वो पहली नज़र का प्यार, तुम्हें याद तो होगा,
कैसे किया दिल-ए-इज़हार, तुम्हें याद तो होगा.
ले गई होगी दिल तुम्हारा, तुम्हें याद तो होगा,
छिन गया होगा रूह- ए- सुकूँ, तुम्हें याद तो होगा.
मुड़कर देखा होगा पीछे दुबारा, तुम्हें याद तो होगा,
देख उसे,की होगी कोई शरारत,तुम्हें याद तो होगा.
इस दिल ने, भरी होगी आहें ,तुम्हें याद तो होगा,
टकराई होगी,वो कहीं भीड़ में,तुम्हें याद तो होगा.
वो जिस जगह, तुम मिले होगे, तुम्हें याद तो होगा,
लिखे होंगे, उसकी याद में खत, तुम्हें याद तो होगा.
तलाशा होगा, फ़िर उसे तुमने, कहीं याद तो होगा,
बन गया होगा, कोई फ़साना, तुम्हें याद तो होगा.
तन्हा बैठे, किया होगा याद उसे,तुम्हें याद तो होगा,
दिल ने की होगी,मिलने की फ़रियाद,तुम्हें याद तो होगा.
बह निकले होंगे, आँखों से आँसू, तुम्हें याद तो होगा,
होगी उसमे, ऐसी कोई भी बात, तुम्हें याद तो होगा.
पहली नज़र का,वो आख़िरी प्यार,तुम्हें याद तो होगा,
किया होगा तुमने, दिल-ए-इक़रार,तुम्हें याद तो होगा .
-डॉ मंजू जुनेजा (2/5/2025)-
वो कहता था तुम्हारा रोता हुआ चेहरा भी म... read more
रूठ जाना भले ही तुम, मुझसे बात ना करना,
कहना नहीं कभी भी अलविदा, बात से डरना.
मोहब्बत में थोड़ी सी, नोक- झोंक तो चलती है ,
पर मुझे जिंदगी में कभी, ख़ुद से जुदा ना करना.
बातों के सिलसिले ,दरम्यान यूँही जारी रखना,
मेरी इस बात से तुम, कभी भी इन्कार ना करना .
अलविदा कह कर कभी, मुझसे जुदा मत होना,
थम जाएगी साँसे मिरी वही, ऐसा ज़ुल्म ना करना .
खोना नहीं चाहती हूँ, जिंदगी में फ़िर पाकर तुम्हें,
निभाना उम्र भर साथ मेरा, झूठा वादा ना करना.
जितनी भी,ज़िस्म में साँसे चलती हैं, सिर्फ़ तुमसे,
जिंदगी में मेरे दर्द का, कभी सबब तुम ना बनना .
डॉ मंजू जुनेजा (2/5/2025)
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दिल इस क़दर, बे-काबू हुआ जाता है,
ये बस तेरी और, खिंचा चला आता है.
तड़प कर ,रह जाता है यह दिल मेरा ,
तेरी आरज़ू में , बेताब हुआ जाता है.
जिस तरफ़ भी, उठती हैं यह निगाहें ,
बस तेरा चेहरा, सामने नजर आता है.
इस क़दर मोहब्बत है, तुमसे बे- पनाह,
इस दिल की, तड़प में, तू ही समाता है.
रात भर तेरी याद में ,जागती है आँखे ,
तुझे सोच कर, ये दिल मेरा घबराता है .
जब भी आता है ,मिलने ख्वाब में कभी ,
ख्वाब में आकर, तू बहुत मुझे रुलाता है.
कभी देखो ,इधर उठा कर निगाहें अपनी,
तड़प में तुम हो, तुम्हें नजर कहाँ आता है.
डॉ मंजू जुनेजा (28/4/2025)
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बहुत अजीज है हमे, हर ख़ुशी तुम्हारी ,
तुम्हारे बिना नहीं कटती, जिंदगी हमारी .
बड़े नाज़ से तुम्हें ,पाल-पोश बड़ा किया ,
तुम दुनियाँ में बन आयी, क़िस्मत हमारी.
तुम्हारे होने से ही, घर में रौनक रहती है,
तुम्हारे बिना क्या है, यह जिंदगी हमारी.
कभी रूठना ना हमसे ,गर भूल हो जाए,
माता-पिता हैं हम, माफ़ करना भूल हमारी.
गर हमारी परवरिश में, कहीं रह गयी हो कमी,
तुम्हारे सामने झुक कर ,गलती मानते हमारी.
ज़रूरी नहीं माँ- बाप, गलती कर नहीं सकते,
कहीं न कहीं जिंदगी में, कमी रहती है हमारी.
दुआ करते हैं तुम्हें, दुनियाँ की हर ख़ुशी मिले,
हो इनायत उस रब की,दुआ,फूले-फले हमारी.
चूमे क़दम, तुम्हारे सदा ऊँचाइयों को, जीवन में,
तुम्हारे लिए सदा, यही दिली, ख्वाहिश हमारी.
तुम रहो स्वस्थ, और खुशहाल हो जीवन तुम्हारा,
तुम, घर आंगन की बगिया का, फूल हो हमारी .
-डॉ मंजू जुनेजा 27/42025)-
तेरी जिंदगी में लौट के, अब ना आयेंगे,
दो चाहे कितनी सदा, के अब ना आएगें.
ख़ुद ही किया, यह रास्ता तुमने कुबूल ,
तेरे इंतज़ार में ना कभी, पलके बिछाएगें.
पूछोगे कभी मुझसे ,दिल का हाल मेरा,
पी जाएगे दर्द अपना, कुछ ना बताएंगे.
खुलकर हँसते रहेगें, महफ़िल में मगर,
तेरे सामने कभी भी, ना आँसू बहाएगें.
मर जाएंगे जिंदगी में ,जीते तन्हा मगर,
तुमको, कभी भी ना, यूँ अवाज लगाएंगे.
दुआ करना, मुझे ,बहुत जल्द मौत आए,
फ़िर तुम्हें, कभी ना आके, ऐसे सत्ताएंगे.
मिट जाएगा, जहां से, नामोनिशान मेरा,
अपनी बेतुकी बातों से, ना फ़िर रुलाएगे.
-डॉ मंजू जुनेजा (26/4/2025)-
हर लम्हा, हर पल तुझे याद करेगें,
तुझसे मिलने की ,फ़रियाद करेगें.
सुनकर, दिल की सदा, चले आना,
तुझसे दिल का, जहां आबाद करेगें .
तू नहीं मिला मुझे, अगर जिंदगी में,
तुझ पर ही ये,दिल-ए-बरबाद करेगें .
समझेंगे, तेरे क़ाबिल नहीं थे कभी,
तेरे प्यार में, ख़ुद को नाशाद करेगें.
तलाशेंगे तुझे, इस महफ़िल में सदा,
तुझे दिल के बंधन से, आज़ाद करेगें.
उठ जाता है यकीं ,दिल टूटने के बाद ,
फ़िर भी, तुझ पर ही, यूँ एतमाद करेगें.
-डॉ मंजू जुनेजा (24/4/2025)
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बस यादें तेरी याद रहीं, तुझसे मिलने की फ़रियाद रही,
होंठों पे बस तेरा नाम रहा, जिंदगी मेरी यूँ बरबाद रही .
दिल-ओ-जान से यूँ चाहा मैंने ,चाहत में कहाँ कमी रही,
जब- जब तुझे मैंने याद किया, आँखों में मेरी नमी रही .
ता -उम्र यूँही, यह दिल मिरा, सुलगता रहा तेरी याद में ,
उठती रहीं लपटें दिल में, जलता रहा विरह की आग में .
कितने दिलों की चाहत था ,कितने दिलों की धड़कन था ,
एक तुझसे रिश्ता पाक रहा, बस जानता मेरा अंतर्मन था .
जब से देखा तुझको मैंने, तेरा हो बैठा, ये नादां दिल मेरा ,
बस गयी तू मेरी नस- नस में ,तूने ही डाला दिल में डेरा .
-डॉ मंजू जुनेजा( 24/4/2025)
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