Samar Anand  
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लिखना मेरा शौक नहीं, मेरी आदत है
यही मेरी माशूका है, यही मोहब्बत है।

A Journalist !!
Joined 28 January 2018


लिखना मेरा शौक नहीं, मेरी आदत है
यही मेरी माशूका है, यही मोहब्बत है।

A Journalist !!
Joined 28 January 2018
5 JUL AT 0:03

इस ब्रह्मांड में कुछ भी स्थायी नहीं,
ना वक़्त, ना ज़िंदगी, ना लोग, ना रिश्ते।

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4 JUL AT 17:28

वो जो अपने हर पहर कभी पीपल,
कभी बरगद की छाँव में बिताया करते हैं

वो जो आवारगी के मद में
शहर भर को आजमाया करते हैं

वो जिन्हें कश्ती और लहर दोनों से मोहब्बत हो
मैंने सुना है, अक्सर भँवर में डूब जाया करते हैं

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3 JUL AT 19:02

अब दरिया उफनता नहीं
बहुत आराम से, धीरे-धीरे सलीके से बहता है

तुम जिसे ढूँढ रहे हो रईसों की महफ़िल में
मैंने सुना है वो अब किसी वीराने में रहता है

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2 JUL AT 15:31

ये जो मेहबूब मेरा मोहब्बत का दावा करता है
ये मोहब्बत नहीं करता, बस दिखावा करता है।

कातिब बन लिखता है हर अश'आर मुझपे,
बड़ी अदाकारी से लफ्ज़ों संग छलावा करता है।

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30 JUN AT 9:58

कोरे पन्नों की कोई कहानी नहीं होती,
मोहब्बत तन-मन की छुअन होती है,
हाथों का स्पर्श होता है, महज़ ज़ुबानी नहीं होती।

कोई पूछे उनसे, तुमने देखा है किसी की रुह को?
वो जो कहते हैं मोहब्बत जिस्मानी नहीं होती।

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25 JUN AT 15:27

चाँद परदे में नहीं,
आसमान में बदरी छाई है।

तू मेरी शक्ल में ना देख मुझे,
ये मैं नहीं, मेरी परछाई है।

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25 JUN AT 14:57

आवारगी की इजाज़त नहीं
मुझे बंदगी की आदत नहीं

जिस्म बेताब है कबसे मिलने को
और दिल को उससे मोहब्बत नहीं

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18 JUN AT 11:58

उसे बखूबी इल्म है हकीकत-ए-इश्क की
तभी वो जिस्म और हवस की बात करती है।

ना, वो अब दिल्लगी नहीं करती वफादारों से
वो शहर के दीवानों संग मुलाकात करती है।

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17 JUN AT 21:36

ये किस दौर में वफ़ा ढूँढने चले हो समर
अगर खरीदार रईस हो
तो यहाँ लोग कौड़ियों में बिक जाते हैं।

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11 JUN AT 9:38

समंदर उस मुसाफिर पर नजरअंदाजी का आरोप लगाता है
जो साहिल पे बैठकर दिन-रात लहरों को ताकता रहता है।

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