया पर भरोसा नही,
तेरी झूलती नईया कर उस के हवाले,
जो हैं सागर वही नईया वही पतवार है,
वही तूफ़ान वही तूफ़ा को मिटाने वाला,
वही किनारा है समझ माया रे हंसा,
क्यों जान कर है तू अनजान रे हंसा,
मत उलझा मन काया को झूठे भ्रम में,
हिय बसे प्रभु श्रीहरि तो शंका कैसी हंसा,
हिय बस श्री सतगुरू खेवै तेरी झूलती नईया,
तू क्या ढूंढे सहारे झूठी दुनिया में हंसा..✍🏼🐦-