खुदा ही जाने दिल में उनके क्या छुपा है बस नजरों का खेल खेले जा रहे हैं।
इस अंदाज से नजर रखे हुए हैं मुझ पर के जैसे नजर अंदाज किये जा रहे हैं।-
ये कैसी ज़िन्दगी तूने मुझे बख़्शा रे खुदा,
न जीने की चाह है न कोई आश बचा रे खुदा।-
भूलना भी चाहूं तो किस हाल में भूलूं उसे
खुदा से पहले मेरी कसमें खाया करता था कभी-
कोई शक नहीं कि
नजरअंदाजी उसकी
तन्हा जीने का हुनर
सिखा देगी
फिर भी
कुछ छूटता नहीं
लिपटा सा जाता है
ग़म है या रिश्ते
ख़ुदा जाने।
हाथ से फिसलती
रहती है हर पहर
उम्र भर सहेजी
जो मुहब्बत जीने को
दरकती दिवारों
में कुछ उगता सा
रहता है शक है
या नागफनी
खुदा जाने !!
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मेरे दिल के दर्द को किसने देखा है,
मुझे तो सिर्फ खुदा ने तड़पते देखा है,
तन्हाई में बैठे रोते है हम,
लोगों ने तो सिर्फ हमें महफ़िल में हस्ता देखा है।-
क़लम से लिख नहीं सकता हूं, उदास दिल के अफसाने,
मैं तुम्हें दिल से याद करता हूं बाकि तुम्हारी दिल की बात खुदा जाने।।-
आज जिंदगी का बडा फैसला हैं
जिस पर मजबूत मेरा हौसला है
खुदा ही जाने आज क्या होगा,,,
यह सब खुदा का ही मसला हैं-
ना मेरी कोई मंजिल थी, ना कोई रास्ता था...
मैं तो यूहीं बेकार में अपना वक्त काट ता था
अक्सर तन्हा भटकता रहता था इन राहों में
और तुझसे इस कदर रूबरू हो गया जाने अंजाने में...
फिर तू ही मंजिल थी, और तू ही रास्ता था
खुदा जाने तुझ से क्या वास्ता था...।-
ना जाने लोग क्यों अकसर उन्हीं से दूर होते जाते है
जो उन्हें बेतहाशा मोहब्बत करते है
और पास उन्हीं के जाते है
जो उन्हें छोड़ने के बाद याद भी नहीं करते-