उनमे चमक तो है चिंगारी नहीं
ओहदा तो है जिम्मेदारी नहीं
काम तो है तैयारी नहीं
इसलिए उसके सोते हुए हक़दारो में
बिगुल फूंकने आई हूँ
मैं अंधेरों में पली-बढ़ी
रोशनी को रोशनी दिखाने आई हूँ
हर पीड़ा को खोलकर दिखाना है
गरजते बादलों को बरसाना है
प्रगतिशील नहीं प्रगतिपूर्ण बनाना है
जो दीए जल रहे हैं उम्मीदों के
उनकी लौ को लपट बनाने आई हूँ
मैं अंधेरों में पली-बढ़ी
रोशनी को रोशनी दिखाने आई हूँ
सहसा दिखता है जो एक कोठरी में
झूलता हुआ दुत्कार की रसरी में
या भटकता हुआ किसी छपरी में
जिसकी चीख़ भरी हर चुप्पी है
उसके स्वर को अंदर तक झंकृत करने आई हूँ
मैं अंधेरों में पली-बढ़ी
रोशनी को रोशनी दिखाने आई हूँ।।
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खामोशियाँ समझ के हुई हों नज़रन्दाज़ बेशक़...
अंगारों सी बातें थी वो, कहीं.. छिपी राख में!!-
अंधकारलोक से परे
प्रेम के प्रकाशपुंज से उज्ज्वलित
ओजस तुम्हारा
देदीप्यमान कर रहा है मुझे-
आज उनकी लेखनी को मैं शत-शत शीश झुकाता हूं
अपने शब्दों से उनके शब्दों को श्रद्धा सुमन चढ़ाता हूं
शब्दों में "राम" सी मर्यादा, विपुल प्रतिभा के "धारी" थे
"सिंह" सी दहाड़ प्रबल, जन चेतना के हितकारी थे
"दिनकर" से दीप्तिमान रहे स्वर, हर तम पर भारी थे
ओज के इस प्रचुर नायक का गौरव गाता हूं
अपने शब्दों से उनके शब्दों को श्रद्धा सुमन चढ़ाता हूं
जिनका नाम स्वयं लेखनी के सर्व गुण बतलाते
वाणी में अंगार लिए अग्नि गंधा गीत सुनाते
झकझोरते चेतना मंचो से आंदोलन चलाते
ओज के पुरोधा नाम "रामधारी सिंह दिनकर बतलाता" हूं
अपने शब्दों से उनके शब्दों को श्रद्धा सुमन चढ़ाता हूं
आज उनकी लेखनी को मैं शत-शत शीश झुकाता हूं
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रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है
स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे
"रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे
रोकिये, जैसे बने इन स्वप्नवालों को
स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे"
वीर रस को एक अलग आयाम देने वाले ओज के प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर जी के जन्मदिवस(जयंती) की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।-
पथिक सी यात्रा रखो।
चिरकालिक सी आशा रखो।
आरण्यक सी शांति रखो।
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यकीनन दूर होते हैं जमीं-अंबर दोनों!
किसी के हाल से कोई जुदा नहीं होता.
जरूर होती हैं बेवजह इश्क़-आगाजे!
मगर अंजाम तक जाने का बड़ा किस्सा होता.
रूह भी तड़प कर सजदे में आ गया होगा,
यूं ही कोई किसी चेहरे पे फिदा नहीं होता.
जरूरी है कि जज्बातों को मौन रहने दें,
बोल देने भर से मुकम्मल अदा नहीं होता.
प्यास लग्गे तो जमकर पियो पानी,
हाड़ कांपे तो धूप को ओढ़ लो तुम.
इश्क़ की बात हो तो अक्ल ना लगाया करो,
शम्अ की बात हो तो दीये ना बुझाया करो.
मगर इस बात का भी हरदम खयाल रखना कि,
किसी के आज का मतलब उसका कल नहीं होता.
#ओजस-