Paid Content
-
👉 Acta non verba
👉 Ad meliora
हाल चाल तो सब पूछते हैं, कुछ नया नहीं है
कोई पता पूछे तो ठिकाना तय करूं अपना-
इज़्तिराब ना हो शबाब में
सरकार फिर रहने ही दो
जो कांटें ना हो गुलाब में
सरकार फिर रहने ही दो
मुहब्बत के बाद आँखों में अज़ाब ना हो
सरकार फिर रहने ही दो
मेरी मौसिक़ी में चाहो कि रुआब ना हो
सरकार फिर रहने ही दो
जनता के हज़ारों सवालों के एक भी ज़वाब ना हो
सरकार फिर रहने ही दो
"सबके पसंदीदा थे तो बादशाह-ए-आवाम चुना तुमको"
चुनी हुई सरकार ख़राब ना हो
तो सरकार फिर रहने ही दो!!-
अनंत कांत
अतीव शांत
निरंकार
निराधार
प्रचंड नृत्य
अखंड कृत्य
अविनाशी
कैलाशवासी
शशि मुर्धन्य
अति मुर्धन्य
हे शिवा! हे शिवम्!
कृपा करो नीलकण्ठम्!!
-
तुम्हारी खिड़की पर मेरी सुबह होती है
तुम्हें पता ही नहीं है शायद
कि मेरी जिंदगी में तुम्हारी आदत
मेरी आदत में तुम्हारी चाहत
मेरी चाहत को तुम्हारी आहट
ख़ैर छोड़ो, ये सब महज बातें हैं मेरी
तुम्हारी समझ से बातें बेवजह होती हैं!!!
-
पथ में ना हो कोई भीड़, भटक
मंजिल से ना कोई रवानी हो
मैं डटकर मंजिल तक सोपान करूं
जग में मेरी भी एक कहानी हो
सूरज से पहले जो ना जागूं
तो तारों के छिपने तक ना सो पाऊँ
जो चंचल मन से तेज ना भागूं
तो रह-रह करनी पर पछताऊं
मेरी सोंच में, मेरी नस-नस में
मेरे सपनों में, मेरी बातों में
मेरे प्रश्नों के हर उत्तर में
मेरे जीवन के समरस में
मेरा ध्येय रहे मेरी जीत रहे
मेरा संकल्प रहे मेरी कीर्ति रहे
मेरा प्रण रहे मेरी प्रीत रहे
मैं त्याग करूं मैं ध्यान करूं
मैं मौन रहूँ और ज्ञान भरूं
मैं असफल होऊं पर हर ना मानूं
मैं साकार करूं मैं नाम करूं।।
-
"लेखन" को इतना चाहती हूँ - कि बहुत कुछ लिखने के बाद भी आखिरी इच्छा हो - कुछ लिखना चाहती हूँ!!
-
मेरे बेमतलब के जंजाल से निकाल दो मुझे
मेरे सिहरते मलाल से निकाल दो मुझे
मुझे चिढ़ाती हैं ख़ामोशियां मेरी
मेरा खिलखिलाना जलाता है मुझे
मेरे ज़ख़्मों पर मलहम लगा पहले जैसे पाल दो मुझे
गहरी नीद सुला दो या फिर से मुझमें डाल दो मुझे-
जब माँ कहती हैं - "मेरा दिलेर बच्चा"
तब बच्चा होकर भी दिलेर बनना पड़ता है.....-