मौसम की गर्माहट भी दिल को सुकून देती है
गर परिवार साथ हो तो हर चुनौती मंजूर होती है-
क्या पता भरी महफ़िल में तुम्हारा ही सिर झुक गया... read more
फूल मुहब्बत में देते हैं लोग मगर
मैं चाहूँगा तुमसे तुलसी मिल जाये
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ठहर जाओ न कुछ देर और मेरे पास
हलक़ में बात थी ये ••••• ख़ैर अच्छा है
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ज़िंदगी तो है सफ़र हर अजनबी से बोलिएगा
ज़िंदगी ने क्या सिखाया ज़िंदगी से बोलिएगा
मैं समंदर हूँ सभी आ कर नदी मुझ से मिलेंगी
गर तुम्हें कुछ बोलना हो तो नदी से बोलिएगा
आपकी उम्मीद से ज़्यादा नहीं हूँ आज कुछ भी
क्या भरोसा कल का सो शाइस्तगी से बोलिएगा
मत कभी इसमें रियायत माँगने की सोचना तुम
दोष को अपने सदा शर्मिंदगी से बोलिएगा
क्या वजह ऐसी रही उनकी तुम्हारी बन न पाई
वो भी सोचें तुम भी सोचो फिर किसी से बोलिएगा
फैसले कुछ तो बदल जाते हैं पैसे से मगर, हाँ
झूठ सच जो भी हो बस आवारगी से बोलिएगा
आप तो अश'आर से अपने हमें आज़ाद कर दो
बात अपने बीच की यूँ मत सभी से बोलिएगा-
हरी हमारे प्यार को झंडी मिल जाये
जॉब मुझे जिस दिन सरकारी मिल जाये
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बड़ा ही ख़ाली बैठे रहते हो ना तुम
मुहब्बत में उतरते •••• ख़ैर अच्छा है
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यारों दोस्त तुम्हारा अब तक सिंगल है
दुआ करो तुमको अब भाभी मिल जाये-
"लगा कुछ रोज़ से इक शेर कहने में
मैं अटका हूँ अभी पहले ही मिसरे में"-