ओ मोरे कृष्ण मुरारी बृज में रास रचाये भारी
बरसाने में आके तुमने,प्यार का अलख जगाया
मीठी बाँसुरी के तानों से,गोपियों का मन बहकाया
ओ मोरे कृष्ण मुरारी .........
वो देखो आई राधा रानी,लेकर सखियों की टोली
सखियों को फिर ख़ूब सताया, मारी भरके पिचकारी
ओ मोरे कृष्ण मुरारी .........
अब छोड़ दे कान्हा मोरे,मत कर तू जोरा जोरी
तोरे पैर पडूं मैं, रख ले तू लाज हमारी
ओ मोरे कृष्ण मुरारी .........
देखके हालत राधा की,कान्हा मन ही मन मुस्काये
तू तो हो जान हमारी,कैसे ना रखे बात तुम्हारी
ओ मोरे कृष्ण मुरारी .........
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