अनंत घृणा होना भी तो,
कोने में प्रेम के वास का प्रमाण है।
मरणासन्न होना भी तो,
थोड़े बहुत जीवित होने का प्रमाण है।
हाथ ख़ाली होना भी तो,
कर्म की प्रेरणा का प्रमाण है।
और सब की संवेदना का लोप होने पर
अपनी भावुकता का संरक्षण भी तो,
आदमी होने का प्रमाण है।
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ट्रांसफर के परवानों से त्रस्त है,
विस्थापन के हालातों से पस्त है।
फिर भी हमारा रिश्ता हर साल नये शहर आता है,
मैं और तुम गुज़र जाते हैं और समय ठहर जाता है।-
talk about constraints
unfair society, family pressures
easy for me, i'm a woman
nobody talks about 'his' inhibitions
self-control that's expected of him
at all times
yes, all.
have you been barred from breaking down?
or expressing love?
it is both adorable and heartbreaking
to see him sneak a kiss
from behind a screen
looking away immediately to see
if someone caught him
being vulnerably mine for a split second
-akanksha-
बाहर देखा, अब शोर नहीं है
शांति भी तो नहीं है
ये सन्नाटा ऐसा व्याप्त है
जैसे मरघट पर
सब शव बैठें हों
बिना बोले,
बस भूमि की ओर ताकते हों
हमारी-तुम्हारी कितनी ही बातें
सुनते बहरी हुईं दीवारें
जिनसे इतने स्वर सर टकराकर
बैठे हैं अब माथा पकड़ कर
यह एक बात, एक यही आशा
आंगन में औंधी पड़ी जो
घायल, पराजित, मरणासन्न
पैरों पर मेरे
खून थूककर
कह गई है
"मुझे कोलाहल दो"-
इस शहर की बसावट को कोई क्या कहे
माचिस की डिबियों से बनी इमारतों में
तीलियों की तरह आदमी भरे जाते हैं
4×4 की बालकनियों में बच्चे बड़े हो जाते हैं
परले घर कोई छींके तो भी कान खड़े हो जाते हैं-
तसले के अंदर
राख में बची आग
अब ठंडी हो रही है
खटिया पर
दो सुईयों के बीच अधूरा पड़ा
हाथ का बुना स्वेटर
टसुए बहा रहा है
वापसी की गाड़ी ने
धीरे से रफ्तार पकड़ ली है
एक घर उबासी लेकर
फिर से खंडहर बन रहा है-
"यह शहर हमें जितना देता है,
बदले में उससे कहीं ज़्यादा हम से ले लेता है..."
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