जैसे हर बार एक कश के साथ ,
एक कश की तलब बढ़ती जाती है।
जब भी गया हूं बनारस,
मोहब्बत बढ़ती जाती है ।।-
हमारी गलियों में बड़ा सोच समझ कर कदम रखियेगा ज़नाब क्योंकि हम मोहब्बत बेचते ... read more
मैं ईश्क लिखूं तुम बनारस समझना।
जहां दस्तूर-ए-ईश्क जुदा होता है ।।
और कहीं पे चाहे खुदा हो न हो।
वहां ज़र्रे- ज़र्रे में खुदा होता है ।।-
हम इस फूल के बगीचे में, काग़ज़ के फूल बेचने आये हैं
सोने के महलों के सामने, मिट्टी के धूल बेचने आये हैं
नादानियां हमारी गलतियों में, तब्दिल हो गयी इस कदर
की दुनियावालों के सामने, हम अपनी भूल बेचने आये हैं
ज़िंदगी इस तेरह बेदर्द हो जाएगी, ये हमें मालूम न था
आँख खोलकर देख तु भी, कि शाहब अपने वसूल बेचने आये हैं
तमाम उम्र जिनकी राह तकते तकते गुज़ार दी हमने
आखिरी वक़्त पे वो अपनी, मोहब्बत के कबूल बेचने आये हैं
और जब तक जिया तब तलक, मुलाकात न कि उनलोगों ने
मेरी मय्यत पर वो अपनी सूरत फ़िज़ूल बेचने आये हैं
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जिंदा रहोगे तो कहानी होगी
चले हो रास्ते पे तो निशानी होगी।
बनाकर कोई भी नहीं देगा तुम्हें
यहाँ तक़दीर ख़ुद बनानी होगी।-
सुना है मेरी ग़ैरमौजुदगी में कुछ मामलात हो गया
ज़रा हम भी तो देखें ये कौन सा बात हो गया।
चलो जीते हैं नए दौर में नए तरीके से दोस्तों
सादगी से जीना ,जैसे एक आसमानी ख्यालात हो गया।
हमारे अपने ही भोंकते हैं अब पीठ में खंज़र यहां
ऐसा तो इन दिनों, अब जीने के लिए हालात हो गया।
हमें खुशमिजाजी से जीते हुए देख जलते हैं कुछ लोग
जैसे हमारा हर करम उनके लिए मानों दिन-रात हो गया।
सच कहने अगर मिलता है जहर का प्याला हमें
तो लो देखो "दुबे" भी मुस्कुराते हुए "सुकरात" हो गया।-
ये माना के हमने पहले इज़हार नहीं किया
मग़र ये मत कहना के हमने प्यार नहीं किया।
तुम्हें वक़्त देने की ख़ातिर,अपना ख़्याल तक छोड़ा
हां, सिर्फ़ तेरे इक़रार का हमने इंतज़ार नहीं किया।
तुमसे दिल्लगी होने के बाद आज भी जानेजां
हमने किसी और पे फिर ऐतबार नहीं किया।
जिस्म का सौदा तो हम भी कर लेते तेरे साथ
हाँ रूह के सौदे पे हमने इंकार नहीं किया।
तेरे जाने के बाद कुछ ऐसे हो गए हैं हम यहां
फिर दिल को इश्क़ में सरोबार नहीं किया।-
मयान हूँ ख़ाली सा तलवार के बिना।
बिक गया बाज़ार में इकरार के बिना।।
रहबर ने हाथ छोड़ा तो तन्हाइयों ने पकड़ा
घूम रहा हूँ संसार में संसार के बिना।।
के ख़ाली मोहब्बत से पेट भरता नहीं दुबे
जीना भी पड़ता है कभी प्यार के बिना।
गुज़र रही है ज़िंदगी इस क़दर यहां
जैसे समंदर में कश्ती हो पतवार के बिना।
हम, फिर से आप और तुम हो गए हैं
हां, टूट रहें हैं दोनों ही टकरार के बिना।
क्या याद नहीं आती हमारी, रातों को तुम्हें
ये किस क़दर जी रहे हो तुम इज़हार के बिना।
बिना याद किये, रातों को नींद नहीं आती,आज भी
ये मानते हैं हम भी इनकार के बिना।-
DEPRESSION
When your conscious mind want to be like a personality or try to adapt a personality and wanna play that role, which is not you. And your subconscious mind always try to convince that you are not like that personality..
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When your imagination brokeup and you realise that your CONSCIOUS and SUBCONSCIOUS minds are fighting and struggling towards each other's perception and belief system..
That is exactly known as depression..-
दीवार की एक सुराख़ ने उसमें
सेंध लगाने का रास्ता दे दिया।-
What though, the field is lost. I haven't lost the unstoppable courage and undominated will..
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