A.K.Shukla "Apna hai"  
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Joined 28 November 2018


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14 SEP 2022 AT 19:54

लाख मुसीबत आ जाए , सह फिर भी वो लेती है ,
मुझको हल्की सी चोट लगे तो माँ मेरी रो देती है ।

-ए.के.शुक्ला(अपना है!)

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18 AUG 2022 AT 22:11

कान्हा की मुरली की धुन सुन राधा सुध बुध खोई है ,
कान्हा का आना हुआ नहीं राधा रात रात भर रोई है...
(अनुशीर्षक में पढ़ें)

-ए.के.शुक्ला(अपना है !)

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12 APR 2022 AT 2:51

इससे ज्यादा अब वो क्या बनेगी ,
खुद ही के जख्म पर खुद ही दवा बनेगी...
(अनुशीर्षक में पढें)

- ए.के.शुक्ला(अपना है !)

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7 MAR 2022 AT 23:48

भूलना आसान होता तो भूल गया होता ,
उसे जाना ही था तो बहुत दूर गया होता।
हमारा मिलना मुकद्दर में था ही नहीं फिर भी,
वो गर आवाज देता तो मैं जरूर गया होता।।

- ए.के.शुक्ला (अपना है !)

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2 FEB 2022 AT 22:31

तुम्हारे पाँव का छाला साथ चलने की ठानता है,
इक तू है जो मंजिल को सबकुछ मानता है।।

-ए.के.शुक्ला(अपना है!)

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27 JAN 2022 AT 3:22

न मेरा दिल देखोगे न मेरी दिल्लगी देखोगे,
मेरे जाने के बाद मेरी जिंदगी देखोगे।
यकीं करते नहीं हो शक हर बात पर है,
जिद करते हो कि मेरी आशिकी देखोगे।।

-ए.के. शुक्ला(अपना है!)

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4 MAY 2019 AT 10:49

कुछ नाम कमाना है हमें कुछ नामों के लिए,
कुछ इनाम भी पाना है कुछ इनामों के लिए।
तारों का दीदार किया करते नहीं हैं लोग यहाँ,
कुछ चाँद चुराना है कुछ आसमानों के लिए।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)

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15 APR 2019 AT 0:40

कुछ ऐसा ही है इश्क मेरा जो बोलूँ शायरी हो जाती है,
कुछ लिख देता हूँ गालों पर और वो डायरी हो जाती है।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)

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29 JAN 2019 AT 17:53

यूँ तो खामोश हूँ बहुत दिनों से मगर दिल में इक तूफान सा है,
कुछ लोगों का इरादा हमारे लिए शायद दीवारों के कान सा है।
अभी पराजय की चिंता नहीं है हमको न भयभीत होता हूँ,
ये तो पहला कदम मंजिल की तरफ हमारे उत्थान का है।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)




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29 MAY 2021 AT 1:00

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