कैसे बांध दूं, प्यार को दो पंक्तियों में
बहुत कुछ खोना पड़ता है,अपना बनाने में-
हर रचना को मेरी जाती जिंदगी से न जोड़े।
मै एक लेखक हूँ... read more
मेरा कांटा मुझसे ज्यादा तुझको चुभता है
ऐसा हमसफ़र कहां सबको नसीब होता है-
ना छेड़ मुझे ए बारिश की बूंदे
यह हक मैंने किसी और को दे रखा है
मत कर हमदर्दी की वकालत मुझसे
यह जिम्मा किसी और को दे रखा है-
जिसकी उपस्थिति तुम्हारे लिए ऊर्जा हो उसे ही चुनना
जिसके लिए तुम विकल्प नहीं प्राथमिकता हो उसे ही चुनना
जो तुम्हारे एक अश्रु को मोती समझ सहज ले उसे ही चुनना
क्षण भर का आकर्षण नहीं ,बेटी जो जीवन पर्यंत साथ दे उसे ही चुनना-
मेरे भीतर भी एक बारिश बसती है,
जाने कितने सावन सहेजे रखती है
मैंने देखी है,या उसने मानी है
यह प्रीत आज की नहीं,बरसों पुरानी है-
जो मुझ पे गुज़री,वो तुम पे भी गुज़रेगी
ये इश्क की आह है,कभी तो असर करेगी
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कितना कुछ बुनता है
कितनी बार उधड़ता है
कितनी बार संवरता है
आज लगे जो बेगाना
कल अपना सा लगता है
ईश्वर सबके मन में बैठा
गुपचुप गुपचुप हंसता है
ऊपर से कुछ अन्दर से कुछ
वो सबकी साजिश समझता है-
हम दरवाजे तोड़ना
नहीं चाहते
न ही बन्द करना
हमारी नियति में
झरोखा है
ये भी क्या कम है
खुशबू तो है, फिज़ा में
दिल को किसने रोका है-
तुम ऐसा ख्बाव हो,
जो कभी जख्म है ,कभी मरहम
फिर भी हर रात तेरा ही ख्याल आता है-