बिछड़ के तुम ये रिश्ता भूल जाना,
तुम मेरे घर का रास्ता भूल जाना।
एक उम्र तक था जो हमारे दरम्यान,
तुम हमारा वो राब्ता भूल जाना।
भूलने को तो होंगे कई शब लेकिन,
तुमसे जो था वो वाबस्ता भूल जाना।
एक बार में तो मुझे भूल पाना मुमकिन नही,
यूँ करना, मुझे आहिस्ता आहिस्ता भूल जाना।
-
वर्ना हमने भी कभी इश्क़ को ख़ुदा माना था
वास्ता न था उनसे एक अरसे से,
लगा था उनके दिल मे ख़म बहुत है।
जिनसे ताल्लुक नही था एक वक्त से,
उनके जाने का दिल मे ग़म बहुत है।
उनका गले लगाना था मरहम जैसा,
पर उनकी जुदाई का ज़ख्म बहुत है।
लगा न था उनसे मिलेंगे तो बोलेंगे भी,
बिछड़ते हुए दोनों की आँखे नम बहुत है।
-
होठों पर तबस्सुम दिल मे रवानी चाहिए,
किरदार के लिए मुझे एक कहानी चाहिए।
लोग सब कुछ भूल जा रहे हैं आज कल,
याद रहे ताउम्र ऐसी एक निशानी चाहिए।
सूखे पड़े पड़े कहीँ पत्थर के न हो जाएं,
आँसुओं के लिए आंखों में पानी चाहिए।
तुमसे नही है किसी सौगात की ख्वाहिश,
वापस अब बस मुझे मेरी जवानी चाहिए।
ले ले वापस सारे सलीके मुझसे ऐ ज़िन्दगी,
मुझे बस मेरे बचपन की शैतानी चाहिए।
-
ज़ख्म मिलते रहे दिल भरता नही,
बड़ा बेगैरत हूँ मर के भी मरता नही।
वो छोड़ गया मुझको सरे राह तन्हा,
तब से खड़ा हूँ वहीं आगे बढ़ता नही।
कसर तो नही छोड़ी जमाने ने मगर,
टूट के चूर चूर हो गया बिखरता नही।
बड़े सलीके से किया वार दिल पर,
अब कोई खंजर दिल में उतरता नही।
उसने चुन लिया है कोई मेहबूब नया,
इस टूटे दिल से तो कोई गुज़रता नही।
उसके लौटने की उम्मीद भी क्या करें,
जो शख़्स मुझसे प्यार करता नही।-
उसका आना दुआ, जाना हादसा लगता है।
उसके बिना मेरा दिल, अब कहाँ लगता है।
वो साहिल था और मैं टूटा हुआ एक कस्ती,
कस्ती टूटा हुआ साहिल पर कहाँ लगता है।
वही एक शख़्स जो समझता था मुझको,
वही मुझसे आज कल बदगुमां लगता है।
वही शख़्स जो मुझको सुलझाने चला था,
वही शख़्स जमाने भर से उलझा लगता है।
वो चाहता था कोई उसके दिल से न खेले,
पर उसे मेरा दिल तो खिलौना लगता है।
वो भी तो हुआ होगा मुझे खोने से तन्हा,
खाली उसके भी दिल का मकां लगता है।
उसने खो कर मुझे पा लिया होगा सबकुछ,
पर उसका भी दिल ग़मज़दा लगता है।
होती रहती है दिल के दीवारों में गुफ्तगू,
सूना सूना दिल का आशियां लगता है।
ख़ैर, हम तो बिछड़ के भी बिखरे नही हैं,
वो शख़्स मुझे बिखरा हुआ लगता है।-
ताउम्र मुझे वो शाम याद रहेगा,
कानों में गूँजता नाम याद रहेगा।
एक टिस जो उभरी थी दिल में,
इश्क़ का वो अंजाम याद रहेगा।
आँखों में उठती समंदर सी लहरें,
दिल में जलता मसान याद रहेगा।
भूल जाऊं चाहे ठिकाना अपना,
तुम्हारा पुराना मकान याद रहेगा।
न भूल पाए हैं न भूल पाएंगे कभी,
तु याद रहेगा, तेरा निशान याद रहेगा।
-
कुछ पल की थी ज़िन्दगी अपनी,
कुछ पल का था फ़साना अपना।
कुछ पल के थे हम जमाने भर के,
कुछ पल का था जमाना अपना।
कुछ पल ठहरे थे हम सफ़र में,
कुछ पल का था ठिकाना अपना।
कुछ पल का था मेरा राब्ता उनसे,
कुछ पल का था आना जाना अपना।
कुछ पल की थी दिल्लगी उनको,
कुछ पल का था मुस्कुराना अपना।
कुछ पल की थी मुहब्बत उनसे,
कुछ पल का था मर जाना अपना।-
हर वक़्त बेवजह मुस्कुराते हुए,
हम थक गए हैं ग़म छुपाते हुए।
जख्मों की नुमाइश भी अच्छी नही,
लोग थकते नही नमक लगाते हुए।
रोने का सलीका हमे शायद नही हैं,
लोग हँसते हैं मुझको रुलाते हुए।
अपनों की हमे परख होने लगी है,
एक उम्र गुज़री है चोट खाते हुए।
हमारे बाद भी कोई गुज़रेगा यहाँ से,
राह के कांटो को चल रहे है हटाते हुए।
खुद के हाथों में सौ ज़ख्म हो गए है,
फटी चादर ज़िन्दगी की सजाते हुए।
बड़े मायूस थे यार रुख्सत के वक़्त,
दिल रो पड़ा उन्हें गले से लगाते हुए।
तेरे शहर ने मुझसे सब कुछ ले लिया,
अब लौट रहे हैं जान भी लुटाते हुए।-
दिल की उलझन बढ़ाना जरूरी है क्या,
छोड़ जाने के लिये बहाना जरूरी है क्या।
मिल जाये जब नए दोस्त किसी को,
फिर वही दोस्त पुराना जरूरी है क्या।
साथ हो के भी ग़र साथ न रहे कोई,
ऐसा रिश्ता निभाना जरूरी है क्या।
जब मुहब्बत ना हो दिल में किसी के लिए,
उसे झूठा प्यार दिखाना जरूरी है क्या।
वो सख्स जो तुम्हारे लिए जान तक दे दे,
उसे बार बार आजमाना जरूरी है क्या।
उस सख्स से कोई वास्ता न रहा 'विवेक'
उसके शहर आना जाना जरूरी है क्या।-
तुम्हे सबसे छुपा के रखना है,
अपने दिल में बसा के रखना है।
जब तक तुम मेरे पास हो,
तुम्हे अपना बना के रखना है।
कुछ बातें तुम्हे पता हो शायद,
कुछ से अनजान बना के रखना है।
नासमझ हो तुम इस दुनिया से,
लोगों के खम से बचा के रखना है।
मैं आईना नही हूँ जो सब सच कहें,
झूठ से तुम्हारी दूरी बना के रखना है।
-