चार दिन भी कोई दूसरा नहीं निभा सकता,
जो किरदार "मां" सारी ज़िंदगी निभाती है।— % &-
एक भिक्षुक
एक भिक्षुक पथ-पथ जाता है
झोली अपनी फैलाता है
ईश्वर को आवाज़ देकर
कुछ दाना अन्न का पाता है
हाथ में अपनी लकुटी लेके
वो आगे फिर बढ़ जाता है
सांझ सवेरे दर दर भटके
रात कोने में सो जाता है
चमड़ी उसकी कटी हुई है
आंते उसकी धसी हुई हैं
मुर्दे सा नज़र वो आता है
इंसान नही कहलाता है
धूप,छांव,बारिश,तूफ़ान
धरती, अंबर,पर्वत,पठार
सब संकट से लड़ जाता है
पर अशना से मर जाता है
एक भिक्षुक पथ-पथ जाता है
झोली अपनी फैलाता है।— % &-
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मोहब्बत
कोई हमारी तरह सारी उम्र भटकता ही रहा है।— % &-
I have 10 fingers and 1 of them for you
Choose one :- 👍🖕👎☝️
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मंज़िल क्या है अभी जानना है तुम्हें
चलो अभी बहुत दूर जाना है तुम्हें— % &-
आप सभी मित्रों को 73 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जय हिन्द जय भारत।— % &-
तुमने जो छोड़ा,कहां जाऊंगा मैं
इक दिन मौत से टकराऊंगा मैं।— % &-