मोहब्बत मिले या न मिले
चाहे दिल ज़ख्मों से छलनी हो जाये
मैं फिर भी
मोहब्बत नहीं बदलूँगा..
इतना वादा है तुझसे...-
मैंने देखा! वो ख्बाव है तू...(2) तू मेरा दिल! मेरी जान है तू...(3) मोहब्बत की मंजिल, दिल का अरमान है तू! (4) चाहे दिल..चुरा लूं मै, तुझको थोड़ा-थोड़ा, कोई फूलों से भरी दुकान है तू!
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माँं के हाथ की मार में भी बेइंतेहा छुपा होता हैं प्यार...
भुलक्कड़ मैं कैसे बताऊं कि,कैसी होती हैं माँं के हाथ की मार...
याद नहीं आ रहा हैं कि...माँ ने कभी होगी मुझे भी मारी...
ध्यान आता हैं तो बस इतना कि,प्यार से सदैव नज़र मेरी उतारी...-
कुछ ऐसी मोहब्बत उसके दिल में भर दे ए खुदा ,
की वो जिस किसी को भी चाहे वो "मैं" बन जाऊं ।-
देह तो, ज़माने की कैद में, रहती है सदा,
अपने परों पर मगर, ख़्वाब उड़ते है मेरे।
दिवस भर,तो कर्म कांड में बंधक बने रहे,
रात गहराई तो ज़रा, मचले है अरमां मेरे।
भावनाएं प्रिय हैं,शब्दों से मुझको इश्क है,
इस तरह से सृजित से, संबंध गहरे हैं मेरे।
आसमां ने सितारों पर,जब नाम मेरा लिखा,
सिंदूरी दीपशिखा से,भर गए हैं, मांग में मेरे।
rajani rights
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लगी हैं आग घर में मेरे बचा ही क्या है,
बच गई जो मैं तो जला ही क्या हैं,
मैं वहीं हूं अगर तो तुम्हारा खोया क्या है,
यूं जुड़ी हैं सांसे मेरी तुमसे हमेशा के खातिर,
छोड़ो ना,
इन अधूरी हाथों की लकीरों में रखा क्या हैं।
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ऐ मेरी जिंदगी तू कहां खो गयी,
ढूंढता हूँ मैं हैरान तुझे हर कहीं!
आसमां तक तुझे खोज डाला मगर,
पास मेरे तुम्हारे निशाँ तक नहीं!
तुझको पाने की हसरत है दिल मेरे,
जो भी अंजाम हो अब गलत या सही!
चाहता हूँ स्वतंत्र किस कदर क्या कहूँ?
जैसे बादल को चाहे ये प्यासी जमीन..!
सिद्धार्थ मिश्र-
खुदा से आजकल यही फरियाद करता हूँ
तुझे ही माँगकर दिल को आबाद करता हूँ
चाहे कुछ भी लिख लूँ पर,ये इल्म है मुझको
अपनी हर शायरी में मैं तुझको याद करता हूँ-
मेरा खुदा मेरे साथ है
मुझे दुनिया की जरूरत नहीं!
मैंने भी बहुत गलतियाँ की हैं
मुझे किसी से शिकायत नहीं!
चाहे कोई पीछे को खींचे
चाहे कोई आगे को धक्का दे
मैं अपनी रफ्तार से चलुगाँ
मुसाफिर हूँ, कोई बहेलिया नहीं!-