आज वह सभी लोग अपने मुंह पर मास्क
पहनते पहनते थक गए हैं
जो अपने घर की औरतों को बिना घुंघट के
एक पल भी देख ले तो अपना
अपमान समझते हैं।-
जब -जब मेरे दिल को उसकी याद आई।
उसने सर पर घूंघट डाला मेरे पास चली आई।।-
गैरों से छुपाकर अपने हुस्न को
रखती है घुंघट में,
लेकिन हम पर तेरा करम हैं,
जो मेरे चेहरे पर ये नूर आया है
चाह बस इक नज़र की है..ऋतु..
तुम ग़ज़ल मैं सायरी बन,
मिलेंगे घुंघट के उस पार..!!!-
घुंघट प्रथा यदि औरत कि बजाय आदमियों से करायी गयी होती.....
तो अबतक इतनी मासूम लड़कियों की जिंदगी बरबाद होने से बच गयी होती!!-
मास्क लगाकर इन कुछ महीने में ही
थक गया वो आदमी
जो कहता था कि
औरत को हमेशा
घुंघट व वुरका में रहना चाहिए
-
इश्क तो अब हो गया
उनसे....
और
वो है कि ख्वाबो मे भी
घुंघट मे आते है !!!-
आख़िर उसके दिल पे क्या गुज़री होगी
जब ना-पसंदीदा ने उसका घुंघट उठाया होगा-
कभी दिखता है कभी छिप जाता है
चाँद बादलों का घूंघटा कर जाता है
कभी सर से सरकता भी मुखड़े पर
मेघ चमकते तो डरकर नजर नही आता-
मास्क लगाकर
थक गए है वे लोग,
जो कहा करते थे
कि औरतों को तो,
घुंघट में ही रहना चाहिए।-
// घुंघट //
नैना कॉलेज जाने के लिए तैयार हो गई ,फिर उसने धूप और प्रदूषण से बचने के लिए अपने चेहरे को दुपट्टे से बांध लिया ।तभी उसकी मां आ गईं
नैना की मां ने चिल्लाते हुए कहा कम से कम नकाब से आंखों को तो खोल लो कहीं गिर ना पड़ो ,कहीं तुम्हें चोट न लग जाए।
नैना ने अपनी मां की बात पर ध्यान नहीं दिया और चली गई । आधे घंटे बाद नैना की भाभी नैना की मां के लिए भोजन लेकर आई ,नैना की भाभी का पल्लू जरा सा सिर से सरक गया उनके बाल दिख गए अब तो नैना की मां का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने चिल्लाते हुए कहा- बहू हो तो बहू की तरह रहो ज्यादा फैशन में उड़ने की कोशिश मत करो ,एक बात ध्यान रखो कि तुम ससुराल में हो तुम्हारे आसपास सास ससुर सभी रहते हैं ,अपनी मान मर्यादा का ध्यान रखो। अगर अगली बार सिर से पल्लू हटा तो गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
शायद इसीलिए सास कभी मां नहीं बन पाती । उनके मां शब्द के आगे सास जरूर लगा होता है। वह हमेशा सासु मा ही रहती हैं।
मां ,मां होती है उसकी जगह कोई नहीं ले सकता ।-