दिल तुमसे लगा बैठे हैं
प्रेम की राह पर सपने सजाए बैठे हैं
हर किसी ने तोड़े हैं सपने हमारे
एक तू ही है ''कन्हैया"
जिससे हम हर उम्मीद लगाए बैठे है
"राधे राधे"-
आज की मीरा
आज की मीरा प्रैक्टिकल, हकीक़त में जीती है।
विष न राणा देता है, न ही मीरा पीती है।।
न वो माथा पटकती है न दर दर भटकती है।
ससुराल या नैहर सब का मान रखती है।।
मीरा और राणा दोनों अब संग घर में रहते हैं।
कान्हे को उनके बच्चे प्यार से मामा कहते हैं।।
हर राणे में कान्हा है, हर कान्हे में राणा है।
मीरा भी समझती है मूव ऑन का जमाना है।।
कुछ मीरा और कान्हा की बात बन भी जाती है।
कुछ घर से भाग जाते हैं, कुछ की शादी हो जाती है।।
बैकुंठ धाम में कान्हा चैन से बांसुरी पकड़ता हैं।
किसी पागल के लिए अब न वो धरती पे उतरता है।-
देवकी के गर्भ से जन्म लेने के बाद भी यशोदा का नंदलाला कहलाते हैं कृष्णा
प्रेम का पथ पढ़ाने वाला हैं कृष्णा
अपने बांसुरी के धुन पर सब को नचाने वाले हैं कृष्णा
दोस्ती का परिभाषा हैं कृष्णा
तभी तो सबके प्यारे हैं मेरे कृष्णा ❤️
Happy janmashtmi to all💐-
सुनो मेरे कृष्ण कन्हैया
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तुम्हीं हो मेरे मन के साथी...
तुम्हें ज़िन्दगी ने अपना सारथी बना लिया है।
तुम्ही हो जिंदगी का सवेरा...
तुम्हें ही अपना सुरज बना लिया है।
जिंदगी के अंधेरे में हो मेरा फरिश्ता...
तुम्हें ही अपना तिमिर का उजाला बना लिया है।
ये हृदय जपता है तेरी ही माला...
तुम्हें ही संगीत का सरगम श्रृंगार बना लिया है।
लगा के मन में तेरी ही मूरत...
अपने तन को ही तेरी द्वारिका बना दिया है।
~~शिवानन्द-
बातों बातों में तुमको, एक बात बताना भूल गए
कैसे गुजरी तुम बिन ,वो रात बताना भूल गए।
एक रात सपने में तुमने, मुझको राधा बोला था
बातों बातों में हम तुमको, कृष्णा कहना भूल गए ।
उलझे उलझे बादल ने जब, नीर गगन से फेंका था
तुम संग भीगी मेरी चुनरिया, यह बताना भूल गए।
छत पर ठंडी रातों ने, तुमसे मिलन कराया था
बातों बातों में हम प्रीतम ,तुमको छूना भूल गए।।-
फूट चुकीं हैं किरणें सूरज की हो गयी है भोर,
ढूँढने लगी है राधा अपने कान्हा को चारों ओर!
बिखरी है लालिमा कोमल कोपलों पे मधुबन में,
बजा रहें हैं अपनी बाँसुरी कृष्णा बैठे उपवन में!
एक नज़र देखने को दौड़ी है राधे अपने श्याम की तरफ़,
चमक रहें श्वेत संगमरमर महल के जैसे बिछे हो बरफ़!
गूँज उठीं हैं दीवारें वो राधे की छम-छम करतीं पैंजनी है,
मृदुल हो गया है वातावरण वो कृष्णा के बंशी की मनमोहक ध्वनि है,
हो रहा प्रतीत राधा के चेहरे की ख़ुशी से की कन्हैया की आवाज़ सुनी है!-
कान्हा
मेरे कान्हा,नन्हें नन्हें क़दमों से नापे जग सारा
मोहिनी सी मूरत, मुखड़ा उनका है प्यारा
देखी जो रसखान ने उनकी सूरत
मंत्र मुग्ध से घूमे शहर शहर
हाथ में थी चरण पादुका श्याम के लिए
कुछ न खाया पिया बस एक झलक के लिए
मीरा पर भी इनकी मोहिनी थी छाई
उसने भी तो लोक लाज थी तब भुलाई
मंदिरों में दासी बनी
महलों की रानी साध्वी बनी
जहर का प्याला अमृत लगा
मन में को मोहिनी सूरत का जादू जगा
सूरदास ने भी बिन देखे दर्शन कर लिए
आंख न होते हुए भी श्री कृष्ण का वर्णन किए
अनोखी थी इनके व्यक्तित्व की माया
तभी जग में यह बालक योगेश्वर कहलाया
यादव कुल के एक ग्वाले ने कैसे
सम्पूर्ण गोवर्धन था उठाया
दिव्य गुणों की खान थे
मेरे कान्हा तो महान थे-
कृष्णा
साँवरे जलन होती है बांसुरी से
जो अधरो पर लगाए रहते हो
बहुत पीड़ा होती है मोरपंख से
जो चेहरे पर सजाएं रहते हो
मेरी जगह कहाँ है इतना बतला दो
मै कहाँ बसुं बस यह समझा दो 🌿-