जैसे साथ थे तुम्हारे अब भी वैसे जीते हैं
तुम्हारे याद में अब भी हम चाय पीते हैं।
✍️--" विशाल विद्रोही "
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बस इतना ही
बहुत है जीने के लिए....
मुझे और पढ़ने के लिए...
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सुहाने सफर में तो साथी सारे साथ निभाएंगे
कुछ राहों में साथ रहेंगे कुछ घर तक आएंगे
पर सच में देखने वाली बात ये है कि
मुश्किल में कितने साथ तेरा दे पाएंगे।
✍️--" विशाल विद्रोही "
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कुछ जोड़ों को साथ बैठे देखता हूँ तो सोचता हूँ
अच्छे बुरे दौर में सभी साथ बैठने लगते तो
जाने कितनी मुहब्बतें टूटने से बचा लेते।
✍️--" विशाल विद्रोही "
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एक उमर हो गयी हमको ऐंठे सनम
आओ साथ में, कभी बैठे सनम।
ये कैसा साथ है हम साथ में ही नहीं
हाथ पकड़े हैं मगर हाथ में ही नहीं
हम हैं इक छोर पर तुम हो इक छोर पे
जिंदगी गुजरेगी ऐसे कैसे सनम।
✍️--" विशाल विद्रोही "-
खुशियाँ खुश हो जाती हैं मन का प्रसून खिलता है
मुझे तेरी पनाहों में गजब सुकून मिलता है।
✍️--" विशाल विद्रोही "
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इससे हजारों ईंमानदारों को फायदा होता
जो वायदा होता तो निभाना वायदा होता
कुछ जान दे दे तो कुछ खिलवाड़ करते हैं
अच्छा होता इश्क करने का कायदा होता।
✍️--" विशाल विद्रोही "
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मुझे नहीं पता डीग्रीयों ने तुम्हें क्या सिखाया है
तुम्हें बात करने तक का सलीक़ा नहीं आया है।
✍️--" विशाल विद्रोही "
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मिले रस्ता नहीं पूरा, पकड़ के नाव जाऊँगा
तुम अपने शहर को जाना, मैं अपने गाँव जाऊँगा...
कि मेरा गाँव मंदिर है, वही मेरा शिवाला है
माँ सी प्यारी है मिट्टी कि जिसने मुझको पाला है
कि जिसका नाम आते हीं, ये दोनो हाथ जुड़ते हैं
समर्पित वंदना हेतु, मैं नंगे पाँव जाऊँगा
तुम अपने शहर को जाना, मैं अपने गाँव जाऊँगा..
✍️--" विशाल विद्रोही "
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जब कोई सूझे नहीं समझने को सवाल
आईने से पूछिए, क्या है अपना हाल।
✍️--" विशाल विद्रोही "
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गमों से अलहदा खुशियों से चहकती जान होती है
तुम साथ होते हो तो मुझसे मेरी पहचान होती है।
✍️--" विशाल विद्रोही "-