अभिजीत   (अभिजीत जनार्दन)
1.0k Followers · 1.4k Following

Associate Producer @aajtak
फाॅलो बैक का वादा रहा..!
Joined 13 February 2017


Associate Producer @aajtak
फाॅलो बैक का वादा रहा..!
Joined 13 February 2017
13 APR AT 13:46

आज जलियांवाला बाग हत्याकांड की बरसी है. साल 1919 में 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग में अंग्रेज़ों ने नरसंहार किया. बैसाखी के दिन रौलेट एक्ट के खिलाफ सभा आयोजित हुई थी, जनरल डायर ने हजारों लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया, नतीजतन 400 लोगों की जान चली गई. हम आज भी उसे सोचकर व्यथित होते हैं, जनरल डायर जैसे लोग., जिनमें इंसानियत नहीं होती. आजादी के बाद भी इस देश में मौजूद हैं. जिन्हें आम लोगों के जीवन से कोई मतलब नहीं. उन्हें लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करने की आदत है. उन्हें बेनकाब करने की जरूरत है. जिनकी नीतियों से पिछले तीन दशक में हजारों किसानों ने आत्महत्या कर ली. जिनकी नीतियों से आंदोलन करने वाले सात सौ किसानों की जान चली गई. वे लोग भी जनरल डायर से कम नहीं हैं. जिनके चलते बेरोजगार युवा दर दर की ठोकरें खा रहे हैं, वो भी अंग्रेज़ी हुकूमत से कम नहीं. महंगाई के चलते दो जून की रोटी जुहाने में जो अक्षम हैं, वो आजाद भारत में भी आर्थिक गुलामी ही तो झेल रहे हैं. इस देश को आगे बढ़ना होगा, हर तरह की गुलामी से जीतना होगा. आजाद होना होगा.

-


9 APR AT 22:16

सबसे दूर,
सबसे अकेले में.
सबसे विरक्त हो,
मैंने जाना;
पनप रहा है कोई ईश्वर सा-
मेरे ही भीतर.

-


8 APR AT 3:57

जब हिंसा में-
लोग मारे गये,
लूट मची,
घर उजाड़े गये.
आग लगी,
दूर तक उठता दिखा धुंआ,
खेला गया धर्म का जुआ!
उखड़ती सांसें थम गई,
बोलती आंखें जम गई.
जब भी बेकसूरों का खून बहा,
दुनिया चलाने वाला ईश्वर था कहां?

-


4 APR AT 0:20

राम मिलेंगे जंगल में!

राम पूजने अवध नहीं तुम जंगल जाना,
वहीं मिलेंगे राम; संभव है उनको पाना.
सबरी को नवधा भक्ति का ज्ञान दिया था जंगल में,
भरत भाई को चरण खड़ाऊं दान दिया था जंगल में.
सीता के पांवों के कांटे तारणहार निकाले थे,
जंगल जाकर रघुनायक ने आतातायी मारे थे.
अवध लिया था जन्म भले पर जंगल ने उन्हें दुलारा था,
हनुमान सा भक्त मिला जिसने संकट से उबारा था.
जंगल में ही दोनों बेटे राम सिया के पल पाये,
अवध दूर वो चित्रकूट का जंगल ही हरि को भाये.
राम अगर जंगल ना जाते कौन पूजता, ईश्वर कहता;
सरयू को प्रताप ना मिलता, अवध नहीं महिमा पाता.
संघर्षों का द्युत जंगल है, ऐश्वर्यों की पुरी अवध!
मुझको लगता है राम के ह्रदय क्षेत्र सा है जंगल.

-


28 MAR AT 0:45

क्या करें इस वेदना का..? रस्म ढोये या नहीं,
बुलबुले सा मन मिला है उसमें खोये या नहीं.
कौन अपने सपने सच कर पाया है बस चाहने से?
उसके खातिर जिंदगी से लिपटकर रोया नहीं!
एक तन्हा आदमी जो शहर में भटका बहुत,
जेब खाली थी कोई भी दोस्त बन पाया नहीं.
उसकी महफिल सज है जाती, दौलतें हो बेशुमार;
मिल्कियत जिसकी नहीं, उसको कोई पूछा नहीं.
फिर भी एक उम्मीद बाकी है यहां सबके लिए,
वक्त सबको न्याय देगा, सब्र कर; घबरा नहीं!

-


25 MAR AT 11:00

इतिहास लेखन में महिमामंडन से नायक ही ईश्वर बना दिये गये, मौजूदा पीढ़ी उसकी कीमत चुका रही है.

-


24 MAR AT 1:42

खुशी बहती नदी के उद्गम सी,
और गम समंदर जितने खारे हैं.
इतनी दूर-दूर आसमां में चमकते तारे हैं,
आप अब भी किसी और के सहारे हैं!
सुखद दीदार व खुशबुओं से फिजा गुलशन है,
जिनमें महक व रंग नहीं वे रखे गये किनारे हैं.
हम उम्मीदों को तकते रहे भर नज़र,
चांद था, रात थी; ख़्वाब का था असर.

-


21 MAR AT 15:11

मेरे ह्रदय के भंवर में जो लहर थोड़ी बच गई है,
वेदना के स्वर में लिपटी 'छंद' कविता रच रही है!

-


20 MAR AT 11:46

बचपन की वो गौरैया, हमसे आगे थी?
जब हम चल भी नहीं पाते,
वो फुदक फुदक कर भागी थी.
घाम में सूखने के लिए रखे गेहूं के दानों पर;
किसी रोज झुंड में आ जाती थी,
हम उन्हें उड़ाने के लिए बैठते,
और वो पास आकर गाती थी.
जब कभी उदास देखती हमें,
बड़े करीब से मन बहलाती थी.
जब हम क-ख पढ़ना सीख रहे थे,
वो च से चींचीं गाकर उड़ जाती थी.
अब कहीं नहीं दिखती वो गौरैया,
वो बचपन की साथी क्या इतनी अभागी थी?
#SparrowDay

-


20 MAR AT 11:31

आज विश्व गौरैया दिवस है! गौरैया के नाम कुछ भावनाएं दर्ज कर रहा हूं;

बचपन की वो गौरैया, हमसे आगे थी?
जब हम चल भी नहीं पाते,
वो फुदक फुदक कर भागी थी.
घाम में सूखने के लिए रखे गेहूं के दानों पर;
किसी रोज झुंड में आ जाती थी,
हम उन्हें उड़ाने के लिए बैठते,
और वो पास आकर गाती थी.
जब कभी उदास देखती हमें,
बड़े करीब से मन बहलाती थी.
जब हम क-ख पढ़ना सीख रहे थे,
वो च से चींचीं गाकर उड़ हो जाती थी.
अब कहीं नहीं दिखती वो गौरैया,
वो बचपन की साथी क्या इतनी अभागी थी?
#SparrowDay

-


Fetching अभिजीत Quotes