प्यार का तज्रबा हर किसी को कभी न कभी होता हैं।
कोई इससे निखरता है तो वहीं कोई बिखर जाता हैं।
प्यार एक आग है जिसमें जला कर ख़ाक करने की भी
क्षमता है और कोई इससे ख़ुद को रौशन कर जाता हैं।
अच्छे भले लोग हँसते-गाते हैं अपनी ज़िंदगी जीते हैं चैन
से और ये कमबख़्त इश्क़ ज़िंदगी बदरंग कर जाता हैं।
ज़रा सोच समझकर ही चलना इस इश्क़ की राहों में ओ
मेरे साथी, बड़े से बड़ा खिलाड़ी भी क़ुर्बान हो जाता हैं।
एक अजीब सा खिंचाव-आकर्षण होता हैं इस मोहब्बत
के इंद्रजाल में, हर एक शिकार यूँही खींचा चला जाता हैं।
क्या समझदार क्या मूर्ख और क्या होशियार, अच्छा खासा
बुद्धिमान इंसान भी इस मुए इश्क़ में बे-मौत मारा जाता हैं।
अरे हमारी क्या ही गिनती है "अभि", कि इस इश्क़ के
मैदान-ए-जंग में तो राजा महाराजा भी फ़कीर हो जाता हैं।
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