Kajl Arora   (Kajl Arora)
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Joined 18 June 2019


Joined 18 June 2019
14 DEC 2021 AT 17:17

जो दिख रहा हैं सामने वो एक दृश्य मात्र है
चीख पुकार करता भयंकर विक्राल काल हैं

हँसी ठिठौली की बारातें साथ तुम कहाँ ले चले
देख तो जरा पीछे क्या क्या तुम छोड़ चले
अपने वजूद की तलाश में हम कितनी दूर निकल आये
ना जाना था उस ओर मगर बढ़ते कदम को ना रोक पाये

पन्ने यादों की किताब के अक्सर उल्टा करती हूँ
ज़िक्र तुम्हारा कर कर के बातें हसीन किया करती हूँ
सपनों की परछाईयों में बस तुमको ही निहारा करती हूँ
एहसास तुम्हारा हर पल जीवन आंसुओ की बरसात नहीँ

लिखना बहोत चाहती हूँ पर लिख़ने का अब साहस नहीं
खाली कगज मौन अधर कुछ कहने की आस नहीं
तुम्हारे बचपने की कलियां अब हमारे पास नहीं

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22 FEB 2021 AT 23:16

ओ मोरे कृष्ण मुरारी बृज में रास रचाये भारी

बरसाने में आके तुमने,प्यार का अलख जगाया
मीठी बाँसुरी के तानों से,गोपियों का मन बहकाया

ओ मोरे कृष्ण मुरारी .........
वो देखो आई राधा रानी,लेकर सखियों की टोली
सखियों को फिर ख़ूब सताया, मारी भरके पिचकारी

ओ मोरे कृष्ण मुरारी .........
अब छोड़ दे कान्हा मोरे,मत कर तू जोरा जोरी
तोरे पैर पडूं मैं, रख ले तू लाज हमारी

ओ मोरे कृष्ण मुरारी .........
देखके हालत राधा की,कान्हा मन ही मन मुस्काये
तू तो हो जान हमारी,कैसे ना रखे बात तुम्हारी

ओ मोरे कृष्ण मुरारी .........

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9 FEB 2021 AT 22:43

चॉकलेट भी कब तक मिठास देगी उन रिश्तों को
जिन रिश्तों में नीम सी कड़वाहटआ गयी हो..

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9 FEB 2021 AT 22:32

मुश्किलें आती रहेंगी

परेशानियों से उबरना आता हैं
मुश्किलो से लड़ना आता है
चले हैं सफर में अकेले ही क्योंकि
अंजाम-ए-मुकाम हासिल करना आता है

ना फ़िक्र हैं राह की,ना चाह है राहगीर की
बस हौसला हैं तूफानों से लड़ने का
और जिगर है पीड़ाओं को सहने का
क्योंकि पहाड़ो का सीना चीर
नदियों को बहाना हमें बख़ूबी आता हैं

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16 DEC 2020 AT 22:37

मेरी ख़ामोशी को तुम मजबूरी ना समझना
बातें तो बहोत हैं लेकिन उनके शब्द तुम से रूठे हैं
झुकी पलकों को ऊपर करते हुये सुरमई यादो को
दिल में संजोए, तुम्हारे बेरहम प्यार में डूबे
बोझल मन के लड़खड़ाते पागल शब्द
रोज़ सोचते हैं तुम कल फिर आओगे
इश्क़ की काली बदली ना सही
बातों की सुनहरी धूप बरसाओगे

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3 DEC 2020 AT 22:47

पल दो पल के लिए ही सही
पर मिलने जरूर आना तुम
पूरी ज़िन्दगी तेरे साथ ना हो मेरी
पर कुछ वक्त मेरे साथ गुजारना तुम

मेरी बात भले ही मत सुनना तुम
पर अपना हाल जरूर कह जाना तुम
एक इल्तज़ा हैं तुम से मेरी
जब भी आओ पूरी कर जाना तुम

हमेशा के लिए ना हो भले
चंद पल लिए के लिए ही सही
पर सिर्फ़ मेरे सिर्फ़ हो जाना तुम

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15 OCT 2020 AT 0:43

उन क़िताबों के दौर से अब बाहर आ गये ज़नाब
अब हमें किताबें नहीं जिंदगी पढ़ाती है
काम पड़ सकता हैं कभी ना कभी
आधे रिश्ते तो लोग इसी वजह से निभा रहे हैं

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17 SEP 2020 AT 18:29

हमको तन्हा कर जायेगी फिर भी
हमको मालूम हैं ये दिल तुझ पे क़ुर्बान है
तेरे आने की ख़बर फिर इन लबों पे हँसी लाएगी
चौखट पे तेरी आहट दिल को महसूस होगी
नज़रे देख के तुझको फिर से सकून से भर जायेगी
हर पल मेरा कितना हसीन है जब तू दिल के इतने करीब हैं

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16 JUL 2020 AT 20:18

महोब्बत में एक नया रंग था
अहसास आँखों से छूने का उनके बेहद ही जानशीं था
कुछ ना बोले फिर भी लफ्ज़ो में उनके कितना शोर था
उनकी दोनों बाहों मेरा तो मानो पूरा अम्बर था
ख़्वाबों को भी मिल गया एक करवा था
अब क्या कहें..ऐसा दिलनशीं हमदर्द मेरा महबूब था

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4 JUL 2020 AT 15:46

लिखे थे जो खत तुम्हें वो फाड के फेंक दीये मैंने
क्योंकि उन में जो ज़ज्बात थे वो सिर्फ मेरे थे
अब इन्हें पढ़ कर समझ सको इतना भी तुम पे वक्त कहाँ
और रूठ के तुम से दूर जा सके ऐसा भी हम में हुनर कहाँ

हर वक़्त दिल में उमड़े ख़यालो को मैंने
बड़ी ही संज़ीदगी से इन कागज़ पे उभर था
शायद तुम से ज्यादा इन्हें ही अपना साथी माना था

जो बात तुम कभी समझ ना सके उन बातों को राज़
बना के बड़ी भावुकता से अपने सीने में दबा था इन्होंने
महोब्बत के हर उसूल को दिल से निभाया हैं इन्होंने
और खेलें समझ के सब कसमों को हवा में उड़ाया हैं तुमने

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