Ankita Kumari  
1.7k Followers · 4 Following

Joined 10 December 2019


Joined 10 December 2019
24 JUL AT 15:18

बालों के घनत्व से
आंखों की चमक तक


सब कुछ घट रहा है,


हम ज़िंदा कहा है
जीवन तो बस कट रहा है।

-


22 JUL AT 14:28

जीवन एक संग्राम है, मेरे मन में न विराम है
जीवन की क्षणभंगुरता से ही तो मन आघात है,

इकलौते हम ही तो नहीं, यहां बाकी सब भी परेशान हैं
हार-जीत से परे यहां रिश्तों का अभिशाप है,

अनूठी इस दुनिया में, अनूठे मेरे ख़यालात हैं
अपने जीवन में हम अस्त-व्यस्त और थोड़े से हताश है।

-


19 JUL AT 17:24

मेरे हिस्से में लंबा इंतज़ार आया है,
तुम बहुत सारा वक़्त लेकर आना।

मैंने दिखाए नहीं हैं किसी को ज़ख़्म अपने,
तुम अपने साथ प्यार का मरहम लाना।

मैं रूठ कर ख़ामोश हो जाऊंगी,
तुम मुझे बड़े प्यार से मनाना।

मैं साथ छोड़ जाने को कहूंगी अक्सर,
तुम बात की गहराई समझ कर रुक जाना।

सब चले जाते है, तुम मत जाना
हर परिस्थिति में तुम मेरा साथ निभाना।

-


17 JUL AT 23:34

तेरी मेरी कहानी इसलिए भी खास है
क्योंकि इन दूरियों में भी हम साथ है।

-


16 JUL AT 14:45

कुछ कुछ शिव सा है वो
पर मैं पार्वती नहीं हूं
वो मुझे समझता है बहुत अच्छे से
पर मैं उसे जानती तक नहीं हूं,

मेरी अंधेर गलियों का वो उजाला है
पर उसके लिए अब भी
मेरे दिल पर ताला है,

वो मार्गदर्शक है मेरा
पर उसकी राहों की मैं बाधा हूं
उसमें तो मुकम्मल हूं मैं
पर ख़ुद में ही आधा हूँ,

कतरा कतरा समेट रहा है वो मझे
पर रेशा रेशा मैं बिखर रही हूं
वो पूरे मन से साथ है मेरे
पर मुझे तो पता भी नहीं है कि
मैं क्या कर रही हूं।

-


14 JUL AT 20:17

लगता है
मुझमें ही है ऐब कोई
हर रिश्ते को मैं खा जाती हूं
जिसके करीब भी जाती हूं
उसमें ही समा जाती हूं..



इक घुटन सी होती है मुझे
हर रिश्ते में
हर बार मैं खुद से ही हार जाती हूं
क्यों रहती नहीं हूं मैं कायदे में
इश्क़ में अपने दायरे भूल जाती हूं।

-


13 JUL AT 16:35

बसर हो रही है ज़िन्दगी
धीरे धीरे
जीना तो अब भूल ही गए हैं,
यहां सब तो अकेले ही हैं
सब तन्हा तन्हा रो रहे हैं,
किसको किसकी पड़ी है
सब अपना अपना भोग रहे हैं,
कल क्या था आज क्या है
और कल क्या होगा
बस इतना ही तो सोच रहे हैं।

-


10 JUL AT 0:42

मेरे आंखों में कैद हैं
मंज़र कई
मैंने देखा है बंजर कई,

ये जो दुःख की बदरी
और सुख की छांव है
इसके बीच में ही कहीं
मेरे मन का घाव है,

अब इससे परे मझे
कुछ भी चाह नहीं है
मैं रहती तो हूं यहां पर
यहां मेरा ठहराव नहीं है,

समेट कर सब कुछ यहां से
मैं कहीं और को निकल जाऊंगी
मुझे रोकेगा मेरा मन बहुत
पर मैं यहां से कहीं दूर चली जाऊंगी।

-


8 JUL AT 23:05

ज़िन्दगी से बस यही गिला है मझे
जीवन भर प्यार के बदले
बस इंतज़ार ही मिला है मझे।

-


6 JUL AT 21:35

मुझे मत पुकारो इस नाम से
मैं अब इस नाम से पहचानी नहीं जाती
मैं पहले जैसे हुआ करती थी
अब वैसे ही जानी नहीं जाती।

-


Fetching Ankita Kumari Quotes