वक़्त की कश्ती पर हम
कुछ इस कदर सवार हुए
अपनी ज़िन्दगी गवाँ कर भी
वक़्त हम तेरे कर्जदार हुए
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उजाले के त्यौहार में भी अंधेरा है
इस झोपड़ी में भी कोई वजूद ठहरा है
बस ज़रूरत है उसे कुछ काम की
क्यूकि वो किसी का कर्जदार गहरा है-
एक किसान पेड़ लगा रहा था
उसके पांच वर्ष के बेटे ने कहा बाबा
हम पेड़ क्यूं लगाते हैं????
किसान ने कहा:--बेटा तू भी पेड़ लगाना,
ये पेड़ जो होते हैं,वो इंसान का अन्त तक
साथ निभाते हैं!!!
पिछले कुछ वर्षों से बाढ़, सुखा और कर्ज कि
परेशानी से जूझ रहे उस किसान ने
उसी पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली..!!!
"वो किसान सच कहता था,
पेड़ अंत तक साथ निभाएगा"..!!!
:--स्तुति
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बहुत जख्म दे रही है जिंदगी......
शायद अब ये दर्द की अमानत हो गई,
यूं मिलकर जो कोशिश की थी तुमने,
शायद इसीलिए आज जमानत हो गई।
वरना परिंदों से कैद होते हम आज भी,
खुली हवा में जिंदगी तो आसान हो गई।
शुक्रगुजार हूं आपका क्या कहूं मैं अब,
यू जिंदगी आपकी कर्जदार हो गई।
ना कोई शिकवा है ना शिकायत,
बस इस कायनात में इनायत हो गई।
जहां में खुश रह के खुशहाली बांटो,
बदहाली तो भंवरों से दूर हो गई।-
मौसमी मिजाज़ गुलजार कर गए..
वो थोड़ा सा मुस्कुराकर हमें कर्जदार कर गए..!!-
कर्जदार हूं मैं उसके इश्क का "सुशी",
ऊपर से पगली चाय पिला रही है।-
दुःखों को
हर वक़्त
लगत क्रम
से......
अपने बहुत
नजदीक बुला
रही हूँ मैं !!
असल में
इन दुर्लभ
शाम ओ सहर
में एकत्व
लिए बस
सजगता से
कर्मों का
कर्ज चुका
रही हूँ मैं .....
मुक्त होने को!!-
कर्ज दार हो गए थे
हम अपनी ही मुस्कुराहट के...
जो हमारे रिश्ते को तोड़
के तूने हमे रुलाया 💔
क्या कहे तुम्हे अब
पूरा कर्ज एक बार मे ही उतार लिया...-