"Sometimes, we do not show someone the way they mean to us.
But that doesn't mean we are being rude or shy.
It's just that
different people have different ways of expressing love,
and
some enjoy it by not telling them.
"Some of us carve out their love through suffering."-
# University of delhi
# JNV Morena M.P.
# Hindi Odiya English
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आया मेरे साथ फिर वो रहा ही नहीं
जाते-जाते उसने कुछ कहा भी नहीं
कैसे लिखता उसके लिए कोई नगमा
दिल तोड़ के वो शख्स गया भी नहीं
कितने कसीदे पढ़े चांद पर हम सबने
ऐसी नज़र से यहां वो देखता भी नहीं
थक गए अब रेल की सुनकर धक धक
ये सफर जो कभी खत्म होता भी नहीं
है एक ही चेहरा ज़हन से गुजरने वाला
और मुझसे मिलने कोई आता भी नहीं
सराहता कोई क्यों मुझ बदनसीब को
दिखाने को मेरे पास कुछ था भी नहीं-
एक मैं हूं जो दूर जाता भी नहीं
एक वो कि पास आता भी नहीं
शख्स कोई दिल तोड़ गया मेरा
तबसे देखो कोई भाता भी नहीं
अब क्या मुंह लेकर जाऊं उधर
जहां कोई मुझे बुलाता भी नहीं
हर वक़्त जुल्म ढाया करता था
आजकल देखो सताता भी नहीं
बहुत परेशान रहा करता है दिल
पूछो क्या हुआ बताता भी नही
ये तुम्हें क्या पता एसो से 'बीहड़'
यहां कोई दिल लगाता भी नहीं।-
परेशानियों से
आदमी कभी
पत्थर नहीं होता,
कि वो
टूटे ही न।
न ही वह
शीशा हो सकता है,
कि जरा सी
कोई टीस,
चूर चूर कर दे उसके
हंसते खिलखिलाते
महलों को,
और
टुकड़े हो जाएं उसके ।
इसलिए
मैं सोचता हूं...
आदमी जरूर
प्लास्टिक होता होगा ।
जो अपनी
भावनाओं की आंच में
झुर्रियों सा पिघलकर,
धीरे-धीरे
टपकने लगता है
पर कभी
बिखरकर नहीं
गिरता ।-
The purpose of life is
not about
finding happiness
but
it is to find
something meaningful-
दर्द दिलों का सहा भी नहीं जाता ,
क्यों दूर उनसे रहा भी नहीं जाता ।
मकान में मौत भी आती नही मुझे ,
और दीवारों से ढहा भी नहीं जाता ।
ये लोग उनसे क्या क्या नहीं कहते ,
मुझसे तो कुछ कहा भी नहीं जाता ।
भूलना चाहें भी उन्हें तो ये गफलत ,
सोचे बिन हमसे रहा भी नहीं जाता ।
आओ दरिया में डूबने से बचालो हमें,
लाश लेकर अब बहा भी नहीं जाता ।-
कुछ अब भी है जो ठोकरें खा रहा हूं मैं
नसीब में अपने जितनी भी पा रहा हूं मैं
आवाज तो कभी पहुंची ही नहीं तुमतक
गला भी बैठने लगा जितना गा रहा हूं मैं
चाहता हूं फिर भी कभी बातें नहीं करता
दिल पर अपने कितने जुल्म ढा रहा हूं मैं
यह दुनिया खत्म भी हो चुकी होती मगर
कहानी में रोज नए किरदार ला रहा हूं मैं
चाहता ही नहीं कोई परवाह करे,या फिर
उतनी करे जिसको जितना भा रहा हूं मैं
अपने मुकाम पर पहुंचा तो नहीं पर देखो
गजल की दुनिया में कितना छा रहा हूं मैं
भूल जाएं हम बीते हुए कल को, लेकिन
याद आ रही हो जितना दूर जा रहा हूं मैं-
............
इन तमाम सवालों के साथ
जब
मैंने कहा
"शुभकामनाएं"
तब
तुमने कहा...महज़,
"शुक्रिया"।
Captioned below👇
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प्रतिस्पर्धी समाज में
"परीक्षाएं"
छांटने की प्रक्रियाएं होतीं हैं
न कि आपकी योग्यता जांचने की-