जब से तु मेरी, जिंदगी में, शामिल हुई है,
तब से मेरी जिंदगी, किसी क़ाबिल हुई है.
तुम्हारा आना, जिंदगी में सुकूँ से कम नहीं,
तुम्हें देख कर, मेरे दिल ने यूँ ली अंगड़ाई है.
तुम्हारा, हसीन साथ पाकर, मैं खुश हूँ बहुत,
रहना संग साये की तरह ,तू मेरी परछाईं है.
जब से तेरा, मेरी जिंदगी में, आमद हुआ है,
रौशन हुआ मेरा जहां, तुझसे ही आशनाई है .
तुम्हें पाकर,जिंदगी मेरी ये,अब मुकम्मल हुई,
बजी दिल में मेरे बस, तेरे प्यार की शहनाई है.
तुम्हारे रुख़सार पर, अजब सा ख़ुदा का नूर है,
नशा बन तू मेरी, रग-रग में इस क़दर समाई है.
डॉ मंजू जुनेजा (20/9/2025)
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वो कहता था तुम्हारा रोता हुआ चेहरा भी म... read more
मत रख मन पर बोझ, ये दुनियाँ मुसाफ़िर खाना है,
है आई आज बारी मेरी,जाने कल किसको जाना है.
डॉ मंजू जुनेजा (20/92025)-
राहों की मुश्किलें,तू हंसकर पार करता जा!
जीवन की हर मुश्किलें, आसान करता जा!!
चला है राह पर, तो आएगी कठिनाइयां!
मत हार तू हिम्मत, स्वीकार करता जा !!
एक दिन, जीत होगी तेरी निश्चित!
राह में हर राही को, सलाम करता जा !!
देख कर रास्ते की बाधाएं ,मत घबराना तू !
हौंसले से लेना काम, ख़ुद पर विश्वास करता जा!!
कहीं- कहीं जीवन में ,राहें, होंगी पथरीली!
होंगे पैर लहू लोहान, सूरज की तरह तपता जा!!
निखर कर बनेगा ,इक दिन, तू कुंदन !
कर कर्म अपना ,ख़ुद को आबाद करता जा!!
-डॉ मंजू जुनेजा (19/9/2025)
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माँ का प्यार होता अनमोल !
इन्हें कभी शब्दों में ना तोल !!
माँ के प्रति गहरा प्रेम,
जब रूह से निकलता है !
गहरे ज़ज्बात बन,
ह्रदय से प्रेम रस बरसता है!!
फूट पड़ते हैं अंकुर रूह के!
सागर की तरह प्रेम छलकता है !!
बहती आँखों से अश्रु की धार !
प्रेम रस आँखों से झलकता है !!
मन निर्मल पावन होता गंगा सा !
भीतर से और भी निखरता है !!
फूट पड़ते रूह से बन शब्दों के झरने !
तभी रंग रूप दमकता है !!
चेहरे पर उतर आती कांति सी आभा !
कुदरत के रूप से सँवरता है !!
माँ के लिए बाहरी शब्द पड़ जाते फीके !
माँ के लिए ह्रदय से प्रेम उपजता है !!
माँ ना हो दुनियाँ में जब !
माँ के बिना सब सुना सा लगता है !!
डॉ मंजू जुनेजा (18/9/2025)-
चाहत में सिर्फ़ दिल होते हैं,
दिल मे सिर्फ़ धड़कन होती है .
धड़कता है दिल बस उसी के नाम से ,
उसी के नाम से सहर उसी के नाम से शब होती है.
होते नही चाहत में इम्तेहान,
जहा इम्तेहान होती है वहाँ चाहत नही होती.
जरा पूछो चाहने वालो से ,
चाहत के सिवा दिल मे कोई आरज़ू नही होती है
सच कहती है मंजू,
चाहत में इम्तेहान कहाँ !
चाहत ही दिल की सच्ची इबादत होती है.
डॉ मंजू जुनेजा (17/9/2025)-
परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, सब्र से काम लो !
मत खोओ अपना आपा, मन में अपने ठान लो !!
सब्र से काम लेने से, बिखरते घर बच जाते हैं !
घर टूटते देर नहीं लगती, एक दूजे को थाम लो !!
जो भी है जितना भी हैं, सब में एक सब्र रखो!
देता है, वो रब सबको भर झोलीया ,ये मान लो !!
बन जाते हैं, जिंदगी में बिगड़े काम, सब्र रखने से!
मत छोड़ो कर्म अपना, ये बात तुम भी जान लो !!
सुनो सबकी बात गौर से ,जाने कब काम आ जाए !
अगर करे, कोई बच्चा भी बड़ी बात, तो ग्यान लो !!
डॉ मंजू जुनेजा (16/92025)-
सर पर खुला आसमाँ है, बैठी हूँ , सितारों के नीचे ,
जो गुज़र गया ज़माना, देखती नहीं हूँ पीछे मुड़ के .
जीना है मुझे , ख़ुद को हर हाल में, खुश रखना है,
देखे हैं , टूटते हुए सितारे ,आसमाँ से भी जुड़ के.
डॉ मंजू जुनेजा (16/9/2025)-
उतर कर जब जब देखा, अपने दिल की गहराई में ,
दिल नहाया, अपने ही भीतर की, सुन्दर रोशनाई में.
निकला हर बार,नायाब हीरा,जब भी खाया गोता,
बड़ा आनंद आने लगा, इस दिल में गोता खाने में.
मिली आत्मा जब जाकर, उस परम परमात्मा से ,
नहीं चाहिए ये दुनियाँ मुझे, अब उसका हो जाने दे.
क्या रखा है ज़माने में, सिर्फ़ दर्द-ओ-ग़म के सिवा,
मत बनना मेरी राह में बाधा, मुझे उसमे डूब जाने दे.
दिल की गहराई में ही, बसती है मेरी प्यारी कुदरत,
मेरी प्यारी कुदरत के चरणों में, मुझे शीष झुकाने दे.
उसके सिवा मेरा, इस भरी दुनियाँ में कोई भी नहीं,
थामी है उसने उंगली मेरी, मुझे हाथ पकड़वाने दे .
दिल के भीतर से, इस जहां में सुन्दर कोई घर नहीं,
मुझे अपने दिल के भीतर ही ,सुन्दर सा घर बसाने दे.
-डॉ मंजू जुनेजा (15/5/2025)-
वो मासूम सी हँसी,अब भी मेरे,कानों में गूंजती है,
मिलती नहीं कहीं भी तुम, तुम्हें मेरी, नज़र ढूंढती है.
एक वक़्त था ,कभी भी दूर नहीं हुई तुम मुझसे,
कहां ढूंढू तुम्हें अब, किसी से तेरा पता पूछती हैं.
तेरी यादें ही बन गई हैं, अब मेरे जीने की बजह ,
जब भी तुम आती हो याद ,आँखे तुम्हें ही खोजती हैं.
भुलाए भूलता नहीं, तुम्हारे साथ, वो गुजरा ज़माना,
इन निगाहों के सामने, बस तेरी ही तस्वीर घूमती है.
फ़ना हो जाऊँगा मैं ,तेरी, मोहब्बत में इस क़दर,
आकर देख इक बार, तेरे बिना, मेरी साँसे टूटती हैं.
आती हो जब भी, रात कभी, मेरे इन ख्वाबों में तुम,
पलक खुलते ही, घर के हर गोशे में, तुम्हें खोजती हैं.
-डॉ मंजू जुनेजा (15/9/2025))-
मत पूछ, कितने टुकड़े, हुए इस दिल के!
जब से तूने, जिंदगी से किनारा कर लिया!!
डॉ मंजू जुनेजा (15/9/2025)-