ऐसी कोई साज़िश
कभी कुदरत हमारे
लिए भी करदे,
कसम खुदा की,
ये मौका हम किसी
कीमत पर ना छोड़ेंगे।-
क़भी किसी से मोहब्बत
बेइंतहा ना करना ...
हम बहुत तड़पे है... ज़नाब
आप ना तड़फना 💔💔-
तुम एक बार रोते हो
मेरा ❤️ दिल 100 बार टूटता है
तुम्हारे बिना कसम से
खुली हवा में भी दम घुटता है-
तुम इतना अच्छा लिखती हो, कसम से
प्यार हो गया है, तुम्हारी कलम से-
ग़लती हमारी थीं
जो दिल को काबू ना किया
मोहब्बत तो बहुत थीं ,आपसे
पर क़भी ज़िक्र ना किया..-
जब से उसने..
'मेरे सर पर हाथ रख कर' अपनी 'वफ़ा की कसमें' खाईं हैं, न..
...हाँ, तब से ही बीमार हूँ, 'मैं' इश्क़ में..-
नज़रंदाज़ भी करता है , नज़र भी रखता है
वो इन दिनों मेरी , कुछ यूँ भी ख़बर रखता है
न जाने कैसी मुहब्बत है , उस सितमगर की,
जान ले लेता है , जिंदा भी मगर रखता है ;
रोज खाता है कसम , अब न इधर आऊँगा ,
मेरे ही कूचे में , लेकिन वो गुज़र रखता है ;
उसी के आने से बदलते हैं आजकल मौसम ,
वो अपनी नज़रों में इतना तो असर रखता है ...-
आजकल शायरी से ज्यादा अक्सर हम चर्चे में रहते है।
क्योंकि गर्लफ्रैंड के साथ भी कम खर्चे में रहते है।।
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अगर कोई एक भी दुआ करता
पक्का खुदा तक चली जाती
खुदा कसम ये जिंदगी सँवर जाती-