शिवानन्द   (Sense of Ink)
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Joined 22 October 2018


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साथ देने में
गुरूर अपना है।

थोड़ा ही सही मगर
शुरूर अपना है ।

सफर में चला जो
जरूर अपना है।

पैमाना जीने का
मगरूर अपना है।

अदब जो महक उठी
गुरु.. समझों कपूर अपना है
~~शिवानन्द

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जो खुद से रूबरू हो जाएगा।
वह खुद का सिकंदर हो जाएगा।
ऐब बहुत है जीवन में...
मगर मंजिलों का मंजर हो जाएगा।
दुनिया देखेगी उसे ...
एक दिन वह संघर्षों का खंजर हो जाएगा।
~~शिवानन्द

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जो गहरा होकर भी सीने में उतर आया।
सहज होकर ही धड़कनों में बसर आया।

स्नेह के बेत पर...
दिया बाती होकर काले अंधेरे में जर आया।
वहीं प्रेम में लिपटकर परम्पराओं के घर आया।
~~शिवानन्द

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ये जीवन का सौदागर कहा ले आया है।
खानाबदोश, महफ़िलों में उसे डुबो लाया है।

मलंग सा मुसाफिर घर छोड़ आया है।
नादान है दो जून की रोटियां...
जिन्हें पसीने में लपेट कर तोड़ आया है।

शहर में , गांव की रवानगी को...
उठाकर माथे पर खुद का घर ढो  लाया है।
अपने गांव के घरौंदे में...
न जाने कितने उम्मीदों को बो आया है।
~~शिवानन्द

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सुर्ख नजरों में...
झपकती चंचल की सदन।
मस्त मगन में है...
झुमता मचल के बदन।
पायलों की शोर पर...
लुट रहा है दिल का चमन।
बालियों के स्पर्श ने..
धड़कनों को भेजा है समन।
केशों की तहखानों पर...
प्रेम में उलझा है सनम।
रंग मिजाज है अदाएं...
पायलों के खनक में लेती है जनम।
~~शिवानन्द

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ख्याल आया है अपने शुकून का।
मेरे बिन बुरा हाल है मेरे रंगून का।
~~शिवानन्द

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मेरा यादों का हिसाब क्या लोगे।
मेरे टुटे हुए ख्यालात के ख्वाब क्या लोगे।
हे खुदा! कुछ तो अतिप्रिय था मेरे इतने करीब...
उसके छुट जाने के बाद मुझसे मेरा नायाब क्या लोगे।
~~शिवानन्द

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किताबों की शोहबत में रोशन है जिंदगी।
कलम जब चली है अपने यौवन में...
कागज के देह पर स्याह से करी है बंदगी।
~~शिवानन्द

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अपनत्व के खो जाने पर

आवाजे दबातीं है, सन्नाटे के पांव को।
निगल जाती है आंखे, रूदन के बहाव को।

सांसों के भंवर में उछालता है दिल अपने नांव को।
खुद से सुलह करता है मन, एहसासों के छांव को।
~~शिवानन्द

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लोगों को अपने हिस्से का होने दीजिए।
बड़े सस्ते हैं...
इन्हें मयखाने का शबाब होने दीजिए।
~~शिवानन्द

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