Smita Singh  
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Joined 23 May 2022


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10 FEB AT 18:06

ज़िन्दगी मुंतसिर सी रही,कहीं कोई अश्क-बार ना रहा,
राह-ए-मुहब्बत में रंजिश मिली,कोई तलबगार ना रहा,
रूह तड़पती रही सर-ए-राह,कोई ख़िदमतगार ना रहा,
मैं वो उजड़ा गुलशन हूँ,जिसमें कभी बहार ना रहा....!

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7 FEB AT 14:40

गुलाब से सीखा है मैंने,काँटों से भी इश्क निभाना,
चाहे बदन हो जख़्मी....दर्द सहकर भी मुस्कुराना।

फितरत में है मुहब्बत,फ़ज़ा को खुशबू दे महकाना,
हवा लाख दे थपेड़े, उस थपेड़ो पे भी मिटते जाना।

युगों-युगों तक बनी रहूँ मैं,वफ़ा का इक अफसाना,
किताबों मिलूँ यादें बनकर, बने फिर से वो दीवाना।

खूबसूरत मिली थी ज़िन्दगानी,देखा करेगा ज़माना,
काँटों से है मुहब्बत तो...बेपरवाह हो मिटते जाना।

महक रहेगी फ़ज़ाओं में,ना रहे जीवन का ठिकाना,
प्रेम पे निसार जीवन, युगों से मिटता रहा परवाना।

स्मिता सिंह






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7 FEB AT 13:49

रंग रूप लाज़बाब है,कांटों के बीच मुस्कुराता हूँ
सुगन्धमय जीवन है,प्रेम का प्रतीक कहलाता हूँ।

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6 FEB AT 14:27

पतझड़

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5 FEB AT 13:26

उसे अब किसी से मोहब्बत नहीं है

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5 FEB AT 13:12

दोस्तों,
बसंत का आगमन हो चुका है,
प्रकृति खुद को संवारने में मशगूल है...
चारो तरफ सौंदर्य बिखरने लगा,
कलियाँ चटकने लगी,आम्र मंजर महकने लगे...
और इसी मौसम में माँ सरस्वती की आराधना में लगे हम सब...
ज्ञान एवम संगीत की देवी का मन्त्रोच्चारण के साथ स्वागत हुआ है,धूप पुष्प के महक ने सारे वातावरण को सुगंधित कर दिया है...सारी कामनाओं को हमने उनके चरणों में समर्पित कर दिया है...हमारी भावनाएं हैं कि वो सब सुनती हैं...
मगर ये क्या पूजा होते ही अश्लील गानों का महाशोर,
ये संगीत की देवी को क्या सुनाया जा रहा है?
मधुर वीणा के सधे स्वर लिए माँ!!
और शराब के नशे में धुत्त, अश्लील गानों के साथ माँ की विदाई.....
आँखें नम है...माँ ज्ञान चक्षु खोल दे...
ज्ञान दे🙏🏼🙏🏼😢

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19 JAN AT 19:35

ख़ुदा का दिया सबसे खूबसूरत नियामत है मोहब्बत,
प्रकृति में प्राण के रूप में आच्छादित है मोहब्बत,
हृदय में खुदा के रूप में इबादत है मोहब्बत!

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17 JAN AT 10:59

अब नहीं सहा जाता इन गहनों का बोझ,
परंपरा के नाम पर मेरे पिता ने.....
जीवन का सबसे महंगा सौदा किया है,
मेरे गहने के लिए,
उसने बेच डाले सारे खेत,
अपने जिगर के टुकड़े के साथ,
बदले में मिला है......
तिरस्कार,उपेक्षा,निंदा,और ताना.....
नहीं सहा जाता इन गहनों का बोझ!

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16 JAN AT 21:15

तन-आसानी से नहीं मिलती किसी को,मंजिल का निशां
मेहनत कश इंसानों पर ही होती है, किस्मत भी मेहरवां।

जब तोड़ने को उठते हैं एकाएक,फौलादी हाथ पत्थरों को,
चल पड़ता है उनके साथ,कई फौलादी हाथों का कारवां..!

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15 JAN AT 16:58

आज छेड़ दिया है साज़ पे,मेरे दिल ने मुहब्बत का इक तराना,
उम्रभर मेरी साँसे तुझे गाती रहे,सामने बैठ तुम यूँ ही मुस्कुराना।

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