चलो कुछ गलतियाँ सुधार लें,
इस मोहब्बत से थोड़ा समय उधार लें ,
कब से मशरुफ हैं एक दुसरे को चाहने मे,
बरसों गुजार दिये एक ल्फज् (love) का मान बचाने मे ,
चलो अब इस वादे को तोड़ दो,
ना करो फिक्र मुझे तड़पता छोड़ दो,
सुना है बिछड़ने से रिस्ता मजबूत होता है,
कद्र उसी की होती है जो खुद से दूर होता है.
आज हम भी वही करें और रूठ जायें,
कि कुछ पल के लिये तेरा मुझसे नाता टूट जाये,
शायद इस ल्फज् में कुछ वजन आ जाये,
कि रिश्तों में कुछ अपनापन आ जाये,
शायद हो जाये ये अधूरापन कम,
शायद "रवि" ही हो फिर तुम्हारा हमदम,
तो चलो कुछ पल के लिए चाहत को मार लें,
इस मोहब्बत से थोड़ा समय उधार लें
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