हिंदुस्तानी घास खा, दूध दे रही गाय
अंग्रेज़ी में पी रहा, बैठा 'कपटी' चाय..-
भाई छोटा है या बड़ा
यह कोई अहम मुद्दा नहीं।
सोचना बस यह चाहिए
कि वह कपटी, लालची
और अवसरवादी तो नहीं?
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आज तुझे तो कल किसी और को
....गम-ए-दिल बयां करेगी वो
नित नए पैंतरे आजमाती है
आज यह काम ना आया तो
कल फिर कुछ नया करेगी वो...।-
ये जो कपटी कल्पना के तुम हो,
खूब लुभावने थोड़े संगीन बेहद रँगीन से कोई हो।।
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विश्वास में हो जाए अगर कमी
तो आंखों में आ जाती है नमी,
विश्वास है अगर नाजुक फूल
रखो बचाके उड़ते द्वंद के धूल,
रखो सरंक्षित विश्वास के सुगंध
वरना अविश्वास फैलाता है गंध,
सुलक्षणों को विश्वास है उपहार
कप्टियों के लिए बस ये ब्यवहार......-
मैं उसे सच समज्ञ रही थी ,पर वो तो एक छलावा निकला,
साधु के भागवा वेश में, वो तो एक कपटी निकला..
मुझे इस माया के भंवर में वो थोड़ा सच्चा लगा था,
पर अब पता चला वो भी एक मुखोटा लगायें हुऐ था,
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झूठ को सच बनाकर
परोसना ही सबसे
बड़ा कपटी चातुर्य होता है!!-