गुमनाम है...
कहीं तन्हाई में!
कहीं बेरूखी में!
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मैं कौन हूं? और मुझे क्या करना है?
मैं एक मनुष्य हूं और मुझे,
मनुष्यता के ... read more
अजीब दुनिया है रे बाबा ....
किसी को खाने को 'अन्न' नहीं
और जहां अन्न भरपूर है....
उसे खाने का 'मन' नहीं !!-
कोई लौट जाए दूर से ही
बिन मिले बिन बात किए
लगता नहीं बुरा आजकल
क्यूंकि खाली दिल
सूना मकान सा है आजकल !!-
इस खूबसूरत सी आशियाने पर
हम सिर्फ मिले नहीं एक दूसरे से
बल्कि जुड़ते भी गए एक दूसरे से
कुछ तो नया हम सबने जाना
सीख नये हम सबने पाये
हुनर खुद को समझने का
थोड़ा थोड़ा खुद को निखारने का
हंसे मुस्कुराए अल्फाजों से
दूर होकर भी रहे करीब एक दूसरे से
आशियाना छूट भी जाये कभी तो
फिर भी रहेंगे यादों में एक दूसरे के !!
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रौशनियों से चकाचौंध शहर
भागती दौड़ती जिंदगी कई
सुविधाओं से भरा पूरा शहर
मगर...नदारत जहां
गांव सा सुकूं और एकाकीपन
कैसे करें कोई तलाश खुद की
इस भीड़ में इस शोर में
वहीं गांव ताकती दूर से
सुविधाएं जहां नदारत रहती
मंहगाई से समझौते करती
अपने मुफलिसी में
प्रकृति की छांव में
हसती गाती जिंदगी कई
उस छोटे से गांव में
काश ऐसा होता कहीं
शहर में थोड़ा सा गांव हो पाता
और गांव में थोड़ा शहर रह जाता
संतुलन तब सही बैठता
पर यहां गांव और शहर होना
दो अलग अलग ही बातें हैं!!
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खाली सुंदरता की पर्याय नहीं
एक दुनिया बसती तुम्हारे भीतर भी
जीती जागती हसती गाती और संजोती
है तुम्हें भी स्वाभिमान सम्मान की चाह
भले ही कोशिश की गई
तुम्हें चंद अलंकार उपमाओं
और तारिफो़ में बांधने की !!
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हमारा संविधान..
कुछ लोगों को संविधान के नाम से उनकी आंखों में किरकिरी सिर्फ इसलिए लगती है क्यूंकि संविधान लिखने में बाबा साहेब का नाम आ जाता है जो एक शोषित तबके से थे और जिन्होंने शासितों के साथ संविधान में न्याय लिखा ।
कुछ लोगों को संविधान से दिक्कत सिर्फ इसलिए है कि ..उनमें जातिगत आरक्षण है।
कुछ लोगों के दिल में सांप इसलिए लोटता है कि संविधान में उनका धर्म विशेष को खास जगह नही दी गयी है।
कुछ लोंगो़ मर्दानगी को धक्का संविधान से इसलिए भी लगने लगी कि संविधान की वजह से महिलाएं पुरुषों को आंखें दिखाने लगी, वो बराबरी करने लगी।
कुछ रूढ़ीवादी लोग संविधान से कुढ़ते इसलिए हैं क्यूंकि संविधान ने धार्मिक सोच की जगह पर वैज्ञानिक सोच को अपनाया ।
हमारा संविधान ...जो गरीब मजदूर की कल्याण की बात कहता है, महिला अधिकार स्वतंत्रता और सम्मान की बात कहता है। ऐसे संविधान की विरोध में खड़े होने होने वाले कुछ लोगों की उनकी मानसिक कमजोरी को दर्शाता है।
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