Hemant-
किसी जमाने मेरा अजीज हुआ करता था... read more
चार हजार पन्द्रह दिन हो गये है तेरी-मेरी यारी के
अदब से बात करते ,इन पाक दिलों की वफादारी के
फासले सैकड़ों मील है हमारे दरमियान जानिब
फिर भी किस्से लाज़वाब दोनों की तलबगारी के !!
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एक हसरत पाल रखी है हमने सीने मे 'साहिल'
ग्यारह बरस से जिससे इश्क है, ना जाने कब हासिल हो जाएं ।
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तज़लील पे तज़लील किए जा रहे हैं महफ़िल में हमें
वो जिनके बिस्तर की सिलवटों में कई शख्स रोंदे गए
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वक्त ने दिया जो घाव वो कब का भर गया
एक तुमसे मिला हिज्र तो घाव फिर उभर गया
दगा गर एक दफा होता भूल जाते हेमन्त
जिसके रगों में दगा हो तो फिर वो नज़र से उतर गया
ख्वाहिशें हजारों हमनें भी शिद्दत से पूरी की
जब मन भर गया तो फिर जाने वो किधर गया
उसके जाने से जियादा तो आने का ग़म खा गया
वो जिस जगह भी गया नये सनम कर गया
लोग कहते भी थे बार - बार उसे भूल जा हेमन्त
मगर भूलने की कोशिश में उसे यारों हेमन्त मर गया ।
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2 साल iphone चला रहे थे
उसमे योरकोट वाला ये पेज खुला ही नहीं।
अब जब Android फोन लिया है, तो इत्तेफाकन ये पेज खुला है।
इन दो सालों के अन्तराल में योरकोट और योरकोट के कुछ खास
साथियों को बहुत याद किए।
अब आ गए हैं तो फिर नया और बेहतर सफर तय करेंगे।
शुक्रिया @yourquote टीम
जय हिंद 🇮🇳🙏
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कोहिनूर सा नायाब मेरा यार
हर अदा जिसकी हसीं है
सबसे जुदा और दिलकशी है
सारा शहर जिसे देखने को है बे-करार
ऐसा.. दिखावे से दूर मेरा प्यार ।
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यक़ीन ग़र नही खुद पे तो यक़ीन कर
नामुमकिन कुछ नही होता यक़ीन कर
ग़ैरों के हिसाब से भला कब तक चलेगा
बेशक तू भी ख़ुदा का बंदा है यक़ीन कर
कि तुझको ये ज़माना तेरे बाद ढूँढेगा
सारे वहम तोड़ दे यार बस यक़ीन कर
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