ख़ुशियों में और ग़म में भी,
पतझड़ में और बहार में भी,
साथ निभायेंगे हर जगह,
इस पार भी उस पार भी,
चाँद सितारे तो बस कहने की बातें है,
ये दिल भी तुम्हारा ये जान भी।
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खुद ही खुद का सिकंदर हुँ मैं,
जटिल पर सरल सा अंदर हुँ मैं,
पास आओ तो डूबने को... read more
कत्ल करके पूछते हैं .......हाल क्या है?,
कह दूं उसे कातिल, मेरी मजाल क्या है,
वो भोली है, नादां है का हवाला देकर,
इल्जाम हमी पर रख दो सवाल क्या है,-
शीतल हूँ मैं नीर सा .....ना ताब दो मुझे तुम,
होती है जलन भाप की आग से भी जयादा!-
लौटा है वो फिर से........शहर में शायद,
फिर दर्द उठा फिर जख्म निखरने लगा !-
नोटों की खुशबू कैसी भी हो,
सिक्कों का पलड़ा आज भी भारी है!
बदुआएं देते थे जो मुझे भेंट में,
आज वही हमारे आभारी हैं!-
ना गुनाह किया हैं ना जीने की सजा माँगता हूँ
आज तुझसे मेरे होने की वजह माँगता हूँ
कल मिलाया था तो आज बिछड़ने का इशारा ना दे
ऐ खुदा, उसके बिना नहीं जहां मांगता हूँ ,-
पूछते तो अपना दिल-ए-हाल कहता,
तुम्हे जवाब, खुद को सवाल कहता,-
गहरी तन्हाझील सी नजर आती है तेरी आंखे ,
तू लाख छुपाये पर सारा राज बताती है तेरी आंखे,
है छेड़ती जब हवा तेरी जुल्फो को अपना समझ कर ,
छुप जाती है घटाओं (जुल्फ) मे शर्माकर तेरी आंखे ,
आ जाती है तेरे चेहरे पर भी वो नूर की रौनक ,
आइने मे जो तुझे प्यार से देखे तेरी आंखे,
बेखौफ़ रहता है तेरी पलको से लिपट के ये काजल ,
जैसे हर बुरी नजर से उसे बचाती है तेरी आंखे,-
मजदूर क्युँँ मजबूर:-
दुनिया का घर मैंने बनाया,
फिर क्यु घर से दूर हुँ मै,
ठेस दिया क्या तुमको भगवन,
या क्युकी मजदूर हुँ मै,
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14th may 2020-