Prìñçë Jåíßwäl   (चिराग़💔)
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Joined 22 October 2019


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Joined 22 October 2019
8 OCT 2022 AT 16:08

हर शाम ढलकर थक गया होगा
सूरज निकलकर थक गया होगा

जरुरी नहीं साजिशन बुझा हो चराग
मुमकिन है जलकर थक गया होगा

अब वो अपना लिबास नहीं बदलता
शायद चेहरा बदलकर थक गया होगा

मेरी तरफ़ अब पत्थर आयेंगे देखना
हां, कीचड़ उछलकर थक गया होगा

आज बहुत बेकाबू क्यूं है वो शख़्स
रोज़ संभल-संभलकर थक गया होगा

उसे मिल गया कोई इसलिए रुक गया
मुझे लगा वो चलकर थक गया होगा

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30 SEP 2022 AT 8:07

लोग दिल लगाकर परेशान-से रहते हैं
हम अकेले हैं साहिब इत्मीनान से रहते हैं

जो जान हुआ करते थे महफिलों की कभी
तन्हाई में वही लोग अब बेजान-से रहते हैं

हाथ जोड़ते हैं आकर गाड़ी बंगले वाले
चुनावी मौसम में गरीब बड़े शान से रहते हैं

अजीब है न साहब ये शहरों का दस्तूर
दीवारें सटी हैं लोग अनजान से रहते है

अब न कहिए फकत बेटी को परायी
घरों में बेटे भी अब मेहमान से रहते हैं

नहीं मांगते इज्ज़त बाप का नाम बताकर
इस जहां में हम अपनी पहचान से रहते हैं

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12 SEP 2022 AT 17:44

कुछ खरीदने की चाहत में, खुद बिक जाओ...😅
खुद को इतना मत तराशो, कि मिट जाओ..💔

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9 AUG 2022 AT 15:21

खुशी खड़ी रही उम्र भर दहलीज पर मिरे
मैंने गम को अपने अंदर से जाने ना दिया

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1 AUG 2022 AT 10:44

इक खुशी की तलाश में क्या निकले...
सारे गमों को ख़बर लग गई 😄😅

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16 JUN 2022 AT 19:42

अजीब कशमकश है देखें तो क्या देखें...😍
चांद को देखें या आपका चेहरा देखे...❤️❤️

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23 MAY 2022 AT 19:48

खुदा न करे हम इतने मुतमईन हो जाए
कि फिर किसी बेवफ़ा पर यकीन हो जाए

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11 MAY 2022 AT 10:48

रूक- रुककर उठती है, आह दिल से
चाहकर भी नहीं जाती है, चाह दिल से
आबाद है बेशक, मेरे चेहरे का शहर
मगर हो चुके है जर्जर, तबाह दिल से

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7 MAY 2022 AT 14:10

मौत का चेहरा मुझे साफ साफ याद है...
इतनी बार उसको इतने करीब से देखा है

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6 MAY 2022 AT 10:04

कोई बददुआ है या किसी की बुरी नज़र..
मेरी मोहब्बत बड़ी कमजोर हो गई है

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