लाख मुसीबत आ जाए , सह फिर भी वो लेती है ,
मुझको हल्की सी चोट लगे तो माँ मेरी रो देती है ।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)-
Studies ECE(BTECH)
Studies at Indian institute of information ... read more
कान्हा की मुरली की धुन सुन राधा सुध बुध खोई है ,
कान्हा का आना हुआ नहीं राधा रात रात भर रोई है...
(अनुशीर्षक में पढ़ें)
-ए.के.शुक्ला(अपना है !)-
इससे ज्यादा अब वो क्या बनेगी ,
खुद ही के जख्म पर खुद ही दवा बनेगी...
(अनुशीर्षक में पढें)
- ए.के.शुक्ला(अपना है !)-
भूलना आसान होता तो भूल गया होता ,
उसे जाना ही था तो बहुत दूर गया होता।
हमारा मिलना मुकद्दर में था ही नहीं फिर भी,
वो गर आवाज देता तो मैं जरूर गया होता।।
- ए.के.शुक्ला (अपना है !)-
तुम्हारे पाँव का छाला साथ चलने की ठानता है,
इक तू है जो मंजिल को सबकुछ मानता है।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)-
न मेरा दिल देखोगे न मेरी दिल्लगी देखोगे,
मेरे जाने के बाद मेरी जिंदगी देखोगे।
यकीं करते नहीं हो शक हर बात पर है,
जिद करते हो कि मेरी आशिकी देखोगे।।
-ए.के. शुक्ला(अपना है!)-
कुछ नाम कमाना है हमें कुछ नामों के लिए,
कुछ इनाम भी पाना है कुछ इनामों के लिए।
तारों का दीदार किया करते नहीं हैं लोग यहाँ,
कुछ चाँद चुराना है कुछ आसमानों के लिए।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)-
कुछ ऐसा ही है इश्क मेरा जो बोलूँ शायरी हो जाती है,
कुछ लिख देता हूँ गालों पर और वो डायरी हो जाती है।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)
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यूँ तो खामोश हूँ बहुत दिनों से मगर दिल में इक तूफान सा है,
कुछ लोगों का इरादा हमारे लिए शायद दीवारों के कान सा है।
अभी पराजय की चिंता नहीं है हमको न भयभीत होता हूँ,
ये तो पहला कदम मंजिल की तरफ हमारे उत्थान का है।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)
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