लिखना चाहा था...
जिंदगी के कुछ अल्फाज़ ..
पर हर एक अल्फाज़, लिखने से पहले
तेरा ख्याल आया.. 💞-
तू एक पहेली सा है........
मुझे बिल्कुल समझ ना आ रहा है....
जितना मै सुलझाने की कोशिश कर रही...
ये उतना ही उलझता जा रहा है.....-
बहुत कुछ बिखरा बिखरा सा पड़ा है मेरे दिल में,
कुछ ख़्वाब, कुछ ख़्वाहिश,कुछ यादें,
तुम्हारी तस्वीर और मेरा मन..!-
अर्ज है...
"पलकों में आंसू और दिल में दर्द सोया है,
हंसने वालों को क्या पता,
रोने वाला किस कदर रोया है।।
यह तो बस वही जान सकता है,
मेरी तन्हाई का एहसास,
जिसने जिंदगी में किसी
को पाने से पहले खोया है।।
कुछ अच्छे शब्द....
रफ्तार नहीं जिंदगी रुकेगी,
फिर क्यों कहते हैं,
कि जिंदगी सबसे बड़ी है।।
अरे जनाब पीछे जाकर देखो,
कुछ नहीं बचा है।।
जो लोग आगे की सोच रहे हैं,
वही पर थम जाए।।-
कुछ ख्वाइशें दबाए इस दिल में,
जब रोज सुबह मैं उठता हूँ
ख़्वाबों के मन्ज़र को समेटकर
दिल की सतह मैं लिखता हूँ
मिले थे हम तुम जहाँ पहली दफ़ा
फिर से वही जगह मैं लिखता हूँ
नाराज है गर तू मुझसे तो तुझे मनाऊँ कैसे
खत में मोहब्बत की अब सुलह मैं लिखता हूँ
वापस आकर मेरे दिल के अंधेरे को उजाला करदे
आज मिलने की फिर कोई वजह मैं लिखता हूँ
कुछ नहीं तो,तेरी मोहब्बत लिखना सिखा गई
यादों को इकट्ठा करके काव्य संग्रह मैं लिखता हूँ-
ये सब बातें है औऱ बातें बिल्कुल बेमानी हैं
हर फ़र्ज़ की ख़ातिर क़ुर्बान हमारी कहानी है-
कहना चाहता हूँ कुछ
पर कहना पाता कुछ
लोग कहते है मुझको
न कहना आता कुछ-
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लोग अपनी गलती को नजरअंदाज करके ,
गलतियां दूसरों की क्या खूब गिनाते हैं
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धड़कने
एक मिठास सा हु मै तु मिला तो सही
तु एहसास है मेरा उसे जगा तो सही
तु कहता था तेरी धड़कने सुन लेता हु मैं
अब धड़कने भी बुला रही है तु आ तो सही-