Shalini Pathak   (Shaलिनी"अपूर्ण ")
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Joined 15 November 2019


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21 DEC 2023 AT 13:42

सुनो! 😔

स्टोर रूम में पड़ी.....
उस उलझी हुई सी.....
रस्सी की तरह........
कुछ उलझ सी गई है......

"ज़िंदगी"

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14 JUL 2023 AT 11:33

अक्सर...
लौह की ज़ंजीरों से ,
न बँधे होकर भी हम.......
जकड़े होते हैं एक बंधन में ,
न होकर ख़ुद में स्वतंत्र.......
स्वैच्छिक........
नाचते हैं दूसरों के इशारों पे ,
देकर डोर अपनी ज़िंदगी की उन हाथों में........
घोट देतें हैं गला अपने ख्वाहिशें और ,
उन तमाम अरमानों का ........
फ़िर होकर भी दिन के उजालों में ,
ताउम्र भटकते हैं अपने..........

"अंदर के वीरानों में".........

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12 JUL 2023 AT 13:08

तुझ संग बिताए वो हर पल ,
साहब! मुझे याद आते हैं....

बैठ जाती हूँ अक्सर उठकर
रातों में ,
तुझसे दूर जाने के ख़्वाब
मुझे बहुत सताते हैं....

कैसे बताए तुझे इस दिल का हाल ,
न जाने कितने दर्द दबाए बैठे हैं....

अपने ख्वाबों में, अपनी हसरतों में
तेरे संग हसीं दुनिया बसाए बैठे हैं.....

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17 FEB 2023 AT 13:53

"आदेश" शब्द का भी
अपने आप में कुछ "महत्व" है...

इसे हर कोई अपने जीवन में
उपयोग नहीं कर सकता....😊

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4 NOV 2022 AT 12:21

"आप"
सभी तरह के अनुभव व अंतरदृष्टि,
हम सभी से साँझा करते हैं..... 😊

इसके लिए हम सब मिलकर,
आपका आभार व्यक्त करते हैं......🙏

माना! कभी सख़्त हुए हम पर,
पर वो था सिर्फ़ सिखाने के लिए.... 🙎‍♂️

हर कठिन पथ पर चलना कैसे है?
हम सभी को यह बताने के लिए.... 🏃‍♂️

आपके संदीपन से,
इन शब्दों को मैंने फ़िर आज बोया है.... 🌱

कर संगृहित कोरे पन्नों पर,
इस काव्य माला को पिरोया है.....📝

बाहर से थोड़ा सख़्त,
मग़र दिल के बड़े प्यारे हैं.....❤

जी हाँ! ये कोई और नहीं,
"Batra" सर हमारे हैं...... ✍️

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16 OCT 2022 AT 22:14

इन हाथों की शोभा बढ़ाने वाली...
खिलती मेहंदी का रंग......
और फ़िर कुछ ही दिनों में......
उन्हीं हाथों की शोभा कम करने वाली.....
उतरती मेहंदी का रंग भी.....
गवाह है कि.....
कुछ लोग कुछ पल के लिए....
ज़िंदगी में.....
खुशियाँ लेकर आयेंगे ज़रूर......
मग़र जब जायेंगे न.....
तो तुम खुद में हर पल झाँकोगे.....
और ताउम्र पछताओगे
"बेरंग" ज़िंदगी के लिए...
न रंग चढ़ने के "सुख" का एहसास. . .
और न तो कोई रंग उतरने का.....
"दुःख ".........

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2 OCT 2022 AT 15:57

मेरे प्रिय ! "कोरा कागज़",
बन हमेशा मेरे " हृदयेश "
तुमने बहुत साथ निभाया मेरा
जब भी, जो भी,
"भावनाएँ" थी मेरे दिल में
आज तक मैंने वो सब कुछ
" अवरोहन " कर तुम पर
तुममें ही " संगृहित " कर दिया
फिर आज़ क्यूँ?
आख़िर क्यूँ आज ही
मेरे " दिल में पनपते " हुए
इन " एहसासों " के .....
" भावनाओं "के.....
अल्फ़ाज़ों को तुममे
"संग्रहित" करने की क्षमता नहीं
क्या तुम भी उनके तरह....
कुछ " ख़फ़ा " हो हमसे?????

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28 SEP 2022 AT 18:38

कितनी मासूम हैं ये ,
इनमे हुस्न की मासूमियत समाई है.....🥰
बात मेरे तक ही नहीं यारों ,
न जाने कितनों के मन को लुभाई हैं......🥰

सोच कर इनके बारे में ,
हर पल कुछ लिखना चाहूँ मैं ....🥰
जो पूर्ण करें तारीफ़ इनकी ,
वो अल्फ़ाज़ कहाँ से लाऊँ मैं .....🥰

व्यवहार और प्रकृति की ,
एक संभव विशेषता है ये ..... 🥰
"विनम्रता" से सभी का सम्मान करने वाली ,
जी हाँ ! कोई और नहीं ❤"नम्रता"❤हैं ये....🥰

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11 SEP 2022 AT 22:11

" बंधुआ "

लगायी जाती थी पहले " मोहरें "
हाथों पर
इंसानों के द्वारा इंसानों पर...

लगते ही निशान
हो जाते थे लोग "बंधुआ "

ठीक उसी प्रकार, आज भी...
बिना लगे मोहरें

हो जाते हैं लोग "बंधुआ",
जब आश्रित हो जाते हैं औरों पर....

हो जाती हैं "नीलाम"
"चाहतें" सारी
और रख गिरवी अपने "ख्वाबों" को

रह जाते हैं ताउम्र "बंधुआ" बनकर

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27 JUN 2022 AT 13:36

लड़की! क्या लड़की होना एक अभिशाप है?
गर नही! फ़िर क्यूँ लोग कहते हैं?
अरे ये लड़की नही पाप है....😔😔

ज़्यादा बोलना नही, ज़ोरों से हँसना नही
देखो! तुम एक लड़की हो
इन सब के लिए आख़िर लड़की ही क्यूँ बदनाम है?

क्यूँ अपने गहनो मे 'वो' दर्द को पिरोती😒
अपना कल, आज और कल
सिर्फ़ एक लड़की है क्यूँ खोती है?🥺🥺

टूटकर बगीचे से, सबकी ज़िंदगी को महकाया है
अरे! अरे! ये लड़की है😏
आख़िर धन तो ये पराया है 😔😔...

बिना एक औरत के ज़िंदगी तो क्या,
अधूरा हर नाम है
फ़िर औरत ही क्यूँ मर्दों की गुलाम है... 😐😐

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