Smita Singh  
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Joined 23 May 2022


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30 APR AT 13:21

गुलाब सा महके आपका सारा जीवन और सादाब रहे,
ये प्यार कभी ना मुरझाए,ताउम्र मेरे हाथों में गुलाब रहे।

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30 APR AT 13:05

जीवन की दौड़ में,जीवन के दौड़ की होड़ में,
संभल के पग धरो,नही तो पीछे रह जाओगे।

पथरीले पथ मिलेंगे,बन शूल पग में आ चुभेंगे,
दरिया,गह्वर भी होंगे, व उपवन सहर भी होंगे,
सुबह से शाम होगी,तनिक विश्राम ना मिलेगा,
दिशा भ्रम होगा, शीतल पवन ताप बन बहेगा।

हिम्मत ना हारना तुम, आराम-चैन त्यागना तुम,
जब-जब भंवर सताए,अपनी नैया उबारना तुम,
साहिल जो मिलेगा,मंजिल खुशी से गले मिलेंगी,
दिल बाग-बाग होगा,तमन्ना के सारे गुल खिलेंगे।

जीवन की दौड़ में, जीवन के दौड़ की होड़ में,
कठोर तप खत्म होगा,विश्राम तब मिलेगा.....!

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30 APR AT 9:40

उम्मीद और यक़ीन का दिया इक साथ जलाया मैने,
कुछ इस तरह से आँधियों में इक दीप जलाया मैने।

वो हवा का तेज झोंका,मैं नन्हीं दीया की बाती बनी,
उसके संग-संग खुद को,जलाया-झिलमिलाया मैने।

वो रुख कभी बेरुख सा रहा, मैने उसका ताप सहा,
उसके साथ जीने की चाहत में, हर दर्द उठाया मैने।

शर्त लगी कि, वो इस जंग में, हर बार जीत जाएगा,
मुहब्बत की आब रहे, ख़ुद को हारना सिखाया मैने।

इश्क़ मेरा गुरुर है,ये बात दुनियाँ को दिखलाया मैने,
साथ जलते-जलते सदा के लिये,ख़ुद को बुझाया मैने।

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30 APR AT 9:07

रोम-रोम में मुहब्बत,
हर्फ-हर्फ में इबादत,
पल-पल तेरी आदत,
क्षण-क्षण हिफाज़त,
इससे ज्यादा कुर्बत!
और क्या होगी.......

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30 APR AT 8:28

प्रातः की पहली मुस्कान हो तुम,
प्रीत की प्रथम पहचान हो तुम,

मंदिर की घंटी और आजान हो तुम,
मेरे लिए तो खुदा और भगवान हो तुम,

प्रेम तुम्हीं से है सीखा,जीवन का एहसान हो तुम,
बाती सी जो जलती है इस दीया का प्राण हो तुम,

जीवन में जो मिल ना सका,मेरे सारे अरमान हो तुम,
स्वर्णिम आभा से आच्छादित मेरे लिए मूल्यवान हो तुम,

बस इतनी सी बात सताती है,इन बातों से अनजान हो तुम..!!

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29 APR AT 16:44

सारे रिश्तों का बंधन,ना जाने कब जाने कैसे टूट गया,
जो कल तक कहता था अपना,ना जाने कैसे रूठ गया।

मासूम से मेरे कोमल मनोभाव,अपनो को पुकारता फिरता है,
सारे कथित अपने बेगाने हुए,नैनों से झर-झर आँसू झरता है।

सबके एक आवाज़ पे दौड़ी जाती हूँ,फिर खुद को तन्हा पाती हूँ,
कोई झूठे से भी प्यार की बात करे,थोड़े में ही निहाल हो जाती हूँ।

अब किसी का कोई साथ नहीं,मेरे काँधे पे अपनों का हाथ नहीं,
दर्द अकेले सहती रहती हूँ, किसी अपनों से दिल की बात नहीं।

सारे मेरे अपने बेगाने हुए,किस से अपने दर्द की बात कहूँ,
इस फरेबी दुनियाँ में,अपनो के दिये दर्द सहकर खामोश रहूँ।

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29 APR AT 11:10

दर्द का सागर जब उमड़कर आँखों से छलकने लगा,
रोम-रोम इश्क में डूबकर,और ज्यादा महकने लगा।

इश्क का दिल पे जिसके जिस वक़्त से छाया खुमार,
छाया मन में बसन्त, चिड़ियों सा उड़ने,चहकने लगा।

रात में जो खिली चाँदनी,छेड़ा सुर बिखरने लगी रागिनी,
फूल लाखों खिले,जीवन उपवन बना और दमकने लगा।

जिंदगी को मुहब्बत की नियामत ख़ुदा के तरफ से मिली,
पी लिया मुहब्बत के सुरा का प्याला,वफ़ा छलकने लगा।

कौन जिंदा रहने आया है स्मिता यहाँ ज़मी के रहने तलक,
दर्द का सागर उड़ेला,मुहब्बत की साकी पी ली व बहकने लगा।

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28 APR AT 22:22

इश्क़ की निशानी है ये सुर्ख महकता हुआ गुलाब,
इसने सदियों से संभाल रखी है मुहब्बत की आब!

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28 APR AT 22:14

इंतज़ार इश्क़ की खूबसूरत इबादत है,
ये इबादत तब तक,जब ये साँसे क़याम होंगी।

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28 APR AT 22:00

आँखों हो आँखों में देखो इश्क की शुरुआत हो गई,
लब चुप ही रहे मगर मुहब्बत की सारी बात हो गई।

वो हसीन शाम थी,किसी खूबसूरत ख़्वाब की तरह,
कभी चाहा ना था किसी को,ये उम्र तेरे नाम हो गई।

शीतल सी छाई चाँदनी,बादल ने देखा छुपके ओट से,
छुपने-छुपाने में रात-दिन ढला,जाने कब शाम हो गई।

वो पुरवाई पवन का असर था या था इश्क का खुमार,
पागल-पागल तेरा नाम लिए फिरूँ, व बदनाम हो गई।



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