सारे रास्ते खोल दिए थे मैंने
कि नींद जिधर से चाहे आती
मगर कम्बख़त ख़्वाबों पर तो
दस्तख़त आपका हुआ ही नहीं था
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जर्रे-जर्रे में मोहब्बत थी,हर लम्हा लाजवाब था !!
आँख खुली तो मैने जाना, ये महज़ इक खुबसूरत 'ख्वाब ' था।।
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अपने ही अरमान तब पराये हो जाते है,
भीगी पलकों से देखते जब धुंदले नजर आते है...-
मिसाल बनें जैसे लैला-मजनू, इतना प्यार कर लो ना
कश्ती बनो तुम मेरी, मुझे अपनी पतवार कर लो ना।
कोई और देखे तेरी तरफ, तो यूँ जलता है खून मेरा
बसाकर अपने दिल में, खुद का पहरेदार कर लो ना।
नहीं रखूंगा कोई पाबंदी, तुम्हारे किसी अरमानों पर
बाकी हैं जो ख्वाब तेरे , उनको भी करार कर लो ना।
तुम खफा हुई तो मना लूँगा, मैं रूठूँ तो गले लगा लेना
कम न हो कभी प्रेम हमारा, ऐसे संस्कार कर लो ना।
मुझको आगे करना दुख में, सुख में तुम आगे हो जाना
बन परछाईं तेरे साथ रहूंगा, "मुझे स्वीकार कर लो" ना।-
मेरी ये मोहब्बत किस काम की,
जो वजह ना बन पाऊँ तेरे जीने की।
बहुत दूर चला जाऊंगा तुझसे एक दिन,
जब तुझे जरूरत न होगी मेरी मौजूदगी की।
तेरे बगैर जीने की ललक तो हम में भी ना रही,
जी करता है संग तेरे आखिरी ख्वाबों में खो जाने की
या कहो तो इन बाहों में सिमटकर हमेशा के लिए सो जाने की।-