हर किसी के लिये सोचती है,
खुद से रहती हैं दूर औरतें ।।-
कौन कहता है औरत कमजोर होती है .....
औरत से ज्यादा ताकत किसी में नहीं होती .....
कौन कहता है औरत रोती रहती है......
औरत से ज्यादा सहनशक्ति किसी और में नहीं होती !!!!!
कौन कहता है औरत कमजोर होती है .......
तुम्हारा वंश आगे बढ़ाने की ताकत और किसी में नहीं होती.........
कौन कहता है औरत महत्वहीन होती है....
इस जहाँ की शान कोई और नहीं होती...
मेरा मानना है औरत ही शाक्ति है औरत ही लक्ष्मी है औरत ही ज्ञान है
इसलिये औरत का सम्मान करना सीखो
सम्मान करो, औरत का
तभी तुमको सम्मान मिलेगा ☺☺-
सभी "औरतें" अपने प्रेमी में बस
"शाहजहां" नहीं ढूंढ़ती,
की बनाए उनके के लिए "आलिशान ताजमहल",
बहुत सारी "औरतें" अपने "प्रेमी" में
ढूंढती है "दशरथ मांझी" की उन्हीं के तरह
"उनके प्रेमी" भी "वीरान" में कोई
"राह" निकाल दे "समूचे समाज" के लिए..!!!
:--स्तुति-
मुझे समाज के उन लोगों
पर काफी हंसी आती है
जो "औरतों के हक" की बातें
अपने "घर की औरतों" के सामने
नहीं कर सकते
क्योंकि उनका "दिमाग खराब" हो जाता है
-
"ये औरतें"
न जाने किस रहगुजर की तलाश
आंँखों में नज़र आती है,
ये औरतें हर दौर में
खुबसूरत नज़र आती हैं,
दिल की आलमारी में
समेट कर रख लेती हैं
चंद ख्वाहिशें, अरमां और चाहतें.....
फिर भी अहसास की दौलत
सब पर लुटाती हैं,
ये औरतें हैं न जनाब
बहुत दिलदार नज़र आती हैं।
क्रमशः
-
औरतें
उपले हुआ करतीं हैं।
जिनके भीतर की
सारी नमी को
तपाकर
उड़ाया जाता है ।
और
खड़ा किया जाता है,
निर्धारित
बिटौरों में,
सजाने के लिए।
ताकि वे खुद
साल भर,
सर्दी बरसात में भी
दुनियां की पेट की आग
बुझाने के चलते
धीमे-धीमे जल सकें ।
अपने ही घर के
चूल्हे की,सीमाओं में ।
और अंत में उन्हें
फेंका जा सके
उन सब्जियों के तले,
जिन्हें पकाने के लिए
वे राख बनीं थी ।-
"औरतें पागल होती हैं ..सच में .....!
उनका रिश्ता पूरी दुनिया से होता है
मुहब्बत का नहीं सिर्फ़ ज़रूरत का
एक वक़्त के बाद ज़रूरतें बदलने लगतीं हैं
और बदलने लगते हैं औरतों के चेहरे भी
बस .......सच का यही आईना
औरतें शायद देखना नहीं चाहतीं..।"-
दहकती चिंगारी में सुर्ख़ होकर,
अपनी मुहब्बत के पतीले में,
बिरयानी पकाकर तुम्हें,
ख़िलाने का इरादा है।
ग़ाल़िब निकम्मी श़ायरा तुम्हारी
(अनुशीर्षक में पढ़िए)-
कुछ औरतें अपनी ख्वाहिशों को रोज शाम सुलगाती है चूल्हे के आग में,
फिर खुद ही उसे सुबह बड़े ध्यान से कुदेरती है
इस आश में,
कि शायद इसमें जलाए गए, कुछ ख्वाहिश अभी भी
राख ना हुई हो...!!!-