(❤️"मेरे कब्र तक तुम आना"❤️)
आज मैं हूं
कल मैं रहूं या न रहूं
कल तुम्हें बोल न अलविदा
इस दुनियां से चली जाऊं,,,
ढूंढोगे तुम मुझे पर
दूर दूर तक मैं कही नज़र न आऊं
तब न रोना तुम मेरे लिए
मैं जो बन खुदगर्ज छोड़ गई तुझे,,,
याद कभी तुझे आऊं मैं
आसमां में उन हजारों तारों को देखना
जब पहचान न पाओ मुझे
मेरे कब्र तक तुम आना,,,,
तुम क्या जानोगे मैं तेरे लिए कितना रोई हूं
तुमसे बिछड़ा आसान नहीं था
फ़िर भी तुझे छोड़ मैं अाई हूं,,,,
सारे शिकायतें छोड़ो तुम
मेरे वर्षी के दिन मेरे
कब्र पर एक गुलाब चढ़ा देना
सुकून मिलेगी मेरी रूह को
समय के साथ तुम मुझे भूल जाना,,,,
- M k
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