तनय मोह
करके सूनी गोद
मसली कली-
मौत से लड़ जिंदगी में फिर से मुस्कुराई है,
हां उनकी ही वजह से जिनकी वो परछाई है....❤❤
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बेटी करे पुकार है तुझसे,कोख से देती दुहाई,
मुझको भी तो जीने दे,हे नानी की जायी।
पापा का नाम करूँगी रौशन,करूँगी खूब पढ़ाई,
तेरे भी कामों में मइया हाथ मैं दूँगी बँटाई।
तुझसे कभी न करूँगी माँ मैं तो कोई लड़ाई,
भले ही दे दे भैया को मेरे हिस्से की मिठाई।
बेटी करे पुकार है तुझसे...........।
उस दिन तरसेगा मइया मेरे लिए मेरा भाई,
राखी के दिन भी उसकी गर सूनी रहे कलाई।
उसका मुखड़ा माँ तुझसे भी तब देखा न जाई,
भैया की खातिर मुझको जन्म तूँ दे दे माई।
बेटी करे पुकार है तुझसे.........।-
राम चंद कह गये सिया से
ऎसा कलयुग आयेगा,
लड़की ना मिलेगी ब्याह को
लड़का मुहँ ताकत रह जायेगा..
राम नाम जपता फ़िरा तब भी भला ना होय,
दहेज लेके शादी करत तुझसे गरीब ना कोय-
मैं गर होती तो कितना जीती,
मैं गर होती तो कितना जीतती,
मैं गर होती तो कितना पाती,
मैं गर होती तो कितना रूठती,
मैं गर होती तो कितना सोचती,
मैं गर होती तो कितना खेलती
मैं नहीं हूँ आज लेकिन
मैं गर होती तो कितना समेटती।
मैं गर होती तो क्या शाम होती,
मैं गर होती तो क्या शमा होती,
मैं गर होती तो क्या रिश्तों की मोती होती,
मैं गर होती तो क्या आलिंगन की माला होती,
मैं गर होती तो क्या मीठी तक़दीर होती,
मैं गर होती तो क्या एक आग मेरे सीने की भी होती,
मैं नहीं हूँ आज लेकिन
मैं गर होती तो एक वजूद मेरी मिट्टी की भी होती।
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बेटी
न मार उसे वो भी एक नन्ही सी जान है।
बेटी का होना यँहा होता एक वरदान है।
उसके होने से ही तो तेरे घर की शान है।
न मार उसे वो भी नन्हीं सी एक जान है।
बेटी तो है कुल का गौरव,
बेटी ही तो मान है।
बेटी तो है दीप की जयोति,
बेटी ही तो आन है।
न मार उसे वो भी एक नन्हीं सी जान है।
बेटी तो अभिमान है तेरा,
बेटी तो सम्मान है।
बेटी ना है बोझ किसी पर
वह तो आसमान में उड़ते,
पंछी के समान है।
ना मार उसे
वो भी एक नन्हीं सी जान है।
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हुआ मुमकिन अगर तो, बचा लेना मुझे मरने से माँ
जन्म लेने देना मुझको, आने देना इस जग में माँ
सबकी सुनी है अब तक तूने, मेरी भी तू सुन ले माँ
बिलख रही हूँ कोख में तेरी, मैं डर-डर हर पल मरती माँ
पनप पाऊँ मैं भी अच्छे से, आश्वस्त मुझे तू कर दे माँ
जीने का अधिकार दे दे, हूँ चाहती मुस्काना मैं भी माँ
हुआ मुमकिन अगर तो, बचा लेना मुझे मरने से माँ
बनना चाहती हूँ फूल मैं भी, रोकना मत मुझे खिलने से माँ
वचन देती हूँ खुशबू बनूँगी, महकाऊंगी मैं तेरी बगिया माँ
ताज़ तेरा बनकर सजूंगी, गर्व तुझे करवाऊंगी माँ
रोके कोई न मुझे खिलने से, ऐसा तू कुछ कर दे माँ
हुआ मुमकिन अगर तो, बचा लेना मुझे मरने से माँ
आजतक खामोश रहकर, तूने सब कुछ सहा है माँ
मुझे पता है निडर होकर, तू आज लड़ेंगी मेरे लिये माँ
अधिकार दिलाएगी जीने का तू, अपनी इस बेटी को माँ
साथ अपने और मेरे अब तू, अन्याय न होने देगी माँ
हुआ मुमकिन अगर तो, बचा लेना मुझे मरने से माँ-
घर में कन्या जन्म पे करते घोर विलाप
पर पूजा में पुजन को कन्या ढूंढो आप
बेटा माने पुण्य जो, बेटी माने पाप
वो भी कन्या पूज के माँगे पुण्य प्रताप।
✍️--" विशाल विद्रोही "
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