उरियां एक पल में उरूज़ में तब्दील हो जाती है।
जब माँ की दुआ दिल से किसी को लग जाती है।।-
उरूज़ पर है इस वक़्त मेरी मुहब्बत
बलाओं से कह दो नज़र न लगाना-
तुम मेरे खुशियों की ताबीज़ हो,मेरी उरूज़ हो तुम,
तेरे ख्यालों से ज़िंदा हूँ,मेरे रूह में महफूज़ हो तुम।-
अभी दुश्मनों से भिड़ने की
हसरत ना पा जाए उरूज़।
जिनके सीने सरहद पर हैं
उनकी पीठ नहीं महफूज़।।
😢सनद रहे😢
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कितने ही उरूज़ पर हो गुल-बहारों का मौसम
पर गुल वही गुल जो शहीदों की कब्र पर सजे।-
"उरूज़ सिर्फ क़िताबों में नहीं सोच व कर्मों में होना चाहिए।"
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मेरे उरूज़ से,,,,,,,, मेरे ज़वाल से
बाखबर रहा सदा वह मेरे हाल से
मिले जब हम,,, मुस्कराता ही रहा
गम छिपा गया वह किस कमाल से
मौत आई नहीं कि जां यह गई नहीं
कुछ न मिला उम्र-भर के मलाल से
मेरे बाद क्या मेरा हिज्र सह लोगे??
दम सा निकल गया उसके सवाल से
हजारों गम उसके दामन में छिपे थे
बड़ी शिकायतें रहीं गुज़रते साल से-
इशारों में...अल्फ़ाज़ों...का वुज़ूद देखा है,
हमने गूंगे की बेबसी का उरूज़ देखा है!!-
"वो अपनी ज़िंदगी के उरूज़ पर था,
उरूज़ पर पहुँच कर वो बेबाक हो गया,
इस बेबाकी ने उससे सबकुछ छीना,
सिवाय उसके ग़ुरूर और तन्हाई के।"-