ज़िंदगी तेरा मिलना भी ज़रूरी था
मेरा बहुत कुछ सीखना भी ज़रूरी था
हम यूं हीं तंजकसते रहें ज़िंदगी तुझपे तेरा
समय के साथ ग़लत सही होना भी ज़रूरी था
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हाइकु-
रूप श्रृंगार
तन धन यौवन
क्षणभंगुर।
दिखाता किसे
राजसी ठाठ बाट
सब नश्वर।
सुख खरीदो
हाट में दुनिया के
सुख मिलेंगे।
नश्वरता में
अविनाशी आतम
सुख ही सुख।
Chandrakanta
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✨क्षणभंगुर स्वप्न✨
दिन ढ़ली और शाम आया
भोजन हुई जो नींद लाया। ✍️
शायद! शयन के पश्चात
शामिल मैं मुर्दों में था!
करवटें बदलता रहा रातों
में तो लगा, जिंदा था! ✍️
अक्सर ख्वाब सुबह तक
मेरा उड़ जाया करता था।
इतनी दूर अपने परों से वह
जाया करता था, न वापसी
न कोई खत, कुछ भी न
बताया करता था, जैसे
वह कोई चंचल परिंदा था। ✍️
पूछने का वक्त ही कब मिला!
व्यस्त जीवन, अद्भुत सिलसिला।
यह स्वप्न तो है ही ऐसा दूर जाता है ये!
कभी धोखा तो कभी मूर्ख बनाता है ये! ✍️
मित्रों! दर्ख्वास्त है सपने देखा किजिए दिन में,
पूरा करने का मजा वो लेंगे जज्बात है जिनमें। ✍️-
नए नए प्रयोग कर, तू कर्मयोगी बन कर्म योग कर।
अपनी आंतरिक ऊर्जा का सकारात्मक प्रयोग कर।
बाह्य और मानसिक सभी हिदायतों का पालन कर।
जो भी मिलता है अनुभव तू उनका सदुपयोग कर।
अच्छी बातों का और आदतों को तू आत्मसात कर।
बुरी सोच, लोलुपता और कुकर्म से तू "वियोग" कर।
सुखमय हो तुम्हारा जीवन प्रकृति का उपयोग कर।
प्राकृतिक संपदाओं का कभी भी न तू उपभोग कर।
जल्दी पाने के जो रास्ते होते है वो दिग्भ्रमित करते हैं।
तू गलत का घटाव और सही का जीवन में योग कर।
तुम्हें जो भी पसंद हैं उसे ही तू अपना-सही माना कर।
अपने मन को गीता मान स्वयं को चुनाव आयोग कर।
कभी भी ऐसा न लगे "अभि" कुछ भी भाग्य से मिला।
तू कुछ ऐसा कर अपनी नियति को सफल संयोग बना।-
नश्वर है यह जीवन
कौन कब रहे ना रहे कब क्या हो जाये
हंसते गाते जां निकल जाए
कोई नहीं जानता...
जिंदगी की शाम कब ढल जाए
क्या पता...
जब तक जिएं हंसते खेलते खुश रहें
सबसे प्रेम व्यवहार से मिलें
रुपया-पैसा धन-दौलत
सब रह जायेगा धरा का धरा
नहीं पता कब निकल जाए किसकी जां
रिश्ते-नाते संगी साथी सब छूट जाएंगे
अच्छाई ही रह जायेगी एक निशां
क्षण भंगुर यह जीवन...-
इसमें सारे जहां की मिलती खुशी
जिंदगी से प्यार करो,इसका सम्मान करो
यूं न इसे बर्बाद करो
इसके एक एक पल का उपयोगकर
अच्छे काम करो
हर हाल में बहुत खूबसूरत है जिंदगी
माना क्षणभंगुर है जिंदगी पर
अपने आप में सम्पूर्ण है जिंदगी
बहुत खूबसूरत है जिंदगी-
जीवन एक प्रवाह है एक यात्रा है
जो मौत तक ले जाती है
मौत तो एक मंजिल है
जीवन के इम्तिहान में
नाकामयाब होता है वही
जो चुन लेता है अपने लिए मौत,मौत आने से पहले
यात्री को प्रवाह में बहते रहना है
जीवन की जैसी इच्छा होती है यात्रा भी वैसी ही करते रहना है
इस यात्रा में राह में कई मोड़ मिलते हैं
कई तरह के लोग मिलते हैं
हंसी,खुशी,प्यार,अपनापन,दुख,दर्द,धोखा
ये सब तो पड़ाव हैं जहां ठहरना ही होता है यात्री को
कुछ न कुछ पल
पीछे छूटते हुए अतीत को बार बार मुड़कर देखता हुआ
कुछ को सहेज कर रख लेता है पोटली में
कुछ को रौंदकर छोड़ देता है वहीं का वहीं
क्या पता कब ज़िंदगी से मिला दे कब मौत की राह दिखा दे
समय का कोई भरोसा नहीं
कभी समय साथ चलता है
कभी अंगूठा दिखाते हुए आगे बढ़ जाता है
समझदार होता है वही
जो थाम लेता है हाथ समय का, समय बीत जाने से पहले-
किसकी सांसों की डोर कब टुट जाएं ये तो कोई नहीं जानता,
जीवन एक क्षणभंगुर है ये सोच हमें हर पल जीवन का आनंद लेना चाहिए..!!!-