वास्ता
हकिकत का बोझ इतना सस्ता नहीं रहता।
बिछड़ जाने के बाद उस गली में रास्ता नहीं रहता।
जो कभी हमदम हमसाया रहता हैं।
बाद में उसी से ही कोई वास्ता नहीं रहता।-
#vickypoetry #Mr_khayal
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ओस ❄
याद आऊंगा हमेशा मुलाकात हूँ मैं।
तुमको बिन बताये । तुम्हारे पास हूँ मैं।
ठंड जैसे आई तुम बरसात को भुल गये।
सर्द मौसम में ओस बनकर साथ रहूंगा बरसात हूँ मैं।-
महसूस
हर पल तुमको खुश करना चाहता हूँ।
तुम्हारी यादों को अपने पास महफूज करना चाहता हूँ।
तुम दूर से ही सही अपनी आहटें तो भेजो।
उसे छुकर तुम्हे महसूस करना चाहता हूँ।
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तारीख
किस बात की हमें सीख दे रहे हो तुम।
क्यूँ ये सितम इतना बारीक दे रहे हो तुम।
क्या बात है अब तुम अदालत बन गये हो
अब हमे तारीख पर तारीख दे रहे हो तुम।-
स्याही
अपनी बाहों में भर कर अगड़ाई बन जाओ।
कदम तेरे साथ चलेंगे हमराही बन जाओ।
लिखते लिखते अगुंलिया ठहर सी गई है
तुम मेरे शब्दों की स्याही बन जाओ।-
गजल
शब्दों को जोड़ कर मैंने गजल कर दिया है।
उसने आज फिर किसी का कतल कर दिया है।
मैंने मांगा था खुदा से उसको हिस्से में अपने
उसने मुझे ही अपनीं जिदंगी से बेदखल कर दिया है।
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ख्वाहिश
कैद ना कर अपने निगाहों में मैं छुट भी सकता हूँ।
मनाना आता है ना तुम्हे मैं तुमसे रुठ भी सकता हूँ।
मांग लो आसमां को देखकर कोई ख्वाहिश अपनी।
मैं वो तारा हूँ जो तेरी ख्वाहिशों के लिए टुट भी सकता हूँ।-
बरसात
किसी पन्नें को अधुरा छोड़ दूँ
उस पन्नें पर लिखी वो बात हूँ क्या।
हर किसी के ख्यालो मे आ जाऊँ
वो सर्दी की रात हूँ क्या।
हकीकत ये नहीं कि हर बात बताये किसी को
हर बार बहक जाऊँ जजबात हूँ क्या।
उसने कहा ''vicky'' तुम मिल कर रूकते नहीं हो
भीगा कर छोड़ दूंगा मै बरसात हूँ क्या।-
इशारा
हवाओं को रोक मत इन्हें गवारा कर दें।
ये जो तेरा हैं उसे हमारा कर दें।
उतरते दे मेरे कबुतरो को छत पर तेरे
तु छत पर आकर बस इशारा कर दे।-
नाम
बह चला ये हवा किसी शाम की ओर।
मनचला दिल उड़ चला एक जाम कि ओर।
कहीं महफिल मे पुकारा किसी ने नाम उसका
मैं पलटकर देखने लगा उस नाम की ओर।-