शोर भरे दिन, और सन्नाटे भरी रातो के बीच,
एक सुकून भरी शाम भी जरूरी है,
आसामानी दिन ,और काली रातों के बीच,
एक गुलाबी शाम भी जरूरी है...
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हमारा इश्क भी कुछ बदलो सा था...
मैने उसे पकड़ना चाहा,
और वो मेरे हाथों से छुटा गया...-
छोड़ा कर सब मोह माया,
तुम खुद से प्रेम करना सिखा लो,
छोड़ मंजिलों की महत्वाकांक्षा,
तुम खुद को रास्तों में ढूंढ लो,
तब समझा लेना तुम चल रहे हो,
वो पथ है अंतिम रास्ता...-
तेरी जमीन पर मेने अपने आप को,
पत्ज़र में टूटते पत्तो की तरह बिखेर दिया..
और अब ये जमीन कहती है पत्तो से,
तूने मुझ तक पहुंचाती सूरज की किरणों को रोक दिया...-
तुझे कदर नहीं ना मेरे इंतेज़ार की,
जा छोड़ दिया मेने आज से ही...
तुझे पर अपना वक्त खर्च करना,
अब तू ही आना मुझे से तेरे लिए मेरा वक्त मांगने..
तुझे कदर नहीं ना मेरे गुस्से की,
जा छोड़ दिया मेने आज से ही,
तुझे पर अपना गुस्सा जातना,
अब तू ही आना मेरे गुस्से में छुपे प्यार को ढूंढने...
तुझे कदर नहीं ना मेरे आशुओं की,
जा छोड़ दिया मेने आज से ही,
तुझे पर अपने आशु बहाना,
अब तू ही आना मेरे आशुओं में खुद को ढूंढने..
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खो गए है ख्याल मेरे, उसके ख्यालों में..
पर उसके ख्यालों में तो, मेरा एक ख्याल भी नहीं...-
# सफर_लिखने का
अपने मन में आते विचारो को कविता में बया करना,
और कविताओं के जरिए खुद को बया करना..
यूं शब्दों से खेलना शुरू हुआ था,
कुछ सात साल पहले........
मेरा कविता लिखना यूं शुरू हुआ था,
कुछ सात साल पहले........
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क्यों किताबो में लिखा है, क्यों शायरों ने कहा है,
की इश्क गुलाबी होता है......
आजा पता चला मुझे इस बात का पता...
जब मिलता है सूरज चांद से...
तब उनका इश्क बया ये आसमान कुछ यूंही करता है...
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