मेरे काफी दिन बाद घर लौटने पर खुशी से मुझे गले से लगाना
मेरा मन पसंद खाना बनाना और अपने ही हाथों से खिलाना...
बीमार होते सोते भी अपनी गोद में रख कर मेरे सर को सहलाना
पूरे दिन काम करके थके हुए भी मुझसे रात भर बतलाना...
मां यह बात तुझे बतानी है, तेरी कमी बहुत सताती है
जीतेजी तो न कह सका अब मर कर तुझे बतानी है...
ना जाने कहां चली गई हो तुम मुझे छोड़ कर
ना कुछ बताया मुझे न गई हो तुम मुझे कुछ बोल कर...
मां तुझे सब पता है की तेरे अलावा कोई नहीं समझता मुझको
जब जाना ही था तो अपने साथ ही ले जाना था मुझको...
तेरे ना रहने से लोगों की समझ हो गई है मुझे
बहुत अकेला पड़ गया हूं मां अब तेरी बहुत कमी खलती है मुझे ।।-
अर्ज़ है...
दुख जिंदगी नही दिए मैंने खुद कमाए हैं
लोग दूर नही हुए मुझसे मैने खुद गवाए हैं
अंदर से मार दिया मुझे मेरी ही वफादारी ने
बाहर से जिंदा रखा है मुझे मेरे घर की जिम्मेदारी ने ।।-
अर्ज़ है
यूं तो आदत नही मुझे अक्सर नशे में चूर रहने की
यूं तो आदत नही मुझे अक्सर नशे में चूर रहने की...
में खुद तुझसे दूर हुं, तुझे जरूरत नहीं मुझसे दूर रहने की
एक दिन वो भी आएगा की तू मुझे मिलने को तरसेगा
और मैं जा चुका होऊंगा इस जहां से और फिर तू अपनी आंखो बरसेगा ।।-
जो कर गए थे कभी बेहाल हमें
आज वही हमसे हमारा हाल पूछने आए हैं
लगता है किसी गैर से गहरी चोट खाके आए हैं...
जो न कर सके सबकी दुआ कुबूल हम वो टूटे तारे हैं
जाएं तो जाएं कहां हम तो वैसे भी तुम्हारे इश्क के मारे हैं...
लगाके सीने से तुम्हारे सब दुख दूर कर देंगे
और भर जाए जब ज़ख्म तुम्हारे तो एक इशारा सा कर देना...
तुम्हे सही सलामत फिर खुद से दूर कर देंगे ।।-
अर्ज़ किया है...
न जाने किस बात पर हो गए वो खफा मुझसे
दिन रात यही सोचता हूं ऐसी भी क्या हो गई खता मुझसे...
वो अक्सर मिलते हैं गैरों से हमे झूठ बोल कर
और एक हम हैं जो अपना दिल रखते हैं उनके सामने खोल कर...
इश्क में इंसान न जाने क्या क्या खोता है
मगर किसी अपने के बात न करने से गैर कहां कभी अपना होता है...
और वो प्यार ही कैसा जो कभी रूठा न हो
और वो दिल ही कैसा जो इश्क में कभी टूटा न हो ।।-
अर्ज़ किया है...
मैं तो वो पागल आशिक हूं न जाने कितनी बार टूटा हूं
तुझे मना मना कर अब खुद ही से रूठा हूं...
गलतियां तू करे माफी भी मैं ही मांगता था
और फिर भी तेरी तस्वीरों को अपने घर में टांगता था...
चलो क्या हुआ अगर हो गया तेरा गैरों से वास्ता
मैं तो चाह के भी भूल नही पा रहा तेरे घर का रास्ता...
उम्मीद है मुझे एक दिन लौट आएगी तू मेरे पास
मैं उफ्फ तक नही करूंगा और बना लूंगा तुझे पहले जेसा खास...
यूं तो मंडरा रहे हैं काले बादल मेरे प्यार पर
मुझे फिर भी दिखता अपना प्यार आसमानी है
कितना भी समझाले मुझे लोग,
मुझे अपनी मोहब्बत फिर भी आजमानी है...
मुझे अपनी मोहब्बत फिर भी आजमानी है।।-
अतीत किसी का अच्छा तो किसी का खराब भी होता है
अतीत किसी का अच्छा तो किसी का खराब भी होता है
कोई सुख में मगन तो कोई दुख में में बर्बाद भी होता है
अतीत भुला कर आज में खुस रहना तुझसे सीखा है हमने
तेरे जैसा हर इंसान खूबसूरत और नायब होता है।।-
अब थक सा गया हूं इस जिंदगी के झूठे दिखावे से
डर लगता है झूठे लोगों से सच्चे वादे निभाने से
अब तकलीफ सी होती है जीने में
अब नहीं छुपते ये दर्द सीने में
सोए हुए एक अरसा सा हो गया है मुझे
मां अब हो सके तो सदा के लिए अपने पास बुला लो मुझे
अपने ही पास रखो और सदा के लिए अपनी गोद में सुला लो मुझे ।।-
ऐसा नही की हमें चाहने वाले नहीं हैं इस दुनिया में...
बहुत मुश्किल और मशक्कत से बचाया था, ये दिल तुम्हारे लिए
बहुत मुश्किल और मशक्कत से बचाया था, ये दिल तुम्हारे लिए...
हमने इन्ही चाहने वालों से...
और क्या हुआ अगर तोड़ गए तुम ये दिल मेरा...
अब मोहब्बत कई गुना भड गई है इस दिल के टूट जाने से...
पहले बस इस दिल में तुम बस्ते थे
अब तो दिल के हर टुकड़े में तुम बस्ते हो...।।।-
ना मेरी कोई मंजिल थी, ना कोई रास्ता था...
मैं तो यूहीं बेकार में अपना वक्त काट ता था
अक्सर तन्हा भटकता रहता था इन राहों में
और तुझसे इस कदर रूबरू हो गया जाने अंजाने में...
फिर तू ही मंजिल थी, और तू ही रास्ता था
खुदा जाने तुझ से क्या वास्ता था...।-