उसका आना दुआ, जाना हादसा लगता है।
उसके बिना मेरा दिल, अब कहाँ लगता है।
वो साहिल था और मैं टूटा हुआ एक कस्ती,
कस्ती टूटा हुआ साहिल पर कहाँ लगता है।
वही एक शख़्स जो समझता था मुझको,
वही मुझसे आज कल बदगुमां लगता है।
वही शख़्स जो मुझको सुलझाने चला था,
वही शख़्स जमाने भर से उलझा लगता है।
वो चाहता था कोई उसके दिल से न खेले,
पर उसे मेरा दिल तो खिलौना लगता है।
वो भी तो हुआ होगा मुझे खोने से तन्हा,
खाली उसके भी दिल का मकां लगता है।
उसने खो कर मुझे पा लिया होगा सबकुछ,
पर उसका भी दिल ग़मज़दा लगता है।
होती रहती है दिल के दीवारों में गुफ्तगू,
सूना सूना दिल का आशियां लगता है।
ख़ैर, हम तो बिछड़ के भी बिखरे नही हैं,
वो शख़्स मुझे बिखरा हुआ लगता है।
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