कविता कहानी की तरह
अथाह नहीं होती
वो जानती है
शब्दों की मर्यादाएं
कुछ नदी की तरह
बहती इठलाती टकराती
कुछ बहकती सी होती है
ये कविताएं♥️
प्रेम और वेदना में गोता लगाती
बारिश की बूंदों में नहाती सी
कुछ मन को भिगो जाती
ये कविताएं ♥️
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कि मेरी एक पहचान बने
नहीं चाहिेए नभ यह सारा
पंख फैला सकूं सिर्फ
उतना आसमान... read more
रात चाहती है कि
चांद उसकी कलंकित आत्मा को
प्रकाशित कर दे ,
इसलिए चांद निकल पड़ता है
धरती की हर गली का चक्कर लगाने
कि कहीं कोई कोना छूट न जाए ,
चांद अपनी और निहारती
असंख्य आंखों को
सुकून की चिट्ठी पकड़ा देता है ,
और इस प्रकार चांद बचा लेता है
रात का अस्तित्व ।-
लहरें किनारों के लिए
संघर्ष कर शहीद हो जाती है
रात दिन के लिए अंधेरों से
संघर्ष करता है
ये एक युद्ध हैं
जो अपने ही विरुद्ध है।-
शायद मैं
कभी ना कह पाऊं
कि मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं।
कि तुम मेरी जरूरत हो।
मैं कितना भी बड़ा हो जाऊं
मेरे अंदर की आग को तुम ही हवा देती हो
एक नमी सी है अंतर्मन में तुम्हारे प्रेम की
जो मन की बगिया का फूल
हमेशा खिलाए रखती है
मां मेरे अंदर वो काबिलियत कहां
कि मैं तुम्हारे आशिर्वाद के बिना चल पाऊं
मेरा हाथ थामे रखना मां........♥️-
प्रेम की कोई
सर्वोच्च परिभाषा
हो ही नहीं सकती
प्रेम को परिभाषित की गई
प्रत्येक परिभाषा
सर्वोच्च हैं-
प्रेम कृष्ण की बासुंरी में कहां था
वो तो बासुंरी सुन
तड़प कर आ जाने वाली
गोपियों में था
कृष्ण की वो महान बासुंरी
सदैव उन गोपियों की
ऋणी रहा करेगी।-
कुछ रंग यादों का
कुछ रंग बातों का
कुछ रंग हो ना सकी कभी
उन मुलाकातों का
कुछ रंग मन में उठती प्यास का
कुछ बिन छुए एहसास का
कुछ रंग आसमान का
या रात में जगते चांद🌙 का
कैसे कहूं
कि
मन के कोरे कागजों पर
बिखरता हर रंग
मुझे तुम तक ले जाता हैं।
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मेरे भारत
तुझे नमन
हाथों में बंदूके
मन में देशप्रेम
कांधे पर रक्षा का दायित्व लेते हैं
ये सैनिक हैं इन्हें भारत कहते हैं
इनके भी परिवार है
जब कभी सावन आता होगा
घर का सूना आंगन देख
दहलीज से ही लौट जाता होगा
कई राखियां आज भी
भाई के इंतजार में
उदास बैठी होंगी
या किसी कौशल्या को इंतजार होगा
कि मेरे राम आयेंगे और
दीवाली साथ साथ मनाएंगे
हे वीर तुमने तो मां भारती का
कर्ज चुका दिया
अब ये तो बताओ कि हम
तुम्हारा कर्ज किस तरह चुकाएंगे-
दोस्ती बंधन नहीं होता
दोस्ती तो आजादी होती है
लड़ने की, झगड़ने की
रूठने की,मनाने की
अपना हक जताने की
गिर जाओ तो उठाने की
मन के पंखों को फैलाने की
एक दूसरे की याद में रोने की
एक दूसरे के दिल में होने की
दोस्ती तो आजादी होती है।
जिस दिन यह दोस्ती बंधन लगे
तो इसे तोड़ देना पर
जिस दिन यह दोस्ती आजादी लगे
तो इसे थाम लेना।।-