QUOTES ON #कविता

#कविता quotes

Trending | Latest
21 OCT 2019 AT 5:23

वह कैसे कहेगी – हाँ!
हाँ कहेंगे
उसके अनुरक्त नेत्र
उसके उदग्र-उत्सुक कुचाग्र
उसकी देह की चकित धूप
उसके आर्द्र अधर
कहेंगे – हाँ
वह कैसे कहेगी – हाँ ?

-


8 APR 2021 AT 23:05

बहुत टलती रही है
तारीख़ .. लिखने की कविता
इंतज़ार ख़त्म नहीं होता
तारीख़ों से कलेण्डर बदल जाता है
कविता को किस का इंतज़ार है
ये मुझे नहीं मालूम
लेकिन मैं ये जानती हूँ .. कविता इंतज़ार में है
तारीख़ों के बदलने से पहले से
कविता रोज़ कलेण्डर के हर पन्ने को
दस दस बार पलटती है .. और लौट आती है
शुरुआत के पन्ने पर
साल दर साल .. कलेण्डर बदलते गए
तारीखें भी
कविता लेकिन बदली नहीं
एक एक शब्द संजोया उसने
जस का तस
इंतज़ार में तारीख़ के .. लिखने की कविता
अब कह लो तो कह लो
समय के हिसाब से जो नहीं बदलते
पीछे रह जाते है .. गुमनामी के किसी अंधेरे में
कविता सुनती सब है
लेकिन इंतज़ार में है
लिखने के .. कहे जाने के
और वो मरने से पहले तो
लिखी जाएगी कही जाएगी
ये वो जानती है

-


10 AUG 2019 AT 14:10

कवि बदल सकता है कमीज़
हर बार मौसम की अनुकूलता के समान
ताप सहता है तो ठिठुरता भी है
निकाल लेता है छतरी मानसून से पहले
पर कविता होती ही है बड़ी ढीठ
लिखे गए भाव से न पढ़ी गई गर
तो कर ही डालती है अर्थ का अनर्थ,
दिखती रहती हैं कवि की जड़ें
और कविता को पहचानते हैं हम
उस पर उगे फूलों से
नमी चुराती है वो हमारी, तुम्हारी आंखों से,
नहीं रहता कभी कवि का बसंत एक सा
पर कविता का मधुमास तो एक ही होना है
बहुत तल्लीनता अवशोषित करती है कलम
एक कविता बनाने में
वहीं कवि लिख देता है कभी भी कुछ भी
कविता कवि का वह जोखिम है
जो पहनने से पहले कवि
कलफ़ लगाता है शब्दों का
इत्र लगाता है भावों का
तब कहीं रचती है एक सुंदर कविता.

-


22 DEC 2019 AT 17:02

कविता
जो जन्म लेती है अंतर्मन में
विचार रूपी बीज से
कवि उसे धारण करता है
भावनाओं के गर्भ में
समय के साथ पोषित होती है
और
विकसित होते हैं उसके कोमल अंग
छंद, अलंकार, रस और श्रृंगार
फिर किसी स्याह रात में
जन्म लेती है
नवजात कविता,

जरा सोचो...
कितना सुखद होता होगा कवि होना!!

-


29 NOV 2017 AT 0:13

बस "कविता" ना कह इन्हें
ये शमशान है मेरे ख़्वाबों का।
जो आँखों से बह नहीं सकते
ये बाँध है उन सैलाबों का।

-


25 OCT 2019 AT 7:11

जब महाप्राण ने महाकवि की नकल की

-


31 MAR 2020 AT 11:04



चलो कुछ गलतियाँ सुधार लें,
इस मोहब्बत से थोड़ा समय उधार लें ,

कब से मशरुफ हैं एक दुसरे को चाहने मे,
बरसों गुजार दिये एक ल्फज् (love) का मान बचाने मे ,

चलो अब इस वादे को तोड़ दो,
ना करो फिक्र मुझे तड़पता छोड़ दो,

सुना है बिछड़ने से रिस्ता मजबूत होता है,
कद्र उसी की होती है जो खुद से दूर होता है.

आज हम भी वही करें और रूठ जायें,
कि कुछ पल के लिये तेरा मुझसे नाता टूट जाये,

शायद इस ल्फज् में कुछ वजन आ जाये,
कि रिश्तों में कुछ अपनापन आ जाये,

शायद हो जाये ये अधूरापन कम,
शायद "रवि" ही हो फिर तुम्हारा हमदम,

तो चलो कुछ पल के लिए चाहत को मार लें,
इस मोहब्बत से थोड़ा समय उधार लें

-


22 APR 2020 AT 13:26

तुम ईश्वर के जैसे ही हो!
शून्य में विलीन,
अदृश्य... अप्रकट।

मैं तप में लीन हूँ,
निश्चिंत हूँ...
अपनी ही प्रेम साधना में।

अब शरीर की इच्छा नहीं,
वियोग में तप कर
प्रेम वासनाओं के परे हो गया है।

-


2 JUN 2019 AT 19:14

Paid Content

-


10 JUN 2019 AT 11:18

शब्द मर रहे हैं
बेमौत मर रहे हैं
बेख़ौफ़ होने की ललक थी पर
बेबस मर रहे हैं
कवि की मौत पर बुद्धिमानों ने
तालियाँ पीटीं
छातियाँ पीटीं
बटोर-बटोर कर ढोल पीटे,
मरसिये लिखे, शोध लिखे
उस कवि के शब्द मरने लगे
किसी के मुँह से
आह नहीं निकली
किसी की बुद्धि पर
शिकन नहीं दिखी
अब जहां तक नजर जाती है
हर किसी के सूखते गले में
शब्द घुटन के मारे
बाहर निकलने की जद्दोजहद में
दम तोड़ते दिखाई पड़ते हैं

-