"फटा हुआ कुरता एक बार पिताजी ने अम्मा को देते हुए कहा था - "इनके रूमाल बना दो।"
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नेह के सन्दर्भ बौने हो गए होंगे मगर,
फिर भी तुम्हारे साथ मेरी भावनायें हैं...
चल रहे हैं हम पता क्या कब कहाँ कैसे मिलेंगे?
मार्ग का हर पग हमारी वास्तविकता बोलता है,
गति-नियति दोनों पता हैं उस दीवाने के हृदय को,
जो नयन में नीर लेकर पीर गाता डोलता है,
मानसी-मृग मरूथलों में खो गए होंगे मगर,
फिर भी तुम्हारे साथ मेरी योजनायें हैं...-
फिज़ा भी शोर करती है,
वो मुझसे आके कहती है,
तू जाने किस पे मरती है,
क्यूं खुदको बर्बाद करती है,
जिसे तू चांद कहती है....
कभी वो बन नहीं पाया,
जिसे तू अपना कहती है...
वो तेरा हो नहीं पाया,
जाने किस के ख़यालो में..
तू खोई रहती है,
खुद ही खुदको क्यूं...
घायल करती रहती है,
माना तू दीवानी उसकी है,
उससे प्यार करती है।
पर उम्मीद मत रखना..
अगर दिल टूट जाए तो..
कि ज़ख्म गहरा देता है,
जो दिल शीशे का होता है।।-
यहाँ सब लोग कहते है मेरी बातों में मोहब्बत है।
जो तू समझे तो चाहत है जो न समझें तो बगावत है।1।
तुम्हारी दी हुई नफरत ओ बेवफाई तुम्हारे नाम करता हूँ।
तुमने दी है जफ़ा मैं अपनी रूहानियत से तुम्हारा सम्मान करता हूँ।2।
कि कोई आशिक समझता है कोई बेचारा कहता है।
जो समझें हमको वो वाह-वाह, न समझने वाला आवारा कहता है।3।
तुम्हारी और हमारी रात में बस फर्क है इतना।
तुम्हारी सो के गुज़री है हमारी ख़्वाब पिरो के गुज़री है।4।-
बेदस्तक ही तुम चले आना रात दरीचें तक
मुझे चाँद के साथ राह तकते हुए पाओगे-
मैं कवियों का कवि 'कुमार विश्वास',
तुम एक अनसुनी कविता हो...
मैं जेठालाल सा ठरकी हूं,
तुम भोली भाली बबिता हो...-
दीप ऐसे बुझे फिर जले ही नहीं
ज़ख्म इतने मिले फिर सिले भी नहीं
व्यर्थ किस्मत पे रोने से क्या फायदा
सोच लेना कि हम तुम मिले भी नहीं।
#कुमार_विश्वास
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