क्या सोंचा है तुमने कभी बलिदान रानी लक्ष्मीबाई का,
या पता है तुमको औचित्य कदाचित कैकेई माई का।
इतिहास भूलना है तो भूल जाओ कोई बात नहीं मगर,
क्या पता है तुम्हे कारण आपस में बढ़ रही इस खाई का।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)-
प्रेम और विश्वास
प्रेम और छल का कोई जोड़ नहीं है
सत्य का संसार में कोई तोड़ नहीं है
जिसे प्रेम करना सौंप देना खुद को
उसके जैसा ज़माने में बेजोड़ नहीं है
यदि आप पर प्रेम भरोसा नहीं करे
तब ऐसे रिश्ते का औचित्य नहीं है
इससे बढ़कर कुछ भी अनित्य नहीं है
वह आपके जीवन का आदित्य नहीं है
एक दिन आएगा अवश्य उसे विश्वास
एक रोज़ तो जागेगी उसकी भी आस
भरेगा उसके भी मन प्रेम का उजास
आएगा वो भी लेकर मन में उल्लास-
"जहां महत्त्व ना मिले वहां रहने
का कोई औचित्य नहीं है
जहां मोहब्बत ना मिले उस
रिश्ते में सत्य नहीं है"-
कुछ सवाल
पता नहीं मेरे अंदर क्या है?
सैलाब,सुनामी या ठहरा पानी।
जाने, पता नहीं दिल चाहता क्या है?
सख्ती, ख्याल, प्यार या मनमानी।
कैसे कहूं, क्यों रूठ जाती हूं?
तुम्हारी नासमझी ही मलाल है।
सोचती हूं ,अब चली जाती हूं,
कौन सा, मेरे साथ रहने का सवाल है !
बस, जाने पर आवाज ना देना,
खोई उम्मीद जाग जाती हैं।
सच है,कई बार किसी के जाने पर ही,
उसकी खासियत समझ आती है।
पता नहीं, टूटने के बाद भी,कितना टूटना और बाकी है?
शायद मेरे वजूद की कसौटी अब सज़ा ही है।
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सिंदूर में नाम या नाम की सिंदूर??
ये एक चुटकी सिंदूर की कीमत
तुम क्या जानो रमेश बाबू...😅😅🤗
ये एक चुटकी सिदुर किसी को
किसी की पत्नी बना देती है...
जीवन भर के लिए....
🤓🤗😇👍-
जो व्यक्ति सिर्फ अपने लिये जीता रहा,
वो केवल कुछ वर्षों तक ही जीवित रहा!
मगर,
जो व्यक्ति, समाज, सोच, बदलाव, क्रांति, खोज, चिंतन
से जुड़कर दूसरों के लिए जीता रहा, वो सदियों तक
लोगों की सोच, कर्म, गति और प्रगति में जीवित रहते हैं!!-
औचित्य क्या है, क्या बताऊँ तुम्हे।
अपने इश्क़ की हद कैसे समझाऊँ तुम्हे।-
||श्यामलिका||
रिश्तों से बढ़कर आत्मसम्मान होता है,
अहंकार आत्मसम्मान और रिश्ते दोनों को क्षति पहुंचाता है..
जब कोई अन्य, अपनों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाये तो आगे आकर उसे उसकी हद का अहसास भी कराना हमारा फर्ज बनता है अन्यथा आपका हमारा रिश्ता है ये दिखावा करने का कोई औचित्य नहीं....।-
चित्त को साध रखा है उसने मेरे।
अब सारे औचित्य उसी के पास हैं।-