Nidhi Agrawal   (शब्द_निधि)
517 Followers · 135 Following

read more
Joined 21 July 2020


read more
Joined 21 July 2020
8 AUG 2023 AT 10:19

प्रेम की कोई
सर्वोच्च परिभाषा
हो ही नहीं सकती
प्रेम को परिभाषित की गई
प्रत्येक परिभाषा
सर्वोच्च हैं

-


25 JUL 2023 AT 16:22

प्रेम कृष्ण की बासुंरी में कहां था
वो तो बासुंरी सुन
तड़प कर आ जाने वाली
गोपियों में था
कृष्ण की वो महान बासुंरी
सदैव उन गोपियों की
ऋणी रहा करेगी।

-


8 MAR 2023 AT 11:30

कुछ रंग यादों का
कुछ रंग बातों का
कुछ रंग हो ना सकी कभी
उन मुलाकातों का
कुछ रंग मन में उठती प्यास का
कुछ बिन छुए एहसास का
कुछ रंग आसमान का
या रात में जगते चांद🌙 का
कैसे कहूं
कि
मन के कोरे कागजों पर
बिखरता हर रंग
मुझे तुम तक ले जाता हैं।

-


25 JAN 2023 AT 23:36

मेरे भारत
तुझे नमन
हाथों में बंदूके
मन में देशप्रेम
कांधे पर रक्षा का दायित्व लेते हैं
ये सैनिक हैं इन्हें भारत कहते हैं

इनके भी परिवार है
जब कभी सावन आता होगा
घर का सूना आंगन देख
दहलीज से ही लौट जाता होगा

कई राखियां आज भी
भाई के इंतजार में
उदास बैठी होंगी

या किसी कौशल्या को इंतजार होगा
कि मेरे राम आयेंगे और
दीवाली साथ साथ मनाएंगे

हे वीर तुमने तो मां भारती का
कर्ज चुका दिया
अब ये तो बताओ कि हम
तुम्हारा कर्ज किस तरह चुकाएंगे

-


28 DEC 2022 AT 0:22

मेरी प्यारी
सखी❤️

-


7 AUG 2022 AT 13:11

दोस्ती बंधन नहीं होता
दोस्ती तो आजादी होती है
लड़ने की, झगड़ने की
रूठने की,मनाने की
अपना हक जताने की
गिर जाओ तो उठाने की
मन के पंखों को फैलाने की
एक दूसरे की याद में रोने की
एक दूसरे के दिल में होने की
दोस्ती तो आजादी होती है।
जिस दिन यह दोस्ती बंधन लगे
तो इसे तोड़ देना पर
जिस दिन यह दोस्ती आजादी लगे
तो इसे थाम लेना।।

-


8 JAN 2022 AT 19:56

प्रेम की अनंत कविताएं लिखने के बाद
सोचा कि अब कुछ शेष रहा ही नही
फिर एक दिन मेरे आंगन के फूल पर
तितली आकर बैठ गई
मैं उसे देख मुस्कुराई
जैसे एक नई अनुभूति हुई
जैसे मुझे फिर प्रेम हुआ
और मैने फिर लिखा
प्रेम में संपूर्ण हो जाना प्रेम नही है
समर्पित हो जाना प्रेम है
उस लम्हे के प्रति
जब तुम्हे प्रेम हुआ हो

-


30 JUN 2021 AT 23:29

सूरजमुखी के जैसी
सूरज की लाल लाल रोशनियों को
मैंने घूट-घूट पीना चाहा
जानती थी सामने समंदर है
अपने छोटे से मन में
कैसे भर पाऊंगी

बड़े-बड़े पहाड़ों की
विराट ऊंचाइयों को
बूंद-बूंद लिखना चाहा
जानती थी सामने गहराई है
कैसे लिख पाऊंगी

आपकी उत्तम रचनाओं के आगे
नतमस्तक मैं🙏🏻
जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं
कैसे दे पाऊंगी✍🏻✍🏻

-


20 JUN 2021 AT 16:59

पापा अपकी ही परछाई
आपकी ही शान हूं मैं
आपकी ही जमीं के नीचे फैला
एक स्वतंत्र आसमान हूं मैं

-


19 JUN 2021 AT 17:13

प्रेम वो शब्द है
जो ब्रह्मांड में सबसे पहले गुंजा होगा
तो निर्जीव धरती पर अंकुरित हो गया होगा
जीवन का बीज

नदियां फूट पढ़ी होंगी अपने उद्गम से
दिनकर की किरणों में भर गए होंगे सतरंगी रंग
प्रेमी चांद अचानक लगाने लगा होगा
धरती की गलियों का चक्कर

सुनो सखी
अब भी गूंज रहा होगा वही स्वर
हमारे मस्तिष्क रूपी ब्रह्मांड में
तो आओ अपनी चेतना को जगाएं
क्या पता हमारे प्रेम चक्षु खुल जाए
और हम लिख सकें
असंख्य प्रेम कविताएं

-


Fetching Nidhi Agrawal Quotes